

हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले युवा किसान उदय प्रताप ने बागवानी के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है. पारंपरिक खेती को छोड़कर हॉर्टिकल्चर को अपनाया और आज वे आम की 30 से अधिक उन्नत किस्में अपने बाग में उगा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि उनके बाग में सिर्फ बड़े पेड़ ही नहीं बल्कि 2 फुट के छोटे पौधों पर भी आम लदे हुए हैं. ये आम भी अलग-अलग रंगों के हैं.
जल्दी फल देने वाली हैं ये वैरायटी
उदय प्रताप ने बताया कि उनके पास आम की जो वैरायटीज हैं, उनमें पूसा श्रेष्ठा, लालिमा, आम्रपाली, नीलम, केसर और अन्य आधुनिक किस्में शामिल हैं. ये सभी जल्दी फल देने वाली हैं और छोटे कद के पेड़ों पर भी अच्छे फल देती हैं. वे बताते हैं कि जहां पहले की पारंपरिक किस्मों में पेड़ ऊंचे होते थे और फलों की मात्रा भी कम होती थी, वहीं अब नई किस्मों में पौधे बेशक छोटे होते हैं लेकिन फल भरपूर आते हैं.
छोटे पेड़ों में भी आते हैं फल
आम्रपाली और अरुणिमा जैसी किस्में छोटे आकार के बागों में भी लगाई जा सकती हैं. उदय बताते हैं कि कई ऐसे पेड़ हैं जिनकी ऊंचाई 15 फुट से ज्यादा नहीं है, जिससे देखभाल और तुड़ाई का काम भी आसान होता है.
उदय प्रताप का बाग ऑर्गेनिक खेती का बेहतरीन उदाहरण है. उन्होंने बताया कि उनके बाग से सीधे लोग फल खरीदने आते हैं. आम के अलावा सेब, आड़ू, नाशपाती जैसे अन्य फल भी वे उगा रहे हैं. उनका आम पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है, जिसे पेड़ पर ही पकने दिया जाता है. इस वजह से इसका स्वाद भी बेहतरीन होता है और मार्केट में इसकी कीमत 250 से 300 रुपये प्रति किलो तक आराम से मिलती है.
केवल 2 फुट के पौधों से आम की बंपर पैदावार, कमाई लाखों में
उन्होंने यह भी बताया कि एक छोटे आम के पेड़ से वे करीब 20-25 किलो फल प्राप्त करते हैं. इस हिसाब से एक पेड़ से उन्हें 6 से 7000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है. उनके पास करीब 300 आम के पेड़ हैं, जिससे सालाना अच्छा मुनाफा होता है. इस तरह साल भर में वे 18 लाख से 22.5 लाख रुपये तक कमाई कर लेते हैं. इसके साथ-साथ वे मदर ब्लॉक तैयार करते हैं जिससे उच्च गुणवत्ता वाले पौधे तैयार किए जाते हैं.
बीटेक की डिग्री लेने के बाद खेती को चुना, 16 लोगों को दे रहे रोजगार
उदय प्रताप किसानों के लिए नॉलेज सेंटर की भूमिका निभा रहे हैं. वे देशभर से आने वाले किसानों को न सिर्फ आधुनिक बागवानी के तरीके बताते हैं बल्कि उन्हें अच्छी वैरायटी के पौधे भी दिखाते और उपलब्ध करवाते हैं. किसानों की सहायता के लिए वे नियमित रूप से कैंप भी आयोजित करते हैं और मल्टीलेयर फार्मिंग जैसी तकनीकों को सिखाते हैं, जिससे एक एकड़ में भी किसान अधिक मुनाफा कमा सकता है. उन्होंने बताया उनके पिता भी खेती करते हैं. उन्होंने बताया, मैंने ग्रेजुएशन करने के बाद बीटेक की अगर मैं चाहता तो नौकरी भी कर सकता था और विदेश में भी जा सकता था लेकिन मैंने सोचा नौकरी करने की बजाय नौकरी देना अच्छा होगा. आज उनके साथ 16 लोग रोजगार पा रहे हैं.
14 एकड़ में फैले उनके फार्म पर आम के अलावा सेब, आलू बुखारा, आड़ू, चीकू, अंजीर, नाशपाती जैसे कई प्रकार के फल उगाए जा रहे हैं.