अमेरिका में H1-B वीजा पाना अब पहले जितना आसान नहीं रहा. ट्रंप प्रशासन में वीजा नियम सख्त हुए हैं लेकिन भारतीय भी हार मानने वालों में से नहीं हैं. H1-B वीजा मिलना बेशक अब मुश्किल हो लेकिन अब O-1 वीजा और EB-1 वीजा लेकर भी भारतीय अमेरिका पहुंच रहे हैं.
आइए जानते हैं कि ये वीजा क्या है, कौन ले सकता है और क्यों भारतीयों में इनकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है.
O-1 वीजा भी H1-B की तरह एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, लेकिन इसमें कुछ खास बातें हैं. इस वीजा को 1990 में बनाए गए इमिग्रेशन एक्ट के तहत शुरू किया गया था. ये वीजा उन लोगों को मिलता है जो विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, गणित (STEM), शिक्षा, कला, बिजनेस या खेल के क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा दिखा चुके हों. यानी अपने सेक्टर में एक्स्ट्रा ऑडिनरी हों.
इस वीजा की सबसे खास बात यह है कि इसमें कोई सालाना लिमिट नहीं होती, जबकि H1-B वीजा में सख्त कोटा सिस्टम होता है. O-1 वीजा शुरू में 3 साल के लिए दिया जाता है, लेकिन इसे अनिश्चितकाल तक बढ़ाया जा सकता है.
O-1 वीजा मिलने की दर 93% है, जबकि H1-B की सिर्फ 37% तक रह गई है. लेकिन O-1 वीजा सस्ता नहीं है. इसका आवेदन कराने में लगभग 8.55 लाख से 25.6 लाख तक खर्च हो सकता है. यानी H1-B वीजा से लगभग 10 गुना ज्यादा महंगा. फिर भी इस वीजा की डिमांड तेजी से बढ़ रही है.
2020 में सिर्फ 8,838 O-1 वीजा दिए गए थे लेकिन 2023 में यह आंकड़ा 18,894 हो गया और 2024 में अब तक 22,669 वीजा दिए जा चुके हैं. 2020 में 487 भारतीयों को O-1 वीजा मिला था. 2023 में यह संख्या बढ़कर 1,418 हो गई. O-1 वीजा पाने वालों की लिस्ट में भारतीय तीसरे नंबर पर हैं, उनसे पहले ब्रिटेन और ब्राजील के नागरिक हैं.
कोई न्यूनतम सैलरी या डिग्री की जरूरत नहीं होती.
केवल यह साबित करना होता है कि आप अपने फील्ड में एक्स्ट्राऑर्डिनरी हैं.
इसका प्रोसेसिंग टाइम भी सिर्फ 2 हफ्ते है.
Tesla, Microsoft और McKinsey जैसी कंपनियां अब भारतीय टैलेंट को लाने के लिए इसी वीजा का इस्तेमाल कर रही हैं. हार्वड और येल जैसे संस्थान भी इससे फैकल्टी बुला रहे हैं.
EB-1 वीजा का ऑफिशियल नाम तो यही है, लेकिन इसे आमतौर पर Einstein Visa कहा जाता है. इस वीजा के लिए जरूरी है कि व्यक्ति को राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हो. यह वीजा अमेरिका के सबसे मुश्किल वीजा में से एक माना जाता है.
Pulitzer या Oscar विनर
ओलंपिक मेडलिस्ट.
फेमस प्रोफेसर या रिसर्चर.
जिनका काम अखबारों या मीडिया में छपा हो.
जो किसी बड़े संगठन में निर्णायक भूमिका निभाते हों.
जिनकी इनकम अपने सेक्टर में सबसे ऊपर हो.
2001 में मेलानिया ट्रंप ने इसी वीजा के तहत अमेरिका में एंट्री ली थी. वह उस समय एक स्लोवेनियाई मॉडल थीं और न्यूयॉर्क में काम कर रही थीं. वे उस समय डोनाल्ड ट्रंप को डेट कर रही थीं. मेलानिया स्लोवेनिया की सिर्फ 5 नागरिकों में से एक थीं जिन्हें EB-1 वीजा मिला.
हाल ही में अमेरिकी दूतावास ने वीजा के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिनके तहत अब वीजा अप्लाई करने वाले लोगों को अपने पिछले पांच साल में इस्तेमाल किए गए सभी सोशल मीडिया अकाउंट के नाम और यूजरनेम देना जरूरी होगा. अगर कोई व्यक्ति यह जानकारी नहीं देगा तो उसका वीजा आवेदन रद्द भी किया जा सकता है.