

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कंपनी बाग इलाके में लगा एक आम का पेड़ 121 अलग-अलग किस्मों के आमों के कारण एक प्रमुख आकर्षण बन गया है. यह पेड़ वाकई एक चमत्कार है. यह बागवानों की कई सालों की मेहनत का नतीजा है. बागवानों ने कई उच्च गुणवत्ता वाली आम की किस्मों की शाखाओं को एक देसी आम के पेड़ पर सावधानीपूर्वक लगाने में कामयाबी हासिल की है.
एक पेड़ पर 121 किस्में कैसे?
एक पेड़ पर कई तरह की किस्में उगाने के तरीके को ग्राफ्टिंग कहा जाता है. यह दो पौधों को जोड़ने की एक तकनीक है जिसे बाग़बान आमतौर पर फल-सब्जियां उगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. ग्राफ्टिंग खास तौर पर द्विबीजपत्री (dicotyledonous) पौधों में ज्यादा देखने को मिल रही है. सेब, आम और नींबू जैसे कुछ सामान्य पौधों को ग्राफ्टिंग के जरिए उगाया जा सकता है.
ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बाग़बान को एक स्वस्थ रूटस्टॉक की ज़रूरत होती है. रूटस्टॉक यानी एक छोटा पौधा जिसकी जड़ मजबूत हो. इसके बाद बागबान आम की कई किस्मों से शाखाओं को सावधानीपूर्वक काटता है और उन्हें रूटस्टॉक से जोड़ता है. वक्त के साथ, ग्राफ्ट एक साथ जुड़ जाते हैं. इससे किस्में एक पेड़ के तौर पर विकसित होती हैं.
नौ साल से हो रही पेड़ पर मेहनत
कंपनी बाग गार्डन के मैनेजर आकाश कन्नौजिया अपने पेड़ पर 121 किस्में उगाने के बारे में बताते हैं कि इसके ऊपर पिछले नौ साल से मेहनत की जा रही है. आकाश समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ खास बातचीत में कहते हैं, "यह आम का पेड़ हमारे केंद्र में एक खास पेड़ है. इसपर हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत मेहनत की है. साल 2016 में उन्होंने इसमें 121 अलग-अलग आम की किस्मों की कलम बांधी थी. कलम बांधने का तरीका यह था कि जो स्वस्थ ग्राफ्ट होगी और रोगमुक्त होगी. ऐसी ग्राफ्ट को हमने इसमें लिया था."
इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य स्थानीय किसानों को शिक्षित करना, पारंपरिक किस्मों के साथ-साथ कम मशहूर आम की किस्मों को बढ़ावा देना और किसानों की आय बढ़ाने में मदद करना है. आकाश ने कहा, "इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारे स्थानीय किसान भाई नई प्रजातियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और उन्हें अपनाएं. परंपरागत रूप से वे लंगड़ा, चौसा और दशहरी जैसी पारंपरिक किस्मों का ही इस्तेमाल करते हैं. इससे न केवल जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि किसान भाइयों को सीखने को भी मिलेगा. लेकिन इस पहल के माध्यम से वे विभिन्न किस्मों की खोज कर उन्हें अपना सकते हैं. इससे न सिर्फ उनका ज्ञान बढ़ेगा बल्कि इससे वे अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं."
यह आम का पेड़ महज एक पेड़ नहीं है, बल्कि आधुनिक खेती का जीवंत उदाहरण है. यह आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रदर्शन करता है और फलों के राजा के सम्मान में और इजाफा करता है.