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Amul The Taste of India: इस तरह हिंदुस्तान के हर घर का हिस्सा बना AMUL, तभी तो कहा जाता है 'अमूल दूध पीता है इंडिया...'

Success Story of Amul: अक्सर आपने टीवी पर विज्ञापन सुना होगा...अमूल दूध पीता है इंडिया. क्या आप जानते हैं अमूल कंपनी की स्थापना कब हुई थी और कैसे धीरे-धीरे ये कंपनी हिंदुस्तान के हर घर का हिस्सा बन गई.

अमूल अमूल
हाइलाइट्स
  • अमूल दूध पीता है इंडिया

  • कैसे अमूल बन गया देश की पहचान

  • भारत के घर-घर में इस तरह फैला अमूल

इंसान अगर एक अच्छी सोच के साथ आगे बढ़े तो वह छोटे से छोटे काम में भी सफल हो जाता है. आज हम जिसकी बात कर रहे हैं उनकी कहानी भी किसी सपने से कम नहीं है. देश को अमूल जैसा टेस्ट देने वाली इन दो शख्सियतों के नाम हैं त्रिभुवन दास पटेल और डॉ. वर्गीज कुरियन. वर्तमान समय में अमूल के ceo आरएस सोढ़ी है.

दूध उत्पादकों के हक के लिए शुरू हुई कंपनी

अमूल की शुरुआत 1946 में गुजरात के छोटे गरीब दूध उत्पादकों को उनका हक दिलवाने के लिए की गई थी. किसान मजबूरी में अपना दूध कम कीमत पर दलालों को बेचते थे. जोकि उनकी मेहनत का बड़ा हिस्सा खा जाते थे. उस वक्त देश में कुछ ही गिनी चुनी कंपनियां थीं. इसलिए स्वतंत्रता सेनानी त्रिभुवन दास ने सरदास वल्लभ भाई पटेल और मोरारजी देसाई से इस बारे में बात की.

आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड यानी AMUL

14 दिसंबर 1946 में त्रिभुवन दास पटेल के प्रयासों द्वारा अहमदाबाद से 100 किमी दूर आणंद शहर में खेड़ा जिला सहकारी समिति की स्थापना की गई. इसके बाद 1949 में त्रिभुवन भाई पटेल ने डॉक्टर वर्गीज कुरियन और सरकार की मदद से डेयरी सहकारिता संघ की स्थापना की. डॉ. कुरियन ने ही इस कंपनी को अमूल नाम दिया. अमूल का पूरा नाम आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड है.

इसलिए अमूल बना टेस्ट ऑफ इंडिया

जब अमूल की शुरुआत हुई, तब पहले कुछ दिनों तक रोजाना 247 लीटर तक ही दूध इकट्ठा हो पाता था. 76 साल पहले शुरू हुआ अमूल का सफर आज दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. सुबह की चाय के लिए दूध की जरूरत हो या फिर नाश्ते में ब्रेड पर लगने वाला बटर चाहिए हो... देश के लोगों की पहली पसंद है अमूल..क्योंकि ये किसी एक का टेस्ट नहीं है बल्कि टेस्ट है इंडिया का. हर 3 में से 2 आदमी रोज अमूल के सामान का इस्तेमाल करता है. अमूल अपनी बेस्ट प्रोडक्ट क्ववालिटी की वजह से देश का नंबर वन डेयरी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी है. देशभर में अमूल के 87 प्लांट हैं. इनमें से 30 प्लांट अकेले गुजरात में हैं.  

इस तरह लोकप्रिय हुई अमूल गर्ल

साल 1966 में अमूल गर्ल का पहला विज्ञापन आया, जिसे दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला विज्ञापन भी कहा जाता है. अमूल गर्ल की लोकप्रियता देश से आगे विदेशों में भी है. अमूल गर्ल ने ही इसे ब्रांड के रूप में पहचान दी. अब यह कंपनी हफ्ते में चार से पांच दिन अमूल गर्ल को पेश करती है. देश के लोगों का अमूल पर विश्वास है. जनता ने हमेशा से अमूल को पसंद किया है. 

रोजगार के मामले में भी आगे है अमूल

अमूल अपनी कमाई का 80 फीसदी किसानों को देता है. अमूल का टर्नओवर 2020-21 में 39,248 करोड़ रुपए पर पहुंच चुका है. अमूल भी धीरे-धीरे गैर-डेयरी उत्पादों की ओर बढ़ रहा है. अमूल 35 लाख किसानों से 2.50 करोड़ लीटर दूध रोजाना लेता है. अमूल करीब 15 लाख लोगों को रोजगार देता है. अमूल का बटर देश में मार्केट लीडर है. उसके पास मार्केट का कुल 85 फीसदी शेयर है.