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Ramon Magsaysay Award जीतने वाला पहला भारतीय NGO Educate Girls... 20 लाख लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को अक्सर एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है. यह सम्मान उन व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने समाज की भलाई के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया हो.

Educate Girls win Ramon Magsaysay Award (Photo: Instagram/@educategirls) Educate Girls win Ramon Magsaysay Award (Photo: Instagram/@educategirls)

भारत के NGO फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली (Educate Girls) ने इतिहास रच दिया है. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन (RMAF) ने रविवार को घोषणा की कि एजुकेट गर्ल्स को 2025 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दिया जाएगा. यह पहली बार है जब किसी भारतीय एनजीओ को यह प्रतिष्ठित सम्मान मिला है. संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन ने इसे भारत के लिए "ऐतिहासिक क्षण" बताया.

एशिया का 'नोबेल पुरस्कार'
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को अक्सर एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है. यह सम्मान उन व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने समाज की भलाई के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया हो.
इस वर्ष के तीन विजेताओं में शामिल हैं:

  • सफीना हुसैन की एजुकेट गर्ल्स (भारत)- लड़कियों की शिक्षा में ऐतिहासिक योगदान के लिए
  • शाहीना अली (मालदीव)- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के प्रयासों के लिए
  • फ्लावियानो एंटोनियो एल. विलानुएवा (फिलीपींस)- गरीबों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा के लिए

'एजुकेट गर्ल्स' की शुरुआत और सफर
एजुकेट गर्ल्स की स्थापना 2007 में सफीना हुसैन ने की. वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं और पहले सैन फ्रांसिस्को में काम कर रही थीं. उन्होंने भारत लौटकर ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में काम शुरू किया.

संस्था की शुरुआत राजस्थान के 50 गांवों से हुई. एजुकेट गर्ल्स ने तीन उद्देश्यों के साथ काम शुरू किया- स्कूल छोड़ चुकी लड़कियों की पहचान करना, उन्हें सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाना और उनकी निरंतर अटेंडेंस सुनिश्चित करना. 

आज, यह संस्था 30,000 से ज्यादा गांवों में सक्रिय है और 20 लाख से ज्यादा लड़कियों तक पहुंच चुकी है.

महिला शिक्षा में क्रांतिकारी योगदान
एजुकेट गर्ल्स ने लड़कियों की शिक्षा में कई ऐतिहासिक पहल की हैं:

1. डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड (DIB)

  • 2015 में संस्था ने शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड लॉन्च किया.
  • इसका उद्देश्य आर्थिक मदद को शिक्षा के आउटकम और परफॉर्मेंस से जोड़ना था.
  • शुरुआती पायलट परियोजना 50 स्कूलों से शुरू हुई.
  • अब संस्था 2 मिलियन से ज्यादा छात्राओं तक पहुंच चुकी है.
  • लड़कियों की 90% से अधिक रिटेंशन रेट कायम है.

2. प्रगति कार्यक्रम

  • 15 से 29 वर्ष की युवतियों के लिए शुरू किया गया.
  • इसका उद्देश्य ओपन स्कूलिंग के माध्यम से लड़कियों को मैट्रिक और उच्च शिक्षा पूरी करने में मदद करना है.
  • शुरुआती 300 छात्राओं से बढ़कर आज 31,500 से ज्यादा छात्राएं इस कार्यक्रम से जुड़ी हैं.

संस्था की संस्थापक सफीना हुसैन का कहना है कि यह पुरस्कार भारत के उस जन-आंदोलन की वैश्विक पहचान है, जो एक अकेली लड़की की शिक्षा से शुरू हुआ और आज लाखों लड़कियों की जिंदगी बदल चुका है.

उन्होंने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा, "सच कहूं तो यह घोषणा सुनकर रोने का मन हुआ. 2007 में राजस्थान से शुरू की गई यह छोटी सी पहल आज रेमन मैग्सेसे के मंच तक पहुंची है. यह पूरी टीम की कड़ी मेहनत का नतीजा है."

क्या-क्या खास पहलें शुरू कीं 
सफीना ने दैनिक भास्कर को बताया कि उनकी संस्था ने बच्चियों की पढ़ाई के लिए कुछ खास पहलें भी शुरू कीं, जैसे: 
1. 'ज्ञान का पिटारा' किट्स

  • कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों के लिए विकसित.
  • अंग्रेजी, हिंदी और गणित में माइक्रो-कॉम्पिटेंस विकसित करने पर फोकस.

2. किशोरियों के लिए लाइफ स्किल्स एजुकेशन

  • आत्मनिर्भरता, निर्णय क्षमता और नेतृत्व कौशल बढ़ाने पर काम.
  • 77,000 से अधिक 'गर्ल लीडर्स' तैयार की गईं, जो अन्य लड़कियों को भी जागरूक कर रही हैं.

3. प्रोजेक्ट प्रगति के तहत ओपन स्कूलिंग

  • स्कूल छोड़ चुकी लड़कियों को दोबारा शिक्षा की मुख्यधारा में लाना.
  • मैट्रिक की तैयारी और उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करना.

सरकारी योजनाओं का सहयोग
सफीना हुसैन का कहना है कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान से उन्हें बहुत मदद मिली. इस अभियान के कारण समाज में लड़कियों की शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आया. एजुकेट गर्ल्स ने अगले 10 वर्षों में 1 करोड़ लड़कियों तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया है. संस्था नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सोशल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है, जिससे इसकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहती है.

7 नवंबर को होगा सम्मान समारोह
67वां रेमन मैग्सेसे पुरस्कार वितरण समारोह 7 नवंबर 2025 को मेट्रोपॉलिटन थिएटर, मनीला में आयोजित किया जाएगा. पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की छवि वाला स्वर्ण पदक, सम्मान-पत्र और नकद राशि प्रदान की जाएगी.

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीत चुके हैं ये भारतीय:

  • मदर टेरेसा (1962)
  • जयप्रकाश नारायण (1965)
  • सत्यजीत रे (1967)
  • अरुण शौरी (1982)
  • किरण बेदी (1994)
  • अरुणा रॉय (2000)
  • अरविंद केजरीवाल (2006)
  • सोनम वांगचुक (2018)
  • रविश कुमार (2019)

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