
सनातन परंपरा में सिंदूर का महत्व न केवल पूजन, परंपरा, लोकाचार और सुहाग से जुड़ा है, बल्कि अटूट आस्था और विश्वास से भी जुड़ा है. लेकिन सबसे ज्यादा अगर सिंदूर किसी के लिए विश्वास और आस्था का प्रतीक है तो वे सुहागन महिलाएं हैं. सिंदूर सनातन धर्म में सुहागनों की सुहाग की निशानी के अलावा पति के लंबी और निरोगी जीवन के विश्वास से भी जुड़ा है. ऐसे में सिंदूर के बड़े कारोबार से लेकर, इसकी आस्था और विश्वास को समझते है.
सिंदूर का कारोबार-
सिंदूर के पौराणिक महत्व और मान्यताओं के अलावा इसके बाजार को भी समझना जरूरी है. यूँ तो वाराणसी पूरे पूर्वांचल का व्यापारिक हब माना जाता है और यहां कई ऐसी बड़ी होलसेल मंडी हैं, जो अलग-अलग उत्पाद को न केवल पूर्वांचल, बल्कि देश के कोने-कोने तक की जरूरत को पूरा करती है. उन्हीं में से एक वाराणसी के गोला दीनानाथ का कलर मार्केट है. पिछले कई दशक से रंग और सिंदूर के व्यापारी बृजरमन कुशवाहा की माने तो उनकी मंडी से न केवल पूर्वांचल के कोने-कोने में सिंदूर पहुंचता है, बल्कि मध्य प्रदेश और बिहार तक भेजा जाता है. वाराणसी में सिंदूर दो प्रकार का निर्मित होता है. एक लेड आक्साइड से जो विवाह में और हनुमान जी को चढ़ाया जाता है तो दूसरा स्टार्च यानी आरारोट से. आरारोट वाले सिंदूर की डिमांड सबसे ज्यादा होती है और वे लगभग 5-10 लाख सालाना का कारोबार कर लेते हैं.
वहीं एक अन्य सिंदूर कारोबारी अनूप कृष्ण गुप्ता ने बताया कि फिलहाल सिंदूर का काम सामान्य चल रहा है. विवाह-लगन के वक्त इसमे तेजी आ जाती है. सिर्फ उनका सिंदूर का कारोबार 40-50 लाख रुपए सालाना का है और जहां तक पूरे वाराणसी में सिंदूर का कारोबार करोड़ों रुपए के टर्नओवर का है. उन्होंने बताया कि सिंदूर का इस्तेमाल मूर्तियों, पूजापाठ और महिलाओं के मांग भरने के काम आता है. सभी शुभ काम में सिंदूर का इस्तेमाल होता है. वहीं सिंदूर पैकिंग के काम में लगे मजदूर शिवम ने बताया कि उन्हे ये काम पसंद है, क्योंकि इससे उनकी रोजीरोटी तो चलती ही है साथ ही वे पुण्य का भी काम करते है.
वाराणसी के कलर मार्केट में दूर-दराज से छोटे व्यापारी और विक्रेता सिंदूर खरीदने आते है. शक्तिनगर से आए राजेश ने बताया कि वाराणसी में बने सिंदूर की न केवल क्वालिटी अच्छी होती है, बल्कि रेट भी वाजिब होता है. इसलिए वे हमेशा सिंदूर बेचने के लिए वाराणसी के गोला दीनानाथ रंग बाजार से ही खरीदारी करते हैं.
सिंदूर की महत्ता-
सिंदूर को लेकर सबसे ज्यादा आस्था विवाहित महिलाओं में रहती है. उनका मानना है कि सिंदूर न केवल सुहाग की निशानी है, बल्कि शुभता का ही प्रतीक है. शादी वाले दिन से ही वे सिंदूर लगाने लगती है और जब सुहाग की सलामती तक लगाती रहती है. इसके लगाने से उनके सुहाग की रक्षा होती है और उनकी जीवन भी निरोगी और लंबा होता है. इसके अलावा सिंदूर देवी पूजन में प्रयोग होता है और हनुमान जी के अलावा किसी भी पूजा की शुरूआत में गणेश जी को भी चढ़ाया जाता है. इसलिए एक विवाहित महिला के जीवन में सबसे अहम होता है सिंदूर.
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