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छठ के अवसर पर हुआ 50 हजार करोड़ का कारोबार, जीएसटी की कटौती व्यापार में वृद्धि में बड़ा कारण

छठ पर्व की समाप्ति के बाद किए गए एक आंकलन के अनुसार देश भर में लगभग 10 करोड़ से अधिक लोगों ने छठ पर्व मनाया तथा मोटे तौर पर बिहार एवं झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में छठ पर्व पर लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ.

आज देश भर में संपन्न हुए छठ पूजा महापर्व ने जहां देश की संस्कृति एवं सभ्यता का दर्शन कराया वहीं बड़े स्तर पर इस महापर्व का आर्थिक प्रभाव भी इस बार दिखाई दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी वस्तुओं को बेचने एवं ख़रीदने के आवाहन तथा जीएसटी की दरों में कटौती के साथ लोगों की आस्था और विश्वास का अद्भुत संगम इस बार छठ पर्व पर काफ़ी बड़ा दिखाई दिया. 

छठ पर्व की समाप्ति के बाद आज किए गए एक आंकलन के अनुसार देश भर में लगभग 10 करोड़ से अधिक लोगों ने छठ पर्व मनाया तथा मोटे तौर पर बिहार एवं झारखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों में छठ पर्व पर लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ. दिल्ली में ही यह कारोबार लगभग 8 हज़ार करोड़, बिहार में लगभग 15 हज़ार करोड़ एवं झारखण्ड में लगभग 5 हज़ार करोड़ का व्यापार हुआ. यह अध्यन कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) द्वारा भारत की सनातन अर्थव्यवस्था पर लगातार जारी एक अध्ययन परियोजना का हिस्सा हैं जिसमें हर वर्ष त्योहारों एवं शादियों पर भारत में एक वर्ष में कितना खर्चा किया जाता है.

दिल्ली सरकार ने तैयार किए 1500 घाट
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा दिल्ली चांदनी चौक के सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की छठ पर्व के पारंपरिक राज्य बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल में छठ के प्रमुख सबसे बड़े घाट, सर्वाधिक श्रद्धालु एवं सामान की अधिकतम स्थानीय मांग हुई. वहीं दिल्ली तथा एनसीआर क्षेत्र में बड़ी पूर्वांचली आबादी के कारण बड़ा व्यापार हुआ. दिल्ली सरकार द्वारा लगभग 1,500 घाट तैयार किए गए. पूजा सामग्री, अस्थायी ढांचों, सुरक्षा व सफाई सेवाओं पर बड़ा खर्च हुआ. पश्चिम बंगाल में प्रवासी समुदायों के कारण गंगा तटों पर व्यापक आयोजन हुए वहीं मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों में तालाबों और घाटों की मरम्मत व नई सुविधाएं विकसित कीं.

किन चीज़ो से बढ़ा व्यापार
ओडिशा, कर्नाटक, तेलंगाना आदि में प्रवासी जनसंख्या के चलते स्थानीय बाजारों में उल्लेखनीय खरीदारी दर्ज की गई. उन्होंने कहा की पारंपरिक राज्यों के अतिरिक्त अब छठ उत्सव का आर्थिक प्रभाव महानगरों और नए राज्यों तक फैल चुका है, जहां प्रवासी समुदायों ने वस्तुओं की स्थानीय मांग को बढ़ाया. खंडेलवाल ने कहा कि छठ पर्व पर हुई खरीदारी में कृषि उत्पाद जैसे केला, गन्ना, नारियल, मौसमी फल, चावल, अनाज आदि. वहीं प्रसाद एवं मिठाई में ठेकुआ, खीर की सामग्री, लड्डू, गुड़ उत्पाद, पूजन सामग्री में टोकरी, दीये, पत्तल, फूल, मिट्टी के बर्तन, पैकिंग सामग्री तथा घाट निर्माण, लाइटिंग, सुरक्षा, सफाई, नाव सेवा आदि पर्व संबंधित सेवाओं के कारोबार में भी बड़ी वृद्धि हुई.

स्वदेशी छठ अभियान से मिली ताकत
खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के आह्वान को व्यापारिक संगठनों तथा लोगों ने व्यापक रूप से अपनाया. देश भर में स्थानीय बाजारों में “स्वदेशी छठ” अभियानों के तहत स्थानीय ठेकुआ निर्माताओं, मिट्टी के बर्तन, बांस व केले की टोकरी बनाने वालों और गुड़ उत्पादकों को बढ़ावा मिला जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय हस्तशिल्प और घरेलू उत्पादों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई.

जीएसटी कटौती से भी बढ़ा व्यापार
खंडेलवाल ने कहा कि वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित जीएसटी बचत उत्सव में बड़ी मात्र में जीएसटी दरें घटाई गईं, जिससे दिवाली की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. वहीं प्रभाव छठ पर्व की खरीदारी में देखा गया दिवाली-छठ की संयुक्त उत्सवी भावना से कुल मांग में इज़ाफ़ा हुआ. देशभर में घाट-संबंधित कार्यों, स्थानीय निकायों द्वारा की गई तैयारियों और पूरक सेवाओं पर कुल व्यय सैकड़ों से हज़ारों करोड़ रुपये तक आंका जा सकता है. छठ पर्व का रोज़गार पर भी खासा प्रभाव हुआ है. अस्थायी दुकानदारों, ठेकुआ निर्माताओं, सफाईकर्मियों, नाविकों, सुरक्षा एवं परिवहन कर्मियों के लिए अल्पावधि रोजगार सृजन भी हुआ है.