Delhi school fee regulation bill
Delhi school fee regulation bill दिल्ली सरकार ने राजधानी के निजी स्कूलों में बेतहाशा और मनमाने तरीके से बढ़ती फीस पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने हाल ही में विधानसभा में एक नया बिल पेश किया है- 'दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025'. इस विधेयक का मकसद है स्कूल फीस प्रणाली को पारदर्शी, जवाबदेह और नियंत्रित बनाना, ताकि माता-पिता पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े.
यह कानून किस पर लागू होगा?
दिल्ली के कुल 1,677 निजी अनएडेड स्कूल, चाहे वो निजी ज़मीन पर बने हों या अल्पसंख्यक संस्थाओं द्वारा संचालित- सभी इस कानून के दायरे में आएंगे. पहले ऐसे स्कूलों को फीस बढ़ाने में ज्यादा सरकारी हस्तक्षेप नहीं झेलना पड़ता था, लेकिन अब सभी स्कूलों के लिए समान नियम लागू होंगे.
क्या है तीन-स्तरीय फीस नियंत्रण प्रणाली?
इस बिल का सबसे खास पहलू है तीन-स्तरीय रेगुलेशन सिस्टम, जो फीस को नियंत्रित करेगा.
1. स्कूल-स्तरीय फीस कमिटी
2. जिला अपील समिति
3. राज्य स्तरीय पुनरीक्षण समिति:
क्या है टाइमलाइन?
स्कूलों को हर साल 31 जुलाई तक अपनी प्रस्तावित फीस वृद्धि का प्रस्ताव देना होगा. इसके बाद सरकार सितंबर मध्य तक अंतिम निर्णय लेगी कि फीस बढ़ेगी या नहीं.
उल्लंघन पर क्या होगी सजा?
क्या हैं आलोचनाएं?
हालांकि सरकार इस कानून को “ऐतिहासिक” बता रही है, लेकिन विशेषज्ञ और अभिभावक कुछ बिंदुओं पर चिंता जता रहे हैं:
सरकार का पक्ष क्या है?
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विधेयक को "अब तक का सबसे लोकतांत्रिक शुल्क विनियमन कानून" बताया. उनका कहना है कि "यह कानून पहली बार अभिभावकों को स्कूल फीस तय करने की प्रक्रिया में सीधी भागीदारी देता है. इससे फीस बढ़ाने की प्रक्रिया अब साफ और नियंत्रित होगी."
दिल्ली सरकार की यह पहल उन लाखों अभिभावकों के लिए राहत बनकर आई है जो हर साल स्कूल फीस के नाम पर बढ़ते खर्च से परेशान रहते हैं. यह कानून सिर्फ फीस कंट्रोल का सिस्टम नहीं है, बल्कि एक लोकतांत्रिक और पारदर्शी ढांचा है, जो शिक्षा व्यवस्था में नया बदलाव ला सकता है.
(अनमोल नाथ बाली की रिपोर्ट)