scorecardresearch

ShareChat Layoffs: 7 साल पहले 3 लोगों ने शुरू किया था ShareChat, 14 असफलताओं के बाद मिली कामयाबी... जानें कंपनी के सफर की पूरी कहानी

2015 में IIT कानपुर से निकले तीन छात्रों ने ShareChat की शुरुआत की थी. जिसका वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 419.2 करोड़ का रेवेन्यू रहा. इस कंपनी ने आज अपने 20 फीसद कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. आइये जानते है ये कंपनी कैसे शुरू हुई और किस तरह से ये इतनी बड़ी कंपनी बनी.

ShareChat ShareChat
हाइलाइट्स
  • IIT कानपुर के तीन छात्रों ने मिलकर शुरू किया

  • शेयरचैट का पहले नाम ओपनियो था

8 साल पहले IIT कानपुर के तीन छात्रों ने मिलकर सोशल मीडिया और सोशल नेटवर्किंग शेयरचैट एप की शुरुआत की थी. ये एक ऐसा ऐप है जहां पर यूजर्स अपना कंटेंट क्रिएट भी कर सकते हैं और खुद इसे डायरेक्ट भी कर सकते हैं. इस ऐप को गूगल प्ले स्टोर पर से 3 मिलियन से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है. इस कंपनी को जहां 2015 में तीन लोगों ने मिलकर शुरू किया था उसी कंपनी के 20 फीसद लोगों को आज अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. हम यहां पर आपको शेयरचैट ऐप कैसे शुरू हुआ और किस तरह से यह कामयाबी के शिखर पहुंचा. 

तीन लोगों ने मिलकर शुरू किया शेयरचैट
एक इंटरव्यू में शेयरचैट के को-फाउंडर फरीद एहसान ने बताया है कि IIT कानपुर से ग्रेजुएशन करने के बाद वह अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्टार्टअप शुरू करने के बारे में प्लान बना रहे थे. इस दौरान उन्हें पता चला कि भारत में ऐसा कोई प्लेटफार्म नहीं है, जहां पर लोग एक दूसरे को जाने बिना चैट कर सकें. जब इसे बनाया गया तब इसका नाम ओपनियो था. इस प्लेटफॉर्म का शेयरचैट 2015 में रखा गया. 

शुरुआत में मिला अच्छा रिस्पॉन्स
शेयरचैट को शुरू करने के बाद ही उन्हें अच्छे यूजर्स मिल गए थे. जिस समय इसकी शुरुआत हुई थी उस दौरान देश में करीब 25 करोड़ इंटरनेट यूजर्स थे. जिसमें से करीब 1 से 2 करोड़ लोग ही शेयरचैट पर आए थे. जो सिर्फ अपनी भाषा का इस्तेमाल करते थे. तब उन्होंने इसपर काम किया और इसपर देश की करीब 15 भाषाओं में अवेलेबल कराया. जिसके आने के बाद काफी यूजर्स बढ़े. 

शेयरचैट के बाद मोज को किया लॉन्च
2020 में टिक टॉक बैन होने के बाद उन्होंने मोज नाम से एक ऐप लॉन्च किया. जिसे लोग टिक टॉक की तरह ही शॉर्ट वीडियो देख सकते हैं. फरीद ने इस ऐप को लाने के पीछे का कारण बताया है कि इस ऐप का नाम मोज इसलिए रखा क्योंकि लोग छोटे शहर से हों या बड़े शहर से, इससे फर्क नहीं पड़ता, उन्हें तो बस मोज करनी है. 

ऐसे जनरेट करते हैं रेवेन्यू
शेयरचैट अपना रेवेन्यू सबसे ज्यादा विज्ञापन के जरिए जेनरेट करता है. इसके अवाला ये वर्चुअल गिफ्टिंग, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग के भी जरिए हम रेवेन्यू जेनरेट करते है. 

शेयरचैट की आर्थिक स्थिति
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में शेयरचैट की विज्ञापन 30 फीसद पिछले वित्त वर्ष के तुलना में बढ़ा है. कंपनी का खर्च पिछले साल 3,407.5 करोड़ रुपये रहा. नॉन ऑपरेटिंग एक्सपेंस के कारण शेयर चैट को घाटा 2498.6 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,988.6 करोड़ रुपये हो गई है. बता दें कि ShareChat को Google और Teamasek से फंडिंग मिली है.