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IRS अफसर ने बदली इस जिले की तस्वीर, गांव की महिलाओं को बनाया उद्यमी, अब जापान जा रहा है उनका तेल

तेलंगाना में एक IRS अफसर की मदद से कई गांवों की महिलाओं की जिंदगी बदल रही है और अब ये महिलाएं जापान तक अपने प्रोडक्ट भेज रही हैं.

Women run Manjeera compnay (Photo: IndiaMart) Women run Manjeera compnay (Photo: IndiaMart)
हाइलाइट्स
  • इस अफसर की पहल ने बदली किस्मत

  • पहले साल में कमाया 50 लाख का टर्नओवर

एक समय था जब महिलाएं रसोई तक सीमित थीं, लेकिन अब उद्यमी बन रही हैं. देश क कोने-कोने से महिलाओं की सफलता की कहानियां सामने आ रही हैं. आज हम आपको बता रहे हैं तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के गोंगुलर की कुछ प्रेरक महिलाओं के बारे में और इन महिलाओं को इस मुकाम तक पहुंचाया है एक IRS अफसर ने.  

ये मिहलाएं मिलकर सर्वोदय मंजीरा एंटरप्रेन्योर्स कॉटेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी चला रही हैं. अब अपने अपने उत्पादों जैसे खाना पकाने के तेल, दालें, साबुन आदि को आसपास के गांवों, सुपरमार्केट और कंपनी के आउटलेट में बेचने के साथ-साथ जापान भी एक्सपोर्ट कर रही हैं. 

इस अफसर की पहल ने बदली किस्मत
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आईआरएस अधिकारी सुधाकर नायक ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर पहले ग्रामीण महिलाओं को एकजुट करने और उन्हें एक साथ काम करने के लिए मनाने के लिए अथक प्रयास किया. उनके प्रयासों और आईआईटी हैदराबाद में सुजुकी इनोवेशन सेंटर द्वारा प्रदान की गई मदद से महिला उद्यमियों ने उत्पादों के मार्केटिंग में खुद के लिए एक जगह बनाई. 

नायक ने महबूबनगर और संगारेड्डी जिलों के पांच गांवों का दौरा किया और उन्हें गोद लिया. स्वच्छता, शिक्षा और चिकित्सा में सुधार के लिए महिलाओं को एकजुट किया. शुरुआत में, सुधाकर ने 100 दिनों के लिए ग्रामीणों के साथ एक 'श्रमदान' कार्यक्रम आयोजित किया. वे हैदराबाद से ठीक 5 बजे गोंगुलूर पहुंचे और ग्रामीणों के साथ कचरा इकट्ठा किया. लोगों का विश्वास जीतने के बाद, उन्होंने सर्वोदय मंजीरा एंटरप्रेन्योर्स कॉटेज प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया और कुछ महिला सदस्यों को प्रशिक्षण के लिए राजेंद्रनगर भेजा. जल्द ही कंपनी ने खाना पकाने के तेल, दालों और साबुन का निर्माण और मार्केटिंग शुरू कर दी.

पहले साल में कमाया 50 लाख का टर्नओवर 
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कंपनी की स्थापना के पहले साल में टर्नओवर करीब 50 लाख रुपए था. आपको बता दें कि स्वयं सहायता समितियों की महिलाओं ने बैंकों से ऋण लेकर इस संस्था की स्थापना में लगाया है. महिलाओं ने कुल 4 करोड़ रुपये का निवेश किया. कंपनी और खातों का प्रबंधन भी ये महिलाएं संभालती हैं और बतौर स्टाफ भी काम करती हैं. वर्तमान में, उन्हें 7,500 रुपये प्रति माह वेतन के रूप में मिल रहा है.

सुजुकी इनोवेशन सेंटर (एसआईसी) इस फर्म को तकनीकी सहायता दे रहा है. उन्होंने ही जापान को खाना पकाने के तेल का निर्यात करने का विचार दिया था. यह विचार आते ही केंद्र ने महिलाओं के साथ इस पर चर्चा की और कुकिंग ऑयल के सैंपल जापान विदेश व्यापार संगठन (JETRO) के जरिए बंगलुरु में एक जापानी लैब में भेज दिए. इस कोल्ड प्रेस्ड कुकिंग ऑयल की गुणवत्ता की जांच के बाद लैब ने इसे जापान को निर्यात करने को हरी झंडी दे दी. आईआरएस अधिकारियों ने जापान को तेल निर्यात करने की अनुमति भी ले ली. 

किसानों को भी हुआ है फायदा
गोंगुलूर कुटीर उद्योग की स्थापना के बाद न केवल महिलाओं बल्कि किसानों और दुग्ध उत्पादकों को भी फायदा हुआ है. यह कंपनी अब मूंगफली, सूरजमुखी, काली सूरजमुखी, सरसों, तूर दाल और चना जैसे उत्पाद राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी पर गांव के किसानों के घर से खरीदती है. 

तेल और दालों के उत्पादन से निकलने वाले वेस्ट को गांव के किसान पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल करते हैं. भले ही फर्म द्वारा बनाए गए उत्पादों की कीमतें अधिक हों, लोग उनकी बेहतर गुणवत्ता के कारण उन्हें खरीदते हैं. सहकारी समिति की महिलाओं का मानना ​​है कि उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है क्योंकि उन्हें आय का एक स्थिर साधन मिल रहा है. 

सोसायटी की एक सदस्य ए. चित्तम्मा गांव में कुटीर उद्योग स्थापित करने में महिलाओं की मदद करने का पूरा श्रेय आईआरएस अधिकारी सुधाकर नाइक को देती हैं. उनके मुताबिक कुछ डॉक्टरों ने भी इसमें निवेश किया है. चित्तम्मा के पति भी इसी फर्म में काम करते हैं और इस दंपति को अच्छा वेतन मिलता है. वहीं, सुधाकर नायक ने कहा कि वे वारंगल और विकाराबाद जिलों में यूनिट्स शुरू करने की योजना बना रहे हैं.