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बिजनेस

Women's empowerment: सीताफल ने बदल दी महिलाओं की तकदीर, अब बड़ी-बड़ी कंपनियों के आ रहे हैं ऑर्डर

सीताफल ने बदल दी महिलाओं की तकदीर
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पाली जिले के बाली के आदिवासी भीमाणा की महिलाओ की सीताफल ने तकदीर बदल दी. पहले पूरे रोज आठ से दस रूपये मिलते थे. लेकिन फिर उन्होंने आत्मनिर्भर बनने के लिए अपना एक समूह बनाया और सीताफल का पल्प बेचने लगी. हालांकि, इन महिलाओं को मार्केटिंग या हिन्दी भाषा का अनुभव नहीं है. 

सीताफल
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महिलाएं सीताफल का पल्प को अलग और बीज को अलग करती हैं. फिर दूसरा समूह वापस जांच करता और पल्प की साफ कर उसे तोल के पैकिंग की जाती है. फिर उसी सेंटर और सोलर ऊर्जा से संचालित डीफ्रीज में पैकिंग कर रखा जाता है. वहां पर माल इकठा होने पर घूमर संस्था का एक मिनी ट्रक जिसमे डीफ्रीज कर रखा जाता है. 

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समय-समय ऑर्डर के हिसाब से इन्हें दूसरे राज्यों में भी भेजा जाता है. इतना ही नहीं सीताफल के बीज भी बेचे जाते हैं. ऊपर का छिलका खाद आदि में काम आता है. 
 

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दरअसल, फरवरी 2015 को इस संस्था का रजिस्ट्रेशन करवाया गया था. काम करने वाली सभी आदिवासी महिलाएं हैं. पुरुष सिर्फ ऑनलाइन काम या मार्केटिंग जैसे काम करते हैं. आदिवासी अपने क्षेत्र में होने वाली सीताफल की बंपर पैदावार को टोकरे में बेचने की बजाय उसका पल्प निकाल कर राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों को बेच रहे हैं. 

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वर्तमान में बाली क्षेत्र का सीताफल प्रमुख आइसक्रीम कंपनियों की डिमांड बना हुआ है. इसके साथ ही मांगलिक कार्यक्रमों में मेहमानों को परोसी जाने वाली फ्रूट क्रीम भी सीताफल से तैयार हो रही है. इस समय पूरे बाली क्षेत्र में करीब अनेको टन सीताफल पल्प का उत्पादन कर इसे देश की प्रमुख आइसक्रीम कंपनियों तक पहुंचाया जा रहा है. 

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यह पल्प सरकारी सहयोग से बनी आदिवासी महिलाओं की कंपनी ही उनसे महंगे दामों पर खरीद रही है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत भीमाणा-नाणा में कार्यरत घूमर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा की गई.
 

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अभी सीताफल का पल्प निकालने का कार्य बाली ब्लॉक की ग्राम पंचायत भीमाणा एवं कोयलवाव के गांव भीमाणा, नाडिया, तणी, उपरला भीमाणा, उरणा, चौपा की नाल, चिगटाभाटा, कोयलवाव में कुल 8 सेंटर बनाए गए है. जिसमें 121 स्वयं सहायता समूह की 1408 महिलाएं सीताफल के लिए कार्य कर रही हैं. अगले साल तक यह स्वयं सहायता समूह इसे क्षेत्र के हर गांव और ढाणी में पहुंचाने के साथ ही 5 हजार महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य है.
 

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सीताफल से पल्प निकालने की योजना पूरे देश में अपने आप में अनूठी है. बाली क्षेत्र में इसे प्रायोगिक तौर पर लागू किया गया है. इससे महिलाओं को अच्छा खासा मुनाफा होने के साथ उनके जीवन स्तर में भी काफी सुधार देखा जा रहा है. शुरुआती तौर पर इसे बाली के आदिवासी अंचल में लागू किया गया है. (रिपोर्ट- भारत भूषण जोशी)