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DU Manusmriti: दिल्ली विश्वविद्यालय का बड़ा फैसला, एमए संस्कृत के सिलेबस से हटाई मनुस्मृति, अब शुक्रनीति पढ़ेंगे छात्र

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एमए संसकृत के सिलेबस में बड़ा बदलाव किया गया है. एमए संस्कृत के सिलेबस से मनुस्मृति को हटा दिया गया है. एमए संस्कृत के पाठ्यक्रम में मनुस्मृति की जगह शुक्रनीति को शामिल किया गया है. विश्वविद्यालय के कुलपति ने ये बड़ा फैसला लिया है.

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हाइलाइट्स
  • DU ने एमए संस्कृत के सिलेबस में किया बदलाव

  • यूनिवर्सिटी के सिलेबस से हटाई मनुस्मृति

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने मनुस्मृति को लेकर बड़ा फैसला लिया है. विश्वविद्यालय ने एमए संस्कृति के सिलेबस में बड़ा बदलाव किया है. दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने एमए संस्कृत के तीसरे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम से मनुस्मृति को हटा दिया है. मनुस्मृति की जगह शुक्रनीति को शामिल किया गया है. यह फैसला दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति योगेश सिंह ने अपने आपातकालीन अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए लिया है. इस फैसले को आखिरी मंजूरी के लिए जल्द ही कार्यकारी परिषद (Executive Council) की बैठक में रखा जाएगा.

क्यों किया बदलाव?

दिल्ली यूनिवर्सिटी के एमए संस्कृत के सिलेबस में बड़ा बदलाव हुआ है. अब एमए संस्कृत के स्टूडेंट्स मनुस्मृति की जगह शुक्रनीति की पढ़ाई करेंगे. इस बदलाव के पीछे लगातार बढ़ रहे विरोध और विवाद को बड़ी वजह बताया जा रहा है. विपक्षी दलों और सोशल मीडिया समूहों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी पर मनुस्मृति पढ़ाने को लेकर लगातार निशाना साधा था. हालांकि, विश्वविद्यालय के एक टीचर ने स्पष्ट किया कि सिलेबस में पढ़ाई जाने वाली मनुस्मृति की सामग्री किसी भी प्रकार से विवादित नहीं थी.

दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले को लेकर एक शिक्षक ने कहा, हम पाठ्यक्रम में कुछ भी विवादास्पद नहीं पढ़ा रहे थे लेकिन सोशल मीडिया के कुछ समूह और विपक्षी दल लगातार मनुस्मृति को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बना रहे थे. अनावश्यक विवाद से बचने के लिए ही यह निर्णय लिया गया है. अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में एमए संस्कृत के सिलेबस से मनुस्मृति को हटा दिया गया है. इसकी जगह पर शुक्रनीति को शामिल किया गया है. 

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शुक्रनीति क्या है?

शुक्रनीति एक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है जिसे शुक्राचार्य द्वारा रचित माना जाता है. हिन्दू पौराणिक कथाओं में शुक्राचार्य को असुरों के गुरु के रूप में जाना जाता है. यह ग्रंथ मुख्य रूप से राजनीति, शासन, नैतिकता और सैन्य रणनीति पर केंद्रित है. इसे संस्कृत साहित्य का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है. ये प्राचीन ग्रंथ विशेष रूप से राजनीति, युद्धनीति, अर्थव्यवस्था, न्याय व्यवस्था, कर प्रणाली और समाज संचालन से संबंधित विषयों का विस्तार से वर्णन करता है.

  • शुक्रनीति का नाम शुक्राचार्य के नाम पर रखा गया है, जो असुरों (दानवों) के गुरु थे. इसे राजाओं और शासकों के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ माना जाता है.
  • यह ग्रंथ अर्थशास्त्र (कौटिल्य के अर्थशास्त्र) के समान ही महत्वपूर्ण है. शुक्रनीति को राजनीतिक विज्ञान के सबसे पुराने ग्रंथों में गिना जाता है.
  • शुक्रनीति का का उद्देश्य राज्य को संगठित, मजबूत और न्यायपूर्ण बनाना है. अब इस ग्रन्थ को दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाएगा.
  • आज भी इस ग्रन्थ के सिद्धांत प्रशासन, कानून और राजनीति विज्ञान की स्टडी में मददगार माने जाते हैं. इसमें नैतिक मूल्यों और व्यवहारिक राजनीति का सुंदर संतुलन देखने को मिलता है.
DU Syllabus

पढ़ाए जाएंगे ये अध्याय

दिल्ली यूनिवर्सिटी के एमए संस्कृत के तीसरे सेमेस्टर के सिलेबस में बदलाव किया गया है. यूनिवर्सिटी के एमए संस्कृत के सिलेबस से मनुस्मृति को हटा दिया गया है. उसकी जगह पर पाठ्यक्रम में शुक्रनीति को शामिल किया गया. एमए संस्कृति के नए सिलेबस के अनुसार, छात्रों को शुक्रनीति के कुछ अध्यायों को पढ़ाया जाएगा.

  • कोष निरूपण (Kośa Nirūpaṇa): राज्य के संसाधनों और वित्त प्रबंधन की नीति.
  • लोकधर्म निरूपण (Lokadharma Nirūpaṇa): समाज के नैतिक नियम और सुशासन.
  • राष्ट्र निरूपण (Rāṣṭra Nirūpaṇa): राष्ट्र की अवधारणा और राज्य संचालन.
  • सैन्य एवं दुर्ग निरूपण (Sainya & Durga Nirūpaṇa): सैन्य रणनीतियां और किलेबंदी की तकनीक.

दिल्ली यूनिवर्सिटी का कहना है कि शुक्रनीति को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्र प्राचीन भारतीय शासन सिद्धांतों को आधुनिक प्रशासन और नीति निर्माण के संदर्भ में समझ पाएंगे.

हटाए गए मनुस्मृति के अध्याय

दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब तक मनुस्मृति को सिलेबस में शामिल किया गया था. हालांकि, मनुस्मृति के सभी अध्यायों को पढ़ाया नहीं जाता था. कुछ अध्याय को ही छात्रों को पढ़ाया जाता है. आइए जानते हैं कि वो कौन-से अध्याय हैं जो अब दिल्ली यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं रहेंगे:

  • अध्याय 2: धर्म एवं संस्कार
  • अध्याय 6: वानप्रस्थ आश्रम
  • अध्याय 7 एवं 9 (श्लोक 1–102): राजधर्म एवं पुत्र के प्रकार
  • ध्याय 12: प्रायश्चित (पश्चाताप एवं प्रायश्चित की विधियां)

(दिल्ली से अनमोल नाथ बाली की रिपोर्ट)