
कुछ समय पहले ऑटोमोबाइल कंपनी जगुआर लैंड रोवर पर साइबर हमला हुआ था, जिसके बाद कंपनी को ब्रिटेन में अपने तीन प्लांट करीब एक महीने तक बंद रखने पड़े थे. इस घटना के बाद ईवी ऑटो इंडस्ट्री में साइबर सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गई. इसको लेकर भारत भी अब काफी चिंतित हो रहा है क्योंकि तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम में जहां चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में चीनी कंपोनेंट्स बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहे है, वहां अब डेटा ब्रीच का खतरा बढ़ रहा है.
क्यों बड़ा है यह मुद्दा?
भारत सरकार 'पीएम ई-ड्राइव' स्कीम के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर 72,000 से ज्यादा पब्लिक EV चार्जिंग स्टेशन लगाने की तैयारी कर रही है. इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन चार्जर्स में इस्तेमाल होने वाले चीनी पार्ट्स से साइबर अटैक और डेटा ब्रीच का खतरा काफी हद तक बढ़ सकता है.
दुनिया भर में ईवी चार्जर सप्लाई करने में चीन का काफी दबदबा है. ट्रेड डेटा पोर्टल 'वोल्जा' के मुताबिक, दुनिया भर में एक्सपोर्ट होने वाले करीब 80% ईवी चार्जर चीन में बनते हैं. इतना ही नहीं, चार्जर के जरूरी कंपोनेंट्स जैसे- कनेक्टर्स और पावर मॉड्यूल का 50% से 80% हिस्सा भी चीन से ही आते हैं. भारत में भी ज्यादातर ईवी चार्जर बनाने वाली कंपनियां पार्ट्स के लिए चीन का रुख करती हैं.
कैसे बढ़ सकता है साइबर खतरा?
कार एक्सपर्ट्स बताते हैं कि असली खतरा तब होता है जब ये चार्जर आपकी गाड़ी के साथ कनेक्ट होते हैं. इन दौरान यह आपकी गाड़ी के किसी जरूरी ECU (इलेक्ट्रिकल कंट्रोल यूनिट) के सॉफ्टवेयर को बदल सकते हैं, जिसके कारण आपकी गाड़ी के सॉफ्टवेयर में बदलाव हो जाएगा. ईसीयू इलेकट्रिक गाड़ी के फंक्शन को कंट्रोल करता है. अगर इसके साथ छेड़छाड़ कर दी जाए, तो गाड़ी बिलकुल अलग तरीके से बर्ताव करेगी.
ईसीयू किसी भी ईवी के ज्यादातर फंक्शन को कंट्रोल करता है, जैसे पावरट्रेन, बैटरी मैनेजमेंट और डायग्नोस्टिक्स. ईसीयू को अगर हैक कर लिया जाए तो चार्जिंग प्रोसेस में दिक्कत आ सकती है. साथ ही डेटा चोरी हो सकता है या गाड़ी को रिमोट बेसिस पर कंट्रोल किया जा सकता है.