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Success Story: मां ने छोटी सी किराना दुकान चलाकर बेटे को बनाया पहले IPS और फिर IAS, जानिए संदीप और उनकी मां के संघर्ष और सफलता की कहानी 

Success Story of Mother and Son: मां बिहार के गया स्थित एक गांव में छोटी सी किराना की दुकान चलाती हैं. बेटे ने आईएएस बन पूरे गांव का सिर ऊंचा कर दिया है. जानिए संदीप और उनकी मां के संघर्ष और सफलता की कहानी. 

Success Story of Mother and Son Success Story of Mother and Son
हाइलाइट्स
  • बिहार के गया जिले के रहने वाले हैं संदीप

  • आर्थिक तंगी के बावजूद नहीं मानी हार, बने IAS अधिकारी

IAS बनने का सपना हर साल लाखों स्टूडेंट्स देखते हैं लेकिन अपने सपनों को हकीकत में बहुत कम विद्यार्थी बदल पाते हैं. हम आपको बिहार के गया जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले संदीप कुमार की सफलता की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने अपने सपने को हकीकत में बदल दिया है.

इस सफलता में जितनी मेहनत संदीप की है, उतनी ही उनकी मां की भी है. मां ने गांव में एक छोटी सी किराना दुकान चलाकर अपने बेटे को पहले IPS और फिर IAS अधिकारी बना दिया है. कठिनाइयों के बाद भी IAS अधिकारी बन संदीप ने लाखों युवाओं के बीच मिसाल छोड़ी है और कुछ कर दिखाने की प्रेरणा जगाई है.       

गरीब परिवार से आते हैं संदीप
गया से 90 किलोमीटर दूर डुमरिया प्रखंड के मुख्यालय बाजार में पिता की मौत के बाद संदीप की मां रेणु देवी एक किराने की दुकान चलाती हैं. रेणु देवी की पहचान अब एक दुकानदार तक सीमित नहीं है बल्कि एक IAS अधिकारी की मां के रूप में होती है. संदीप खुद तीन भाई और दो बहन हैं.

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साल 2017 में पति शंभु कुमार के निधन के बाद पूरे परिवार और दुकान की जिम्मेदारी रेणु देवी के कंधों पर आ गई. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. एक दुकान के सहारे न केवल मां ने बच्चों की परवरिश की, बल्कि उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई. सब से बड़ा बेटा उनका सपना बना. संदीप ने देश की सब से कठिन परीक्षा, सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) में अच्छे मार्कस ला कर पहले IPS फिर IAS बन पूरे गांव का सिर ऊंचा कर दिया है.   

मां-बेटे के संघर्षों की कहानी 
रेणु देवी आज भी अपने बेटे संदीप के साथ सुबह जल्दी उठती हैं. घर के सारे काम निपटाकर, रोज वही दुकान खोलती हैं. रेणु देवी आज भी उसी सादगी में जीती हैं. उनमें IAS की मां होने का कोई घमंड नहीं है. संदीप का बचपन घोर नक्सली वाले इलाके में बीता है. दरअसल, जिस गांव में संदीप परिवार के साथ रहते हैं, वह नक्सलियों का इलाका माना जाता है.

संदीप के पिता और दादा की मौत दिल का दौरा पड़ने से एक साथ हो गई थी. पिता और दादा के मौत के बाद संदीप का मन पढ़ाई से उठने लगा था.  जब मां और बहन ने देखा, तब उन दोनों ने ही संदीप को प्रेरणा दी. बेटे ने भी मां के संघर्षों को समझा और तीन बार UPSC में सफलता हासिल की. असल में उन्हें IAS बनना था और हर बार रेंक IPS का ही आ रहा था. जब तक उन्होंने अपने लक्ष्य को नहीं पा लिया तब तक उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा. आखिरकार संदीप ने अपनी मेहनत से साल 2025 में UPSC परीक्षा में 266वीं रैंक हासिल करके IAS की पोस्ट पाकर दिखाया. 

