Donkey Milk Skincare Brand (Photo: Instagram/Organiko)
Donkey Milk Skincare Brand (Photo: Instagram/Organiko) दोस्तों के साथ गोवा की ट्रिप- यह सपना हर कोई अपने कॉलेज टाइम में देखता है. लेकिन वह गोवा ट्रिप ही क्या जो दो-चार बार कैंसिल न हो? लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी लड़की की कहानी जिन्होंने गोवा ट्रिप का सपना देखा, ट्रिप के लिए सेविंग्स की, लेकिन ट्रिप नहीं की. और जो पैसे ट्रिप के लिए बचाए उससे कुछ ऐसा किया कि आज देशभर में लोग उन्हें जानते हैं.
यह कहानी है पूजा कॉल की, जिन्होंने अपनी मास्टर्स की पढ़ाई के दौरान गोवा ट्रिप के लिए सेविंग्स की और फिर उसी पैसे से अपना ब्रांड शुरू कर दिया- Organiko. पूजा ने साल 2016 में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई में पढ़ते हुए गोवा ट्रिप के लिए 26,000 रुपये बचाए थे. उन्होंने इन पैसों से गधी के दूध से स्किनकेयर प्रोडक्ट्स बनाने का एक छोटा स्टार्टअप शुरू किया.
उनकी यह पहल आज एक सोशल इंटरप्राइज "Organiko" में बदल चुकी है, जो दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश के 150 से ज्यादा परिवारों को रोजगार का साधन दे रही है.
कैस मिला आइडिया?
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पूजा को यह आइडिया महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक फील्ड प्रोजेक्ट के दौरान आया, जहां उन्होंने लश्कर समुदाय के प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की. ये लोग गधों का इस्तेमाल ईंट भट्टों और निर्माण स्थलों पर करते हैं, लेकिन सीमित आय के कारण अपने पशुओं की देखभाल नहीं कर पाते.
पूजा ने देखा कि गधी का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है. लेकिन इसकी कोई मांग नहीं है. यहां से उन्हें इस दूध में वैल्यू-एडिशन करके ऑर्गनिक प्रोडक्ट्स बनाने का आइडिया आया. उन्होंने इस पर काम करने का फैसला किया.
कैसे की स्टार्टअप की फंडिंग?
पूजा ने गोवा ट्रिप के लिए जमा किए 26,000 रुपयों का इनवेस्ट करने का प्लान बनाया. हालांकि, यह रकम काफी नहीं थी तो उन्होंने क्राउडफंडिंग की. इससे उन्हें 34,000 रुपये और मिल गए. इस रकम से उन्होंने पहला साबुन बैच तैयार किया. पूजा ने अपनी मां के घरेलू नुस्खों से प्रेरणा लेकर साबुन बनाना सीखा, और कॉलेज के पास किराए के कमरे में खुद से प्रयोग शुरू किए. दिल्ली लौटने पर उन्होंने प्रोडक्ट्स को पब्लिक एग्ज़िबिशन में दिखाया. पूजा को पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला. इसके बाद उन्होंने अपने ब्रांड को औपचारिक रूप से "Organiko" के नाम से रजिस्टर कराया.
क्या-क्या प्रोडक्ट्स बनाता है Organiko?
गधी का दूध स्वच्छ और कंट्रोल्ड एनवायरमेंट में इकट्ठा किया जाता है. दूध हर दूसरे दिन निकाला जाता है. ज्यादा दूध के लिए जनवरों को स्ट्रेस में नहीं डाला जाता. उनके बच्चों को दूध पिलाने के बाद ही बचा हुआ दूध इकट्ठा होता है.
कितने लोगों को दिया रोजगार?
आज बहुत से ग्रामीण परिवार Organiko से जुड़े हुए हैं और इनकी आमदनी में तीन गुना तक इज़ाफा हुआ है. हापुड़, उत्तर प्रदेश के एक मजदूर ने 2019 में इस ब्रांड के साथ जुड़कर 1,300 रुपये प्रति लीटर की दर से गधी का दूध बेचना शुरू किया.
पहले जहां उनकी आमदनी 5,000 रुपये के आसपास थी, अब यह 14,000 रुपये तक पहुंच गई है. यह एक ऐसा आय स्रोत है जो पहले उनके लिए मौजूद ही नहीं था. यह स्टार्टअप आज लगभग 150 परिवारों का जीवन बदल रहा है.
गधी पालन को मिली सरकारी मान्यता
2024 में भारत सरकार के पशुपालन विभाग ने गधी पालन को 'राष्ट्रीय पशुधन मिशन' के तहत शामिल कर लिया. इससे अब इच्छुक लोग सरकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी और ट्रेनिंग जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं. Organiko न सिर्फ एक इनोवेटिव स्टार्टअप है, बल्कि यह ग्रामीण भारत में आजीविका, महिला सशक्तिकरण, और पारंपरिक ज्ञान के ज़रिए सस्टेनेबल बिज़नेस मॉडल की मिसाल बन रहा है.
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