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अनाजों के निर्यात पर बैन लगा रहा भारत, गेहूं-चीनी के बाद चावल पर भी लग सकता है प्रतिबंध

भारत पहले ही गेहू और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा चूका है. वहीं अब भारत सरकार चावल के निर्यात पर भी रोक लगाने पर विचार कर रही है.

Rice Rice
हाइलाइट्स
  • भारत में पर्याप्त मात्रा में चावल का भंडार

  • चावल के निर्यात पर रोक लगाने से अन्य देशों पर पड़ेगा काफी असर

गेहूं और चीनी के निर्यात पर सरकार पहले ही बैन लगा चुकी है. वहीं अब कयास लगाए जा रहे है कि सरकार चावल के निर्यात पर भी बैन लगा सकती है. अगर भारत सरकार चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा देती है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है. इसके साथ ही भारत सरकार का चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है. दरअसल भारत दुनिया में चावल के उत्पादन पर दूसरे नंबर पर आता है. 

रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते गेहूं-चीनी निर्यात पर रोक 
गेहूं और चीनी के निर्यात पर भारत का प्रतिबंध लगने के बाद वैश्विक बाजार पहले को पहले ही धक्का लगा चुका है. भारत ने गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ऐसे समय जब यूक्रेन और रूस युद्ध में फंसे हुए हैं. वहीं इस युद्ध के चलते दुनियाभर में खाद्य आपूर्ति पर संकट पैदा कर दिया है. वहीं इस युद्ध के चलते महगाई भी बढ़ती दिख रही है. जिसे देखते हुए भारत सरकार खाने-पीने के कीमतों पर काबू रखने के लिए कई कदम उठा रही है. इसी के चलते भारत सरकार ने गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक लगाई है. भारत सरकार के द्वारा गेहूं के  निर्यात पर रोक लगाने से कई देशों के लिए मुश्किल कड़ी हो गई है. 

बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में एक अर्थशास्त्री राधिका पिपलानी ने कहा कि सरकार की तरफ से गेहूं के निर्यात पर पहले ही रोक लगा चुकी है. वहीं अब चावल के निर्यात पर रोक लगाने के लिए विचार किया जा रहा है.  वहीं सरकार अगर इन खाद्य पदार्थों के ऊपर रोक लगती है तो यह देखना होगा कि देश में इनके कीमतों पर क्या असर पड़ता है. वहीं अगर इनकी कीमत कम होती है तो किस समय सीमा के भीतर कम होगी. 

देश में चावल का भंडार पर्याप्त 
चावल का भंडार भारत में पर्याप्त मात्रा में है, जिसके चलते ही देश में चावल की कीमत नियंत्रण में है. वहीं भारत में चावल और गेहूं का की पैदावार ज्यादा होने के साथ ही उन्हें देश में खाने वालों की संख्या भी अधिक है. जिसे देखते हुए ही सरकार की राशन प्रणाली भी इसी पर निर्भर है. वहीं सरकार अब गेहूं की जगह पर चावल अधिक वितरित करने पर विचार कर रही है.