
तांबे के लौटे का जल न केवल प्राचीन परंपरा का हिस्सा है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है. घर की समस्याओं से छुटकारा पाने और सेहत में सुधार के लिए आप तांबे के लोटे के जल का इस्तेमाल कर सकते हैं.
गिलास और लौटे के जल में अंतर
गिलास और लौटे के जल के बीच के अंतर होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक गिलास की रेखीय आकृति के कारण उसका सतह तनाव (सर्फेस टेंशन) अधिक होता है, जबकि लौटे की गोलाकार आकृति का सतह तनाव कम होता है. जिन बर्तनों का सतह तनाव कम होता है, उनका जल शरीर के लिए अधिक लाभकारी होता है. विशेषज्ञों ने कहा कि प्राचीन भारतीय परंपरा में पूजा और पीने के लिए लौटे का जल उपयोग करने का यही कारण है.
लौटे के जल का विशेष महत्व
जल को सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को सोखने वाला माना गया है.जल का सही प्रयोग जीवन में समस्याओं को दूर कर सकता है. लौटे के जल का विशेष महत्व बताया गया, क्योंकि गोलाकार आकृति का सतह तनाव कम होता है, जो स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता के लिए लाभकारी है। लौटे के जल का प्रयोग पेट की समस्याओं और बीमारियों को दूर करने में मदद करता है.
घर की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए जल का जादुई प्रयोग
यदि घर में कलह, क्लेश या तनाव हो, तो तांबे के लौटे में जल भरकर उसमें गुलाब जल मिलाएं. इसके बाद 108 बार गायत्री मंत्र का जप करें. जप के बाद 5 मिनट तक जल को स्पर्श न करें और फिर पूरे घर में इसका छिड़काव करें. बचा हुआ जल पौधों में डाल दें. यह उपाय घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है.
बीमार व्यक्ति के लिए लघु मृत्युंजय मंत्र का प्रयोग
यदि परिवार में कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है, तो तांबे के लौटे में जल भरकर लघु मृत्युंजय मंत्र का पाठ करें. मंत्र पढ़ते समय जल में फूंक मारें और 5 मिनट बाद यह जल रोगी को पिलाएं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह प्रयोग रोज शाम को करने से बीमार व्यक्ति के बेहतर होने की संभावना बढ़ जाती है.
लौटे के जल का उपयोग और सावधानियां
पूजा के लिए तांबे, पीतल या स्टील के लौटे का उपयोग करें. सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए लौटे का प्रयोग करें.अपने पूजा स्थान पर एक लोटा जल जरूर रखें और इसे रोज बदलें. पीने के लिए तांबे के लौटे का जल उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है.