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Success Story: 40 से ज्यादा गांवों की तस्वीर बदल रहा है Farm Didi स्टार्टअप, 1000 से ज्यादा महिलाओं को मिला रोजगार

महाराष्ट्र में रहने वाली मंजरी शर्मा Farm Didi नाम से अपना स्टार्टअप चला रही हैं जिससे 1000 से ज्यादा महिलाओं को काम मिला है और साथ ही, उन्हें एक अलग पहचान दी है. मंजरी का उद्देश्य इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का है.

Farm Didi Success Story (Photo: Website/Farm_Didi) Farm Didi Success Story (Photo: Website/Farm_Didi)
हाइलाइट्स
  • महिलाओं को दी मार्केटिंग पर ट्रेनिंग 

  • Shark Tank India से मिली फंडिंग 

IIM कलकत्ता में अपने प्रोजेक्ट के दौरान मंजरी शर्मा ने बिहार के तीन जिलों की यात्रा की और इस यात्रा ने न सिर्फ उनकी सोच बल्कि जिंदगी की दिशा बदल दी. महाराष्ट्र में Farm Didi नाम से अपना फूड स्टार्टअप चला रही मंजरी आज न सिर्फ ग्राहकों तक अच्छे उत्पाद पहुंचा रही हैं बल्कि बहुत सी महिलाओं की जिंदगी भी बदल रही हैं.  

साल 2016 में, अपने IIM प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में, मंजरी ने महिला सशक्तिकरण की स्थिति को समझने के लिए बिहार राज्य सरकार के साथ काम किया. उन्होंने राज्य में लगभग 15 दिन बिताए और पहली बार ग्रामीण भारत में देखा कि कृषि में महिलाओं का कितना ज्यागा योगदान है. यहां गांवों में पुरुष काम के लिए शहरों में चले गए थे, जबकि महिलाएं अर्थव्यवस्था चला रही थीं - चाहे वह कृषि हो, परिवारों की देखभाल करना हो, पीने का पानी खरीदना हो, खेतों में काम करना हो या घरेलू काम करना हो. हर महिला मल्टी-टास्किंग में माहिर थी. 

महिलाओं में देखी और कमाने की चाह 
बेगुसराय, खगड़िया और पटना जिलों के दौरे के दौरान, मंजरी ने विभिन्न गांवों की महिलाओं से बातचीत की. यहीं पर उन्होंने स्वयं सहायता समूहों (SHG) की शक्ति को प्रत्यक्ष रूप से देखा. वह जहां भी गई, महिला सशक्तिकरण को देखकर खुश थी, लेकिन यह स्पष्ट रूप से पर्याप्त नहीं था. वह जिस भी महिला से मिली, उसने उनसे यही पूछा, 'दीदी हम और क्या कर सकते हैं?' प्रोजेक्ट खत्म होने और यहां तक की पढ़ाई खत्म होने के बाद भी महिलाओं का यह सवाल मंजरी के मन में रहा. उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान रिसर्च की और फि अपना स्टार्टअप शुरू किया. 

मंजरी ने 2021 में ग्रामीण महाराष्ट्र के 80 गांवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए फार्म दीदी की शुरुआत हुई. पांच साल तक पुणे में रहने और मराठी को अच्छी तरह समझने के बाद, मंजरी को लगा कि उद्यम शुरू करने के लिए महाराष्ट्र अच्छी जगह है. मंजरी ने देखा महिलाएं काम कर रही हैं लेकिन उनके पास मार्केटिंग एक्सपर्टीज नहीं हैं. इन महिलाओं को पैकेजिंग के बारे में नहीं पता था, खुदरा विक्रेता से कैसे बात करनी है, या कहां बेचना है- ये सब नहीं पता. 

महिलाओं को दी मार्केटिंग पर ट्रेनिंग 
उन्होंने दीदी बिजनेस नामक एक ऐप के लिए एक पायलट लॉन्च किया, जहां महिला उद्यमी अपने उत्पादों को सूचीबद्ध कर सकती थीं और सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकती थीं, और लगभग 100 एसएचजी को इसमें शामिल किया. लेकिन जब उत्पादों की गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता को समझने की बात आई तो उन्हें खामियां नजर आईं. तब मंजरी ने जल्द ही SHG से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित करने पर काम करना शुरू कर दिया. 

फार्म दीदी की प्रक्रिया सरल है. इसकी शुरुआत लोकल NGO के साथ साझेदारी से होती है जो पहले से ही क्षेत्र में एसएचजी के साथ काम कर रहे हैं. उदाहरण के लिए रायगढ़ में स्वदेस फाउंडेशन एनजीओ ने फार्म दीदी को अच्छे बैकग्राउंड वाले एसएचजी की पहचान करने में मदद की. इसके बाद, इन समूहों की महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता है और अगर उनका उत्पाद ऑनबोर्ड होता है, तो उन्हें व्यंजनों में भी मदद की जाती है. उत्पादों के क्वालिटी चेक के बाद उन्हें पैक किया जाता है और सीधे उपभोक्ताओं को या अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट जैसे ईकॉमर्स मार्केटप्लेस के माध्यम से भी बेचा जाता है.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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Shark Tank India से मिली फंडिंग 
फार्म दीदी के अभी 20 SKU हैं जिसमें अचार, पापड़, चटनी और उपहार बॉक्स शामिल हैं. सभी उत्पाद प्रीजर्वेटिव मुक्त हैं. मंजरी संस्थापक और प्रमुख दीदी हैं, और 16 सदस्यीय टीम के साथ काम करती हैं. फार्म दीदी ने अब तक 40 गांवों में 108 एसएचजी का हिस्सा, 1,080 महिलाओं के साथ काम किया है. ये मुख्य रूप से रायगढ़ और औरंगाबाद में हैं, और स्टार्टअप जल्द ही शोलापुर, कोल्हापुर और अमरावती तक विस्तारित होगा. 

हाल ही में, स्टार्टअप को Shark Tank India Season 3 में अच्छी फंडिंग भी मिली है. और मंजरी के प्रयासों की सराहना भी हुई. मंजरी कहती हैं, उनकी योजना पुणे में लगभग 300 खुदरा विक्रेताओं के साथ काम करने और मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता और टियर I शहरों में विस्तार करने और अंततः ग्रामीण भारत में दस लाख लोगों को प्रभावित करने की है.