
कहते हैं कि “उम्र महज एक संख्या है,” और प्रांजलि अवस्थी इस कहावत की एक शानदार मिसाल हैं. महज 16 साल की उम्र में, इस भारतीय अमेरिकी लड़की ने एक टेक कंपनी की स्थापना की जिसकी नेटवर्थ आज करीब 100 करोड़ रुपये है. जिस उम्र में बच्चे यह समझने की कोशिश करते हैं कि उन्हें जिंदगी में क्या करना है, वहां प्रांजलि ने स्टार्टअप दुनिया में अपनी पहचान बना ली है. उनकी सफलता की कहानी दुनियाभर के युवाओं को प्रेरित कर रही है और यह साबित कर रही है कि नवाचार की कोई उम्र नहीं होती.
7 साल की उम्र से शुरू हुआ सफर
प्रांजलि सिर्फ 7 साल की थीं, जब उन्होंने अपने पिता की मदद से प्रोग्रामिंग भाषाएं सीखनी शुरू कर दी थीं. उनके पिता एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं. समय के साथ उनकी तकनीक के प्रति रुचि और भी गहरी होती गई. जब वह 11 साल की थीं, तब उनका परिवार भारत से अमेरिका चला गया. अमेरिका में उन्हें सीखने और पढ़ने के बेहतर अवसर मिले. फ्लोरिडा में उन्होंने कंप्यूटर साइंस और प्रतियोगी गणित की पढ़ाई की, जिसने उनकी तकनीकी नींव को और मजबूत किया.
शुरू किया अपना स्टार्टअप
आज प्रांजलि अवस्थी Delv.AI नामक एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप की संस्थापक और सीईओ हैं. यह कंपनी रिसर्चर्स को अकादमिक कंटेंट से जानकारी निकालने और उसकी समरी तैयार करने में मदद करती है. कंपनी की शुरुआत 2022 में हुई थी और आज इसकी वैल्यू लगभग 100 करोड़ रुपये (लगभग 1.2 करोड़ डॉलर) आंकी गई है. कम उम्र के बावजूद, प्रांजलि ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपनी क्रांतिकारी सोच के कारण सुर्खियां बटोरी हैं.
निजी अनुभव से मिला आइडिया
जब वह सिर्फ 13 साल की थीं, तब उन्होंने फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के मशीन लर्निंग लैब में इंटर्नशिप शुरू की. वहां उन्होंने प्रोजक्ट्स में मदद की, जिसमें जानकारी इकट्ठा करना, रिसर्च करना और लिटरेचर रिव्यू शामिल था. इस इंटर्नशिप के दौरान ही OpenAI ने ChatGPT-3 का बीटा वर्जन जारी किया था. प्रांजलि ने तुरंत यह अवसर पहचाना. उन्होंने महसूस किया कि जेनरेटिव AI रिसर्च वर्क को कितना आसान और तेज़ बना सकता है, यही विचार उनके स्टार्टअप की नींव बना.
इस समय Delv.AI में करीब 10 लोगों की एक छोटी सी टीम काम कर रही है. यंग होने के बावजूद, प्रांजलि कंपनी के विभिन्न पहलुओं को खुद संभाल रही हैं. कोडिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट से लेकर कस्टमर सर्विस और ऑपरेशन तक, वह हर विभाग में एक्टिवली काम करती हैं. उनकी कहानी इस बात की मजबूत मिसाल है कि अगर जुनून, लगन और लक्ष्य साथ हों, तो कोई भी उम्र असाधारण उपलब्धियां हासिल करने में बाधा नहीं बन सकती.