संदीप का UPSC से जंग  
जो लोग हार नहीं मानते सफलता उनके कदम चूमती है. ऐसा कभी न कभी तो सुन रखा होगा आपने. संदीप की कहानी भी ऐसी ही है. साल 2022 में पहली बार संदीप को UPSC में 697वीं रैंक आया था, जिसके बाद उन्होंने IRMAS (रेलवे सेवा) जॉइन किया और वहीं से तैयारी जारी रखी.

साल 2023 में फिर परीक्षा दी और इस बार उन्हें 601वीं रैंक हासिल किया, जिससे उन्हें IPS बनने का मौका मिला. उन्होंने एक बार फिर कोशिश की और 2025 में आखिरकार उन्हें उनकी मंजिल मिल ही गई. संदीप अभी हैदराबाद में IPS प्रशिक्षण ले रहे हैं. उनकी ट्रेनिंग अगस्त 2025 में खत्म होगी. इसके बाद ही संदीप IAS प्रशिक्षण शुरू करेंगे.

एक तरफ सपना और दूसरी तरफ नक्सलवाद का खतरा 
डुमरिया वास्तव में बहुत नक्सल प्रभावित इलाका है. संदीप एक ऐसे गांव से है जहां के लोगों का जीवन नक्सलियों के दहशत में बीतता है. वहां के लोग IAS के बरे में ढंग से जानना तो दूर, सपने में भी नहीं सोच सकते हैं. लेकिन संदीप ने अपने सपनों से समझौता नहीं किया.

उन्होंने मैट्रिक उसी क्षेत्र के जनता हाईस्कूल से किया. फिर संदीप ने शहर से 11वीं और 12वीं की परीक्षा पास की. मां रोज बस से बेटे के लिए खाना भेजा करती थी. यहां तक की गंदे कपड़े भी साफ करके भेजती थी ताकि बेटा पढ़ाई पर ध्यान दे सके. 

इंजीनियर भी हैं संदीप
संदीप ने पूर्व डीजीपी अभयानंद के सुपर 30 कोचिंग की प्रवेश परीक्षा पास करके, वहां से IIT और JEE की तैयारी शुरू कर दी. संदीप को IIT और JEE में अच्छा रैंक प्राप्त हुआ, जिसके बाद उन्हें IIT मुंबई के मैकेनिकल इंजीनियरिंग में जगह मिल गई.

पिता के मौत के बाद संदीप की रुचि पढ़ाई से कम होने लगी थी, तब संदीप के बड़े भाई नीतीश कुमार और मां संदीप की हिम्मत बनें. नीतीश ने बताया कि मैंने संदीप से साफ कहा था कि पिता जी की तुमसे बहुत उम्मीदें थीं, तुम आगे बढ़ो. मां और मैं तुम्हें पढ़ाई में किसी भी चीज की कमी नहीं होने देंगे. तुम ही कुछ कर सकते हो.

आर्थिक संकट में कोचिंग में पढ़ाया
संदीप ने भाई की बातों का सम्मान किया और आर्थिक तंगी को मात देने के लिए संदीप ने IIT मुंबई के कोचिंग संस्थान में गणित शिक्षक बनकर नौकरी की, ताकि परिवार पर बोझ कम हो, लेकिन परिवार के समझाने पर उन्होंने 2019 में मुंबई छोड़ कर दिल्ली जाकर सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी क्योंकि संदीप के पिता चाहते थे कि संदीप कलेक्टर बनें.

अब मां की ख्वाहिश है कि संदीप शादी कर लें. वह जहां चाहे शादी कर सकते हैं, मां की तरफ से कोई प्रेशर नहीं है. मां कहती हैं कि संदीप चाहे तो किसी महिला अधिकारी से शादी करे या किसी घरेलू लड़की से, यह फैसला पूर्णता संदीप का होगा. परिवार संदीप की पसंद के साथ है और उसकी पसंद का पूरा सम्मान करेगा.

(ये स्टोरी अमृता सिन्हा ने लिखी है. अमृता जीएनटी डिजिटल में बतौर इंटर्न काम करती हैं.)