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Non Veg Milk: क्या होता नॉन-वेज मिल्क? कैसे किया जाता है इसे तैयार? कैसे यह भारतीय कृषि उद्योग पर असर डालेगा?

अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील नॉन वेज मिल्क को लेकर थोड़ी अटकी हुई है. अमेरिका भारत के डेयरी क्षेत्र में अपने पैर पसारने के लिए तैयार है, लेकिन धार्मिक कारण और लोगों के शाकाहारी होने के कारण भारत इस बात पर अड़ा है कि नॉन वेज मिल्क का भारत में आयात नहीं होगा.

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को चर्चा चल रही है. इस दौरान में अमेरिका की निगाहें भारत के डेयरी सेक्टर के उपर गढ़ी हुई हैं. यह सेक्टर करीब 1.4 बिलियन लोगों को केटर करता है, तो वहीं 800 लाख वर्कर इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. लेकिन इस सेक्टर में 'नॉन-वेज' मिल्क को लेकर काफी विवाद हो रहा है.

क्या होता है 'नॉन-वेज' मिल्क
नॉन-वेज मिल्क वह दूध होता है, जो उन गायों से प्राप्त होता है जिनके आहार में मांस इत्यादि जैसे नॉन वेज चीज़ें शामिल होती है. गायों को इस प्रकार के आहार देने के पीछे का कारण होता है कि गायों को अधिक मात्रा में प्रोटीन मिल सके. सिएटल पोस्ट इंटेलिजेंटर की 2004 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मवेशियों के खाने सूअर, घोड़े का खून, प्रोटीन के लिए शामिल किया जाता है.

क्या डिमांड है भारत की
भारत की डिमांड हैं कि अमेरिका ऐसा दूध भारत को दे, जो उन गायों का हो जिनके आहार में मांस शामिल न हो. इसके पीछे कई वजह हैं. भारत में दूध और घी का इस्तेमाल धार्मिक चीज़ों में होता है. ऐसे में यह दूध उपयुक्त नहीं होगा. इसलिए भारत ने इस दूध से बने उत्पाद और दूध के आयात को लेकर सख्त तौर मना कर दिया है. 

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भारतीय किसानों पर पड़ेगी मार
भारत दूध के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा उत्पाद है. साथ ही अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र की 3 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. यह हिस्सेदारी करीब 9 लाख करोड़ की है. अगर अमेरिका के दूध को अनुमति मिल जाती है, तो एसबीआई का कहना है कि भारत में हर साल इस क्षेत्र में करीब 1 लाख करोड़ का नुकसान होगा. यानि इससे अर्थवयव्सथा पर तो प्रभाव पड़ेगा ही. साथ ही किसानों पर भी प्रभाव पड़ेगा.

अटकी पड़ी है ट्रेड डील
अमेरिका और भारत के बीच काफी ट्रेड होता है. लेकिन जहां एक तरफ अमेरिका डेयरी सेक्टर में पैठ जमाना चाह रहा है. वहीं भारत ऐसा नहीं होने देना चाह रहा. भारत पहले से ही दूध उत्पादन के मामले में काफी आगे ही. साथ ही वह ऐसे मवेशियों का दूध नहीं चाहता, जिनके आहार में मांस शामिल हो. इसकी दो वजह हैं. पहली कि देश में काफी संख्या में लोग शाकाहारी है. दूसरा कि दूध और घी का इस्तेमाल धार्मिक तौर पर काफी होता है. ऐसे में आस्था को काफी ठेस पहुंचेगी.