मैं वैभव राज शुक्ला, बुंदेली धरा में पला बढ़ा... छोड़ा इंजीनियरिंग का मुकाम... थामा पत्रकारिता का दामन... ताकि बन सकूं उनकी आवाज... जिनकी कोई नहीं सुनता... उठा सकूं उनके मुद्दे.. जिनका साथ सबने छोड़ा... सरोकार और जनपक्ष की पत्रकारिता ही होगा मेरा मकसद और मुकाम... मैं बनूँगा आपकी आवाज.. पॉजिटिव सरोकार के साथ