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How To Do SIP: एसआईपी की शुरुआत का कोई परफेक्ट समय नहीं.. मार्किट के उतार-चढ़ाव से ज्यादा महत्वपूर्ण लंबे समय तक बने रहना

मार्किट रिस्क को लेकर कई लोग एसआईपी शुरू करने के समय को लेकर असमंजस में रहते हैं. उन्हें लगता है कि जब मार्किट अप होता है तो एसआईपी न करें.

जहां एक तरफ भारतीय स्टॉक मार्किट ऊंचाई पर चल रही है, तो वहीं दूसरी तरफ इंवेस्टर्स के मन में एसआईपी को लेकर डर पैदा हो रहा है. उन्हें लग रहा है कि यह एसआईपी शुरू करने का सही समय नहीं है, लेकिन उनकी इस सोच को एक्सपर्ट्स गलत बता रहे हैं. 'वैल्यू रिसर्च' के सीईओ, धीरेंद्र कुमार, कहते हैं कि मार्किट का ऊपर जाना इस बात का संकेत नहीं कि आप इंवेस्ट न करें, बल्कि यही सही मौका है. 

वह आगे कहते हैं कि मार्किट हमेशा कभी ऊपर तो कभी नीचे रहता ही है. वह कहते हैं कि अगर आपको लगता है कि भारत आने वाले 10-20 सालों में एक बेहतर और मज़बूत इकोनॉमी बनकर सामने आएगा, तो शेयर मार्किट में आने वाले उतार-चढ़ाव से आपको रुकना नहीं चाहिए. इस भ्रम से निकलने का एक ही रास्ता है कि आप सीधा निवेश करें.

मार्किट की टाइमिंग या मार्किट में टाइम
'WhiteOak Capital' के एक नए एनालिसिस के यह बात सामने आई कि अगर आप एसआईपी की शुरुआत उस समय करते हैं जब मार्किट ऊपर चल रहा हो, तो आपको आगे चलकर ज्यादा मुनाफा होता है. लेकिन अगर आप उस समय एसआईपी करते हैं जब मार्किट डाउन है तो शायद आपको मुनाफा थोड़ा कम हो.

रिपोर्ट में इस बात को एक उदाहरण देकर समझाया गया. जिसमें बताया गया कि अगर कोई निवेसक जनवरी 2008 में 10 हजार प्रति माह की एसआईपी की शुरुआत करता है, वह भी तब जब वैश्विक स्तर पर फाइनेंशियल क्राइसिस नहीं है, तो उसको अक्टूबर 2025 में 79.43 लाख रुपए मिलेंगे. लेकिन इसके उलट अगर कोई मार्च 2009 में एसआईपी की शुरुआत करता है, जब मार्किट डाउन हो, तो उसे 68.07 लाख रुपए मिलेंगे. दोनों ही मामलों में रिटर्न 13 प्रतिशत है तब भी इतना फर्क है. रिपोर्ट में एक बात साफ कही गई है कि मार्किट टाइमिंग से ज्यादा मार्किट में बिताया गया टाइम अहमियत रखता है. इसका कारण है कम्पाउंडिंग.

मार्किट का एसआईपी पर असर
मार्किट एसआईपी के साथ सीधे तौर पर जुड़ी हुई है. लोगों को डर लगता है कि मार्किट डाउन चला गया तो उन्हें नुकसान हो सकता है. लेकिन मार्किट में एक झटके के साथ ही उस निवेश किया गया पैसा कई गुनमा बढ़ सकता है.

हमेशा रखे एमरजेंसी फंड
कुमार कहते हैं कि जब आप एसआईपी में इनवेस्ट करते हैं तो यह सोचकर करिए कि यह लॉन्ग टर्म निवेश है, और आप इसे सालों तक नहीं टच करेंगे. लेकिन इसके साथ-साथ निवेश से पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें कि आप के पास किसी एमरजेंसी में कम से कम 3 महीने का खर्च चलाने के लि फंड हो.

साथ ही कुमार कहते हैं कि एकसाथ मार्किट में बड़ा पैसा फंसाने से बचें. अगर आपके पास एक लाख हैं तो तीन महीने में उसे बांट दें. और अगर करोड़ों में पैसा है तो उसे कई सालों में बांट दें. इससे आपका मार्किट के प्रति रिस्क को लेकर डर धीरे-धीरे कम होगा.

कुमार यह भी कहते हैं कि फंड चुनते समय थोड़ा ध्यान दें. केवल कुछ चुनिंदा स्टॉक्स में ही निवेश न करें. अपने पोर्टफोलियो में कई प्रकार के फंड शेयर को रखें. जिसमें सब हाई वैल्यू शेयर न हो.