किसी भी निवेश करने वाले निवेशक (Investor) केवल यह सोचते हैं कि उनके निवेश पर उनको ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिले. बता दें कई नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के निवेशक अनजाने में करीब 22 लाख रुपए छोड़ देते हैं, जिसपर उन्हें रिटर्न मिल सकता था. बिजनस टुडे (Business Today) की एक खबर के अनुसार, एक एडवाइज़र (Advisor) का कहना है कि ज्यादा पैसा कमाने का तरीका यह नहीं कि आप ज्यादा पैसा निवेश करें, बल्कि आप उन बढ़ती उम्र से साथ अपने एसेट (Asset) को मिक्स करते रहें.
कई एनपीएस के निवेशक तय समय के लिए निवेश करते हैं, और उसे उसके बाद उसी हालत पर छोड़ देते हैं एक प्लान की तरह. लेकिन जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो में उम्र के साथ-साथ फेरबदल करते रहते हैं, उन्हें ज्यादा रिटर्न मिलने के चांस होते हैं वो भी निवेश की रकम में बढ़ोतरी किए बिना.
पोर्टफोलियो में बदलाव करने का एक सिंपल तरीका है. इसका तरीका है कि आप शुरुआती उम्र में इक्विटी में निवेश करें, इससे आपकी कम्पाउंडिंग मजबूत होती है. बाद में आगे चलकर इक्विटी में कम करें और बॉन्ड की तरफ बढ़ जाए. इससे आपके रिटायमेंट के समय रिस्क कम होगा, और निवेश की हुई राशि पर रिटर्न भी अच्छा मिलेगा.
यहां जानें क्या है फॉर्मूला?
कैसे पड़ेगा असर?
अगर कोई 35 वर्षीय 10 हज़ार महीना जमा करता है तो 9 फीसदी रिटर्न रेट के हिसाब से रिटायनमेंट पर 1.04 करोड़ मिलते हैं. वहीं इसके विपरीत 82 लाख मिलते हैं 8 फीसदी रिटर्न रेट पर. यहां साफ 22 लाख का फर्क होता है.
यह तरीका इसलिए काम करता है क्योंकि शुरुआत में इक्विटी से कम्पाउंडिंग बढ़ती है. बाद में बॉन्ड के कारण नुकसान होने का असर कम हो जाता है. आखिर में एसेट को बैलेंस करने के कारण लॉन्ग टर्म रिटर्न मिलता है. ऐसे में जो निवेशक एक करोड़ का टार्गेट लेकर चलते हैं उनके लिए यह रणनीति काफी कारगर है.