
अगर हौसला हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती है. झारखंड में एक शख्स ने इस कहावत को पूरी तरह से सच साबित कर दिया है. झारखंड बोर्ड 10वीं परीक्षा के नतीजों में 56 साल के शख्स ने सफलता हासिल की है. गंगा उरांव खूंटी के शिक्षा विभाग में दैनिक सैलरी पर चपरासी के तौर पर काम करते हैं. गंगा उरांव अपने जज्बे और जुनून के कारण मिसाल बन गए हैं. उन्होंने जॉब के स्थायीकरण की उम्मीद में 10वीं की परीक्षा पास की है.
56 साल की उम्र में मैट्रिक पास-
किसी ने ठीक ही कहा है कि पढ़ाई की कोई उम्र नही होती है. चार बेटियों के पिता गंगा उरांव ने 56 साल में मैट्रिक परीक्षा सेकंड डिविजन से पास किया है. अब उसे कोई अनपढ़ नहीं बोल सकता है. कम से कम उनको इस बात की खुशी है. उरांव ने खूंटी के चलागी बिरसा उच्च विद्यालय से परीक्षा दिया था. गंगा को 47.2 फीसदी अंक हासिल हुए हैं. गंगा उरांव खूंटी सदर प्रखंड के कालामाटी गांव के रहने वाले है.
पहले रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं थे 40 रुपए-
गंगा उरांव ने बताया कि गरीबी की वजह से वह मैट्रिक परीक्षा नहीं दे पाये थे. जब वे नौवीं क्लास में थे, तब उसके परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी, जिसके कारण दसवीं बोर्ड के रजिस्ट्रेशन के लिए महज 40 रूपए नहीं भर पाए थे और परीक्षा से वंचित रह गए थे.
16 साल से जॉब नहीं हुई स्थाई-
गंगा उरांव ने बताया कि वे डीएसई कार्यालय में 16 साल से दैनिक सैलरी पर चपरासी की नौकरी कर रहे हैं. इसके एवज में उन्हे करीब नौ हजार रूपये मिलते हैं. वे अपनी नौकरी स्थायी हो, इसके लिए लगातार कई सालो से गुजारिश करते आ रहे हैं. लेकिन अधिकारी मैट्रिक पास नहीं होने का हवाला देकर उनकी मांग को टाल देते हैं. इसके बाद उन्होंने मैट्रिक पास होने के लिए प्रयास शुरू किए. आखिर में उनको सफलता मिल ही गई. अब उन्हें उम्मीद है कि उनकी नौकरी स्थायी हो जाएगी.
घर में 80 साल की मां-
गंगा उरांव की फैमिली में उनकी पत्नी चारी उरांव हैं. गंगा की 4 बेटियां हैं. हालांकि चारों बेटियों की शादी हो गई है. गंगा के घर में 80 साल की उनकी मां हीरामनी देवी भी हैं. उनके मैट्रिक पास होने की खबर से उसका पूरा परिवार खुश है. गंगा की बेटियां पिता के मैट्रिक पास होने से खासा उत्साहित हैं.
डीएसइ खूंटी अभय शील ने भी गंगा ओरांव को बधाई दी और उनके लगन और मेहनत से हासिल की गई सफलता की भरपूर तारीफ की. उनका कहना है कि ना सिर्फ उन्होंने अपने परिवार के लिए, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग के लिए सम्मान अर्जित किया है.
डीईओ अपरूपा पाल चौधरी ने कहा कि चुकी