
हर साल देश को बजट से काफी उम्मीदें होती हैं. लेकिन सबसे ज्यादा उम्मीदें अगर किसी को होती हैं तो वो हैं नौकरीपेशा वाले लोग. कोरोना महामारी के आ जाने से इस साल सभी की लिस्ट में कुछ और चीजें भी ऐड हो गईं हैं. हर साल की ही तरह इस साल भी टैक्स छूट की लिमिट की बढ़ाने की मांग की जा रही है. साथ ही सेक्शन 80सी की डिडक्शन लिमिट को भी बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है. बता दें, 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस साल अपना चौथा बजट पेश करने वाली हैं.
देश के 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं ऐसे में सभी को इस बजट से कई फायदे हो सकते हैं. ऐसे में देखते हैं कि आखिर नागरिकों को इस बार के बजट से किन चीजों की उम्मीद है.
टैक्स में मिल सकती है छूट
पिछले 8 सालों से टैक्स छूट की लिमिट को नहीं बढ़ाया गया है, ऐसे में इस बार नागरिकों को उम्मीद है कि इस लिमिट बढ़ाया जा सकता है. वर्तमान की बात करें, तो टैक्स छूट की लिमिट 2.5 लाख रुपये है. अनुमान है कि इस बार इस लिमिट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया जाएगा. चूंकि, इस बार बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं तो हो सकता है कि इस लिमिट को बढ़ाया जाये.
इसके अलावा, टैक्स बचाने के लिए 80 सी एक जरूरी सेक्शन है, इससे नौकीपेशा लोग आसानी से टैक्स बचा लेते हैं. आखिरी बार 2014 में इस लिमिट को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया गया था. इस बार के बजट से उम्मीद है कि इस लिमिट को बढ़ाया जा सकता है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन
स्टैंडर्ड डिडक्शन को शुरुआत में 40 हजार रुपये रखा गया था. 2019-20 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाया गया और 50 हजार रुपये कर दिया गया. अब नौकरीपेशा लोग चाहते हैं कि इसे बढ़ाकर करीब 75 हजार रुपये तक कर दिया जाए. बता दें, स्टैंडर्ड डिडक्शन को साल 2005-06 में बंद कर दिया गया था, जिसे साल 2018-19 में फिर से शुरू किया गया.
मेडिकल खर्च पर मिलने वाली छूट
कोविड-19 के आ जाने के बाद लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सचेत हो गए हैं. ऐसे में लोगों का मेडिकल खर्च भी तेजी से बढ़ रहा है. लोग चाहते हैं कि मेडिकल पर जो टैक्स लाया जाता है उस टैक्स में जितनी छूट मिले उतनी बेहतर है. इससे लोगों का मेडिकल खर्चा कम से कम होगा और वो बेहतर तरीके से अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकेंगे. इस बार के बजट से ये उम्मीद है कि इस टैक्स को कम किया जा सकता है.
एफडी पर लगने वाला टैक्स
नौकरीपेशा लोगों की मांग है कि 5 साल की एफडी पर जो छूट मिलती है उसे घटाकर 3 साल कर दिया जाये. दरअसल, लोग एफडी में कम निवेश कर रहे हैं. इसकी वजह है कि बैंकों ने ब्याज दरें कम कर दी हैं और पीपीएफ जैसे प्रोडक्ट पर ब्याज दर एफडी की तुलना में काफी अच्छा मिल रहा है. लोग आजकल म्यूचुअल फंड और शेयर्स की तरफ भाग रहे हैं, और उनमें इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं. ऐसे में आगामी बजट में इस 3 साल की एफडी को भी शामिल किए जाने की उम्मीद है.