
केरल के मणक्कनाड (कोट्टायम) में रहने वाले मल्टीमीडिया ग्रेजुएट जोसमोन एक अनोखा बिजनेस चला रहे हैं. वह किसानों के खेतों में बची एक्स्ट्रा फल-सब्जियों को ड्राई करके बेच रहे हैं और इससे उनका सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपये सालाना हो रहा है. उन्हें इस बिजनेस का आइडिया किसानों के खेतों में बहुत बार काफी ज्यादा मात्रा में सब्जियों को खराब होता देखकर आया.
हमारे देश में बहुत सी उपज चाहे वह फल-सब्जियां हो या अनाज, दलहन, काफी ज्यादा मात्रा में सही स्टोरेज की कमी के चलते खराब हो जाती है. बहुत बार किसानों को बाजार में फसलों का सही दाम नहीं मिलता है और सही दाम न मिलने पर उनकी उपज खेतों में ही खराब होने लगती है. जोसमोन ने अपने गांव में यही परेशानी देखी. यह देखकर उन्होंने एक समाधान के रूप में सब्ज़ियों को सुखाने की यूनिट शुरू करने की संभावना देखी.
किसानों की मदद करने के इरादे से शुरू हुई यह पहल अब जोसेमोन के लिए एक सफल एग्री-स्टार्टअप में बदल चुकी है, जो सालाना ₹25 लाख का टर्नओवर कमा रही है. खेती या फूड टेक्नोलॉजी में कोई औपचारिक ट्रेनिंग न होने के बावजूद, जोसेमोन ने 2023 में 9 लाख रुपये का निवेश कर एक अत्याधुनिक डिहाइड्रेशन यूनिट स्थापित की.
आज उनकी यूनिट हर महीने 2,000 किलोग्राम से ज्यादा उत्पादन को सुखाती है, जिसमें कटहल, कसावा (टैपिओका), केला, नारियल और यहां तक कि मांस भी शामिल हैं.
उन्होंने ओपन डाइजेस्ट को बताया कि वह अक्सर किसानों को देखते थे जो अपनी सब्ज़ियों को खपने के इंतजार में खेतों या आंगनों में सड़ते हुए देखते थे, सिर्फ इसलिए क्योंकि उस समय खरीदार नहीं मिलते थे. तभी उन्हें एहसास हुआ कि डिहाइड्रेशन (सुखाने की प्रक्रिया) एक समाधान हो सकता है.
उन्होंने सबसे पहला एक्सपेरिमेंट एक छोटे ड्रायर पर किया जो उनके पिता ने कुछ साल पहले खरीदा था. जब उन्होंने नारियल और केले को सुखा कर स्थानीय किसानों को दिया, तो काफी पसंद किया गया और धीरे-धीरे ज्यादा किसान उनसे संपर्क करने लगे.
जोसमोन का स्टार्टअप सब्ज़ियों को धोने और काटने के बाद सुखाता है, जिससे बिना किसी प्रिज़रवेटिव के लंबे समय तक उन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है. जोसेमोन ने JME Enterprises नाम से एक ब्रांड की भी शुरुआत की है जिसके तहत ये सूखे उत्पाद फ्रेश पैकेजिंग करके बेचे जाते हैं.
जोसमोन को किसान और ग्राहकों दोनों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है और अब वह अपनी यूनिट का विस्तार करना चाहते हैं और सूखे फल व सब्ज़ियों को मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) देशों में निर्यात करने की योजना बना रहे हैं. उनका लक्ष्य किसानों की मदद करना था. लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह एक सफल व्यवसाय भी बन सकता है.