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Dabur Company के Chairman Amit Burman का इस्तीफा, 138 पुरानी कंपनी की कहानी जानिए

Dabur Company: अमित बर्मन ने फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स कंपनी Dabur India Ltd के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है. 138 साल पहले साल 1884 में Dr. SK Burman ने कोलकाता में डाबर कंपनी की शुरुआत की थी.

Dabur Pharma in Sahibabad Dabur Pharma in Sahibabad
हाइलाइट्स
  • साल 1884 डाबर कंपनी की शुुरुआत हुई थी

  • डॉ. एसके बर्मन ने कोलकाता में कंपनी की शुरुआत की थी

फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड (Dabur India Limited) के चेयरमैन अमित बर्मन ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि वो कंपनी के नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बने रहेंगे. डाबर ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 11 अगस्त को चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के पद में बदलाव को मंजूरी दी है. इसके तहत अमित बर्मन के इस्तीफे को मंजूरी दे दी गई है. ये इस्तीफा 10 अगस्त 2022 से प्रभावी हो गया है.

मोहित और साकेत को मिली बड़ी जिम्मेदारी-
डाबर ने मोहित बर्मन को नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर नियुक्ति किया है. मोहित की नियुक्ति 5 साल के लिए की गई है. इसके अलावा बोर्ड ने साकेत बर्मन को नॉन एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन के तौर पर नियुक्त किया है. साकेत का कार्यकाल भी 5 साल के लिए होगा.

अमित बर्मन का सफर-
अमित बर्मन ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की है. अमित बर्मन ने पायलट की भी ट्रेनिंग ली है. अमित बर्मन साल 1999 में डाबर फूड्स के सीईओ के तौर पर नियुक्त हुए थे. उसके बाद से कंपनी ने लगातार कई बिजनेस में कदम रखा. कंपनी ने एथनिक कुकिंग पेस्ट, चटनी और पैकेज्ड फ्रूट जूस के साथ प्रोसेस्ड फूड बिजनेस में काम शुरू किया.

अमित ने डाबर फूड्स के सीईओ का पद तब छोड़ा, जब साल 2007 में कंपनी का डाबर इंडिया लिमिटेड में विलय हो गया. उसके बाद अमित को डाबर इंडिया लिमिटेड का उपाध्यक्ष बनाया गया. साल 2019 में अमित बर्मन को डाबर इंडिया लिमिटेड का चेयरमैन बनाया गया. 30 जून को खत्म हुए तिमाही में कंपनी को 441 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. जबकि इस अवधि में पिछले साल ये आंकड़ा 438 करोड़ था.

डाबर कंपनी के सफर पर एक नजर-
डाबर कंपनी की शुरुआत 138 साल पहले हुई थी. बर्मन परिवार ने साल 1884 में डाबर इंडिया लिमिटेड की शुरुआत एक आयुर्वेदिक दवा कंपनी के तौर पर की थी. आज ये देश के हर्बल और नेचुरल प्रॉडक्ट की सबसे बड़ी पेशेवर कंपनी है. कंपनी के मार्केट में 250 से ज्यादा उत्पाद हैं. दवाई से लेकर फूड तक में डाबर का बोलबाला है. दुनिया के करीब 60 देशों में डाबर का कारोबार है. चलिए डाबर के सफर पर एक नजर डालते हैं...

  • साल 1884 में डॉ. एसके बर्मन ने कोलकाता में कंपनी की शुरुआत की
  • साल 1896 में पहली बार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना की
  • 1900 के दशक में कंपनी ने आयुर्वेदिक दवाओं के क्षेत्र में इंट्री की
  • साल 1919 में डाबर ने रिसर्च लेबोरेटरी की स्थापना की, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके
  • साल 1920 में नरेंद्रपुर और डाबरग्राम में नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई
  • साल 1936 में डाबर इंडिया (डॉ. एसके बर्मन) प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई
  • साल 1972 में कंपनी का संचालन दिल्ली शिफ्ट किया गया
  • फरीदाबाद में एक अस्थाई परिसर में मैन्युफैक्चर‍िंग प्लांट लगाया गया
  • साल 1979 में गाज‍ियाबाद के साहिबाबाद कारखाने से आयुर्वेदिक दवाओं का उत्पादन शुरू हुआ
  • इसी दौरान डाबर अनुसंधान एवं विकास केंद्र की स्थापना की गई
  • साल 1986 में डाबर एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई
  • साल 1992 में स्पेन की एग्रोलिमेन के साथ ज्वाइंट वेंचर शुरू किया
  • साल 1993 में डाबर ने कैंसर इलाज के क्षेत्र में इंट्री करता है
  • साल 1994 में डाबर ने पहला पब्लिक इश्यू जारी किया
  • साल 1996 में कंपनी ने हेल्थ केयर, प्रोडक्ट डिवीजन, फैमिली प्रोडक्ट डिवीजन और डाबर आयुर्वेदिक स्पेशलिटीज लिमिटेड नाम से 3 अलग-अलग डिवीजन बनाया
  • साल 1998 में पहली बार पारिवार के बाहर का कोई कंपनी का सीईओ बनता है
  • साल 2000 में पहली बार कंपनी का टर्नओवर 1000 करोड़ रुपए के पार हुआ
  • साल 2003 में फार्मा कारोबार को एफएमसीजी कारोबार से अलग किया
  • साल 2007 में डाबर फूड्स के Real ब्रांड के 10 साल पूरे हुए
  • साल 2007 में डाबर फूड्स का डाबर इंडिया में विलय हुआ
  • साल 2009 में डाबर रेड पेस्ट बिलियन रुपी ब्रांड हो गया
  • साल 2011 में डाबर ने पहला विदेशी अधिग्रहण किया. तुर्की की कंपनी होबी कोजमेटिक ग्रुप को खरीदा
  • साल 2011 में डाबर ने स्किन केयर मार्केट में इंट्री की
  • साल 2016 में डाबर गुलाबरी और डाबर लाल दंत मंजन ने 100-100 करोड़ का कारोबार किया

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