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4500 करोड़ के घाटे की वजह से चर्चा में BYJU's, जानें कैसा रहा कंपनी का अब तक का सफर

Journey of BYJU's: कोविड -19 महामारी के दौरान चमकने वाले ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म बायजू बहुत बड़े घाटे में चली गई है. कंपनी ने जानकारी देते हुए बताया कि 2020-21 (FY21) में राजस्व में 2,428 करोड़ रुपये कमाए और 4,588 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. जानिए अब तक कंपनी का कैसा रहा है सफर.

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हाइलाइट्स
  • रवींद्रन कैट एंट्रेंस एग्जाम में 100 प्रतिशत अंक हासिल किए थे

  • पिछले वर्ष के आंकड़े की तुलना में 3 प्रतिशत कम हुआ राजस्व

एडटेक कंपनी बायजू को फाइनेंशियल ईयर 2021 में 4500 करोड़ का घाटा हुआ है. कंपनी ने खुद बुधवार को कहा कि उसने वित्तीय वर्ष 2020-21 (FY21) में राजस्व में 2,428 करोड़ रुपये कमाए और 4,588 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. वहीं राजस्व पिछले वर्ष के आंकड़े की तुलना में 3 प्रतिशत कम है. 2019-20 में कंपनी को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जोकि अब 15 गुना बढ़ गया है.

कंपनी ने क्या कहा?

बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में, कंपनी के संस्थापक और सीईओ, बायजू रविंद्रन ने कहा कि वित्त वर्ष 2011 में व्यापार में अच्छी वृद्धि हुई थी. लेकिन, चूंकि यह पहला साल था जब अपने व्यापार मॉडल में कोविड से संबंधित बदलाव के कारण कंपनी ने नई राजस्व नीति के तहत काम किया. रवींद्रन ने कहा, बायजू भारत और बाहर अधिग्रहण की होड़ में चला गया. क्योंकि कोविड -19 महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा को अपनाने में तेजी लाई. इनमें से कुछ सौदों में नई दिल्ली स्थित आकाश एजुकेशनल सर्विसेज की $ 1 बिलियन की खरीद और पेशेवर और उच्च शिक्षा में अग्रणी खिलाड़ी, सिंगापुर-मुख्यालय ग्रेट लर्निंग का $ 600 मिलियन का अधिग्रहण शामिल था.

साथ ही दो अन्य बड़े सौदे संयुक्त राज्य अमेरिका के डिजिटल रीडिंग प्लेटफॉर्म एपिक का $500 मिलियन में और मुंबई स्थित व्हाइटहैट जूनियर का अधिग्रहण $300 मिलियन में था. जो बच्चों को कोडिंग सिखाता है. रवींद्रन ने कहा कि हमारे अधिकतर अधिग्रहण (जो कंपनियां खरीदी गई हैं) बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे थे, लेकिन उनसे घाटा हो रहा था. मौजूदा ग्रोथ को देखते हुए वित्त वर्ष 2022 में घाटा कम होने या नीचे आने की उम्मीद है.

बायजू रवींद्रन ने कैसे की शुरुआत?

एड-टेक दिग्गज के संस्थापक बायजू रवींद्रन का जन्म 1981 में केरल के एक गांव में हुआ था. बायजू ने केरल के एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.टेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) किया है और बायजूज शुरू करने से पहले, वह एक बहुराष्ट्रीय शिपिंग फर्म में सर्विस इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे.

2003 में, अपनी छुट्टियों के दौरान, बायजू ने कैट परीक्षा की तैयारी के लिए अपने दोस्तों की मदद करना शुरू कर दिया. कैट एंट्रेंस के लिए अपने दोस्तों को तैयार करने के साथ-साथ उन्होंने एंट्रेंस एग्जाम भी दिया और 100 प्रतिशत अंक हासिल किए.

  • 2011 में उन्होंने अपनी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ के साथ बायजू की स्थापना की.

  • 2021 में, उन्हें 'फोर्ब्स इंडिया लीडरशिप अवार्ड (FILA) एंटरप्रेन्योर फॉर द ईयर' से सम्मानित किया गया.

वैल्यूएबल स्टार्टअप बना बायजू 

2015 में उन्होंने अपना फ्लैगशिप प्रॉडक्ट Byju,s द लर्निंग ऐप लॉन्च किया. यह उनके लिए गेमचेंजर साबित हुआ. स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता के बीच उनका यह ऐप भी पॉपुलर होता गया. इतना ज्यादा कि सिर्फ 7 साल में रवींद्रन अरबपति बन गए. बता दें कि कंपनी ऑनलाइन एजुकेशनल कंटेंट उपलब्ध करवाती है. कुछ कंटेंट तो फ्री हैं, लेकिन एडवांस लेवल के लिए फीस देनी होती है. सितंबर 2020 तक Byju's के 6.4 करोड़ सब्सक्राइबर्स थे. इसके यूजर्स काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. रवींद्रन ने एक बार कहा था कि मैं देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए इस तरह का काम करना चाहते हैं, जैसा डिज्नी ने मनोरंजन के लिए किया है.

बायजू बैंगलोर स्थित बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी है. जिसे 2011 में 'बायजू रवींद्रन और दिव्य गोकुलनाथ' द्वारा स्थापित किया गया था. यह भारत की सबसे बड़ी एड-टेक कंपनी है और इसे भारत के सबसे लोकप्रिय स्कूल लर्निंग ऐप के निर्माता के रूप में मान्यता प्राप्त है.

कुछ ऐसा रहा है कंपनी का सफर

बता दें कि ऐड-टेक कंपनी को लेकर पहले चार वर्षों तक काम किया गया और फिर 2015 में इसे लॉन्च किया गया था. कंपनी कक्षा 1 से 12 के बच्चों और IIT-JEE, NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए व्यक्तिगत और बच्चों को प्रभावी शिक्षण कार्यक्रम देने की शुरुआत की. ऐप को बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया था. 2018 के अंत तक, कंपनी के 15 मिलियन उपयोगकर्ता थे, जिसमें 9 मिलियन ग्राहक ऐसे थे, जो पैसे देकर पढ़ाई करते थे.

एड-टेक यूनिकॉर्न बायजू का मूल्य 2020 में 11 बिलियन डॉलर और 2019 में 5.75 बिलियन डॉलर था. जबकि पूरी दुनिया महामारी से गुजर रही थी. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने बायजू, अनएकेडमी और वेदांतु सहित ऑनलाइन लर्निंग स्टार्टअप्स के विकास को गति दी. अब, एड-टेक दिग्गज ने पेटीएम को भी पीछे छोड़ दिया है बायजू भारत में सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप में से एक बन गया है.

बता दें कि एड-टेक सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और निवेशकों से बड़ा पैसा आकर्षित कर रहा है. क्योंकि लाखों छात्र ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ गए हैं. विशेषज्ञों की माने तो अनुसार, हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति से देश में शिक्षा बाजार के विकास को बढ़ावा मिलेगा और बड़े पैमाने पर इन्वेस्ट होगा.