ब्रिटेन का राजघराना मानव सभ्यता के सबसे पुराने राजघरानों में से एक है. यह अब भी मौजूद है और किंग चार्ल्स की अगुवाई में ठाठ-बाठ से जी रहा है. हालांकि इस ठाठ-बाठ की कीमत ब्रिटेन का आम करदाता चुका रहा है. एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के शाही परिवार पर देश के टैक्सपेयर ने 2024 में 1,015 करोड़ रुपए (86.3 मिलियन पाउंड) खर्च किए हैं. सिर्फ यही नहीं, आने वाले दो सालों में राजघराने की सालाना कमाई बढ़कर 1555 करोड़ रुपए (132.1 मिलियन पाउंड) होने वाली है.
दरअसल ब्रिटिश राजघराने को यह रकम ब्रिटेन के 'सोविरीन ग्रांट' (Sovereign Grant) के तहत मिल रही है. ब्रिटेन का टैक्सपेयर राजघराने का कितना खर्च उठाता है, यह रकम कहां खर्च होती है और इसपर आम जनता की क्या राय है, आइए डालते हैं इन सवालों के जवाबों पर बारीक नज़र.
क्या है सोविरीन ग्रांट?
ब्रिटिश टैक्सपेयर राजशाही के लिए जो रकम देते हैं, उसे सोविरीन ग्रांट के नाम से जाना जाता है. इससे शाही महलों के रख-रखाव और राजघरानों के आधिकारिक कर्तव्यों का भुगतान किया जाता है. इसमें सुरक्षा शामिल नहीं है क्योंकि इसकी लागत बहुत ज़्यादा है. इससे पहले सालाना भुगतान के जरिए से ब्रिटिश शाही परिवार का खर्च उठाया जाता था जिसे सिविल लिस्ट के तौर पर जाना जाता था. साल 2012 में सोविरीन ग्रांट ने इसकी जगह ले ली.
कहां-कहां से होती है कमाई?
किंग चार्ल्स को सोविरीन ग्रांट के तहत हर साल कितना पैसा मिलेगा, यह क्राउन एस्टेट (Crown Estate) की सालाना कमाई से तय होता है. क्राउन एस्टेट वह ज़मीन है जिसका मालिकाना अधिकार संयुक्त रूप से राजशाही और ब्रिटेन सरकार के पास है लेकिन उसका इस्तेमाल आम जनता करती है. इस ज़मीन से होने वाली कमाई को सबसे पहले शाही खज़ाने में डाला जाता है. इसी के आधार शाही परिवार को मिलने वाली रकम निर्धारित होती है.
खास बात यह है कि सोविरीन एक्ट 2011 के अनुसार, अगर क्राउन एस्टेट से होने वाला मुनाफा कम भी है तो किंग चार्ल्स को पिछले साल के बराबर ही रकम मिलती है. साल 2023 में यह फैसला हुआ था कि सोविरीन ग्रांट क्राउन एस्टेट के कुल मुनाफे के 12 प्रतिशत के बराबर होगा.
सॉवरेन क्राउन और क्राउन एस्टेट के अलावा, किंग चार्ल्स को डची ऑफ़ लैंकेस्टर (Duchy of Lancaster) से भी आमदनी होती है. इसमें लंकाशर और यॉर्कशर में 18,000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि और साथ ही लंदन में मौजूद संपत्ति शामिल है. इन संपत्तियों की कीमत 65.4 करोड़ पाउंड आंकी गई है. इससे हर साल दो करोड़ पाउंड का मुनाफ़ा होता है.
कहां खर्च होती है यह रकम?
आधिकारिक आंकड़ें बताते हैं कि राजघराने ने पिछले साल सबसे ज्यादा रकम आवागमन पर खर्च की. राजघराने की यात्राओं पर 2024 में 55 करोड़ से ज्यादा खर्च हुए. साल 2023 में भी इसपर 50 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. यातायात में बड़ा खर्च चार्टर्ड उड़ानों के कारण आया. किंग चार्ल्स और क्वीन कमीलिया ने बीते साल ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड सहित कई अहम उड़ानें भरीं.
खातों के अनुसार, बकिंघम पैलेस की देखरेख में भी राजघराने को बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है. साल 2024 में बकिंघम पैलेस की देखरेख पर कुल 485 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इसके अलावा महल में काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह से लेकर शाही सवारियों की देखरेख तक कई अन्य चीजों पर किंग चार्ल्स को बडडी रकम खर्च करनी पड़ती है.
क्या कहती है जनता?
ब्रिटिश शाही परिवार को मिलने वाली इस रकम की लंबे समय से आलोचना होती रही है. राजशाही विरोधी समूह रिपब्लिक के सीईओ ग्राहम स्मिथ का कहना है कि यह खर्च "पागलपन" है.
उनका कहना है, "सोविरीन ग्रांट स्कीम पागलपन भरी है. फंडिंग इसलिए नहीं बढ़ती क्योंकि किसी ज्यादा पैसे की ज़रूरत होती है, बल्कि इसलिए क्योंकि ग्रांट सरकारी मुनाफ़े से जुड़ा होता है. राजघराने ने बकिंघम पैलेस के नवीनीकरण के लिए पैसे की ज़रूरत का बहाना बनाया है. 10 साल पहले अनुदान को दोगुना करने के लिए इस बहाने का इस्तेमाल किया गया था."
"यह देखना बहुत भद्दा है कि अरबपति राजघराने के लोग 4.5 करोड़ पाउंड की अतिरिक्त धनराशि जुटा रहे हैं, जबकि विकलांग लोगों को उनके समर्थन में कटौती का सामना करना पड़ रहा है जबकि स्कूल और अस्पताल संघर्ष कर रहे हैं और घरेलू खर्च लगातार बढ़ रहे हैं."
सोविरीन ग्रांट के खिलाफ यह भी तर्क दिया जाता है कि आधिकारिक आंकड़े टैक्सपेयर पर बढ़ने वाले बोझ की पूरी तस्वीर नहीं दिखाते. ब्रिटिश संसद के पूर्व लिबरल डेमोक्रेट सदस्य नॉर्मन बेकर के हवाले से अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट कहती है कि ब्रिटिश राजशाही दूसरी राजशाहियों की तुलना में ब्रिटेन के लिए बहुत बुरी है.
रिपोर्ट बेकर के हवाले से कहती है, "यहां तक कि महल के अपने आंकड़ों के अनुसार भी, यूरोप में किसी भी अन्य राजशाही की तुलना में इसकी लागत दोगुनी है. वास्तव में यह एक भयावह कम आंकलन है क्योंकि शाही परिवार को कई लाभ हैं जो यूरोप में अन्य राजशाही के लिए उपलब्ध नहीं हैं."