अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति जल्द ही अमेरिकी राज्य अलास्का में मिलने वाले हैं. ट्रम्प ने खुद इसकी घोषणा की है कि वह यहां पुतिन की मेज़बानी करेंगे. ट्रम्प ने इस मुलाकात के लिए अलास्का को क्यों चुना है, यह निश्चित तौर पर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन यह जरूर याद किया जा सकता है कि इस राज्य का रूस के साथ एक इतिहास है.
एक समय पर ज़मीन का यह टुकड़ा रूसी साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. बाद में रूस ने इसे अमेरिका को बेच दिया. लेकिन रूसी शासन ने ऐसा क्यों किया? आइए जानते हैं दो देशों के बीच 'सफर' करने वाले अलास्का की कहानी.
अलास्का का रूसी दौर
रूस ने 18वीं सदी में अलास्का पर कब्जा जमाया था. रूसी खोजकर्ता विटस बेरिंग ने 1741 में अलास्का के तटों की खोज की और इसके बाद रूसियों ने वहां व्यापार शुरू किया, खासकर फर (पशुओं की खाल) का. रूसी-अमेरिकी कंपनी (Russian-American Company) ने 1799 में अलास्का में व्यापारिक चौकियां बनाईं और वहां रूसी बस्तियां बसाईं.
रूसियों ने स्थानीय लोगों, जैसे ट्लिंगिट और अलेउट जनजातियों, के साथ व्यापार किया, लेकिन कई बार टकराव भी हुए. रूस के लिए अलास्का दूर-दराज का इलाका था, और वहां से संसाधन निकालना और कब्जा बनाए रखना मुश्किल था. रूस की सरकार को अलास्का से ज्यादा आर्थिक फायदा नहीं हो रहा था, और 19वीं सदी तक उनकी दिलचस्पी कम होने लगी.
रूस की आर्थिक तंगी ने बदले हालात
रूस 1850 के दशक तक कई समस्याओं से जूझ रहा था. सन् 1853-56 में क्रिमियन युद्ध में रूस को ब्रिटेन और फ्रांस के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा, जिसने उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया. रूस को पैसों की सख्त जरूरत थी, और अलास्का जैसे दूर के इलाके को अपना बनाए रखने में खर्च और जोखिम ज्यादा था.
साथ ही, रूस को डर था कि ब्रिटिश कनाडा (जो तब ब्रिटेन का हिस्सा था) अलास्का पर कब्जा कर सकता है क्योंकि ब्रिटेन की नौसेना रूस से कहीं ज्यादा ताकतवर थी. रूस ने सोचा कि अलास्का को रखने से बेहतर है उसे बेच दिया जाए. रूस ने 1860 के दशक में अलास्का को बेचने का फैसला किया. अमेरिका इस सौदे के लिए सबसे अच्छा खरीदार था, क्योंकि वह रूस का दोस्त था और ब्रिटेन के खिलाफ एक रणनीतिक साझेदार भी. अमेरिका के विदेश मंत्री विलियम सीवर्ड (William Seward) ने इस मौके को भुनाया.
रूस और अमेरिका के बीच 1867 में एक समझौता हुआ, जिसके तहत अलास्का को 72 लाख डॉलर (आज के हिसाब से लगभग 1.3 अरब रुपये) में अमेरिका को बेच दिया गया. ये सौदा 30 मार्च, 1867 को पूरा हुआ. इसे "सीवर्ड्स फॉली" (Seward’s Folly) कहा गया, क्योंकि कई अमेरिकियों को लगा कि इतने पैसे में बर्फ और बंजर जमीन खरीदना बेकार है.
ऐसे हुआ अलास्का का अमेरिकीकरण
अलास्का 18 अक्टूबर, 1867 को आधिकारिक तौर पर अमेरिका को सौंप दिया गया. शुरू में अमेरिका ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी. अलास्का को पहले एक सैन्य जिला बनाया गया. वहां ज्यादा विकास नहीं हुआ. लेकिन 1890 के दशक में क्लोंडाइक गोल्ड रश (Klondike Gold Rush) ने अलास्का की किस्मत बदल दी. सोने की खोज ने हजारों लोगों को वहां खींचा, और अलास्का की आर्थिक अहमियत बढ़ गई. बाद में तेल, मछली, और लकड़ी जैसे संसाधनों ने इसे और मूल्यवान बनाया. 1959 में अलास्का अमेरिका का 49वां राज्य बना.
क्यों बिका अलास्का?
रूस ने अलास्का इसलिए बेचा क्योंकि वो इसे बनाए रखने में असमर्थ था, और उसे पैसे की जरूरत थी. अमेरिका ने इसे खरीदकर एक रणनीतिक जीत हासिल की, क्योंकि अलास्का ने उसे प्रशांत महासागर में एक मजबूत पकड़ दी. आज अलास्का अमेरिका की अर्थव्यवस्था और रक्षा के लिए अहम है, खासकर इसके तेल भंडार और सामरिक स्थिति की वजह से.
अलास्का की कहानी साम्राज्यवाद, व्यापार, और रणनीति का एक मिश्रण है. रूस से अमेरिका के हाथों में जाने वाला ये सौदा उस समय विवादास्पद था, लेकिन आज इसे अमेरिका की सबसे चतुर खरीदारी में से एक माना जाता है.