
यह कहानी है फार्मास्यूटिकल कंपनी ‘सावा ग्रुप’ के चेयरमैन, विनोद जाधव की. आपको बता दें कि SAVA Healthcare भारत में स्थापित हुई लेकिन दुबई में भी अपने पैर पसार रही है. पुणे के एक साधारण परिवार में पले-बढ़े विनोद के पिता एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. उनके बचपन के दिन सरकारी स्कूलों की सीमित सुविधाओं में बीता. उनके सपने छोटे थे लेकिन इरादे मजबूत. उन सीमित संसाधनों के बीच उन्होंने मेहनत, अनुशासन और नैतिकता को अपना साथी बनाया.
आज वह दुबई से अपने फार्मा एम्पायर को आगे बढ़ा रहे हैं और दुबई हिल्स एस्टेट में उनका 40,000 वर्ग फुट में आलीशान घर है. उनका घर भारतीय संस्कृति और अरबी वास्तुकला का अद्वितीय संगम है. यह घर सिर्फ लग्जरी नहीं, बल्कि शांति का प्रतीक है जो उनकी सादगी और शालीनता से प्रेरित है.
13 साल तक किया अलग-अलग सेक्टर्स में काम
विनोद की सफलता की कहानी बहुत प्रेरक है. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लेने के बाद उन्होंने 13 साल तक विभिन्न क्षेत्रों में काम किया. उन्होंने गल्फ न्यूज को बताया कि वे 13 साल उनके लिए 20 साल जैसे थे, क्योंकि वह रोज़ 12 से 15 घंटे काम करते थे. आपको बता दें कि उनकी उद्यमशीलता की शुरुआत 2001 में हुई, जब उन्होंने एक पार्टनर के साथ मिलकर भारत में एक अमेरिकी फार्मेसी ब्रांड की फ्रेंचाइज़ी शुरू की.
फिर 2003 में किस्मत ने दस्तक दी. उन्होंने जेनरिक ड्रग एक्सपोर्ट करने के लिए एक क्लासिफाइड विज्ञापन दिया. उन्हें फिजी से पहली इंक्वायरी मिली. यह एक छोटा-सा कदम था जिसने अंतरराष्ट्रीय बाजार की राह खोल दी. लेकिन भारत से फार्मा उत्पादों का निर्यात उस वक्त आसान नहीं था. नियम-कायदे काफी सख्त थे. इसी चुनौती को हल करने के लिए 2007 में वे दुबई आए.
नहीं सोचा था कि दुबई में बसेंगे
विनोद ने कहा कि वह दुबई कोई साम्राज्य बनाने नहीं आए थे, सिर्फ एक समस्या हल करने आए थे. उनकी शुरुआत शारजाह के एक छोटे-से ऑफिस से हुई. परिवार को उन्होंने 2016 में दुबई बुलाया. उन्हें शुरू में लगा था कि वे यहां नहीं बसेंगे, लेकिन दो साल बाद परिवार ने कहा कि अब हम वापस नहीं जाएंगे. दुबई ने उन्हें वह आधार दिया जिसकी उन्हें ज़रूरत थी- आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, और विजन. 2010 में उन्होंने गुजरात में एक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट खरीदी, और अगले साल हर्बल और वेटरनरी दवाओं में विस्तार किया. आज उनका वेंचर Sava Vet, भारत की सबसे बड़ी वेटरनरी प्रिस्क्रिप्शन दवा कंपनी है, जिसकी बाजार में हिस्सेदारी लगभग 20% है.
जमीन से जुड़े हैं विनोद जाधव
इतनी ऊंचाईयों पर पहुंचने के बाद भी विनोद जाधव की सादगी बरकरार है. अपने दुबई वाले घर के गृहप्रवेश के लिए उन्होंने अपने पुणे के स्कूल के शिक्षकों को आमंत्रित किया, जिनमें उनके 10वीं के इंग्लिश टीचर भी शामिल थे. उन्होंने अपने कॉलेज के दोस्तों को भी बुलाया. पैसे को लेकर उनका नजरिया भी बेहद सरल और समझदारी भरा है. उनका लक्ष्य है 10,000 लोगों को रोज़गार देना है.
वर्तमान में वह 1,000 पर हैं और 9,000 और बाकी हैं. हालांकि, यह सफर आसान नहीं रहा. 2010 में उन्होंने एक मार्केटिंग कंपनी शुरू की थी, जिसमें 800 कर्मचारी थे. लेकिन यह वेंचर असफल रहा और उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ. इस असफलता से उन्होंने सीखा और अगली बार उन्होंने वेटरनरी इंडस्ट्री की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित किया, जो बाद में उनकी सबसे बड़ी कामयाबी बनी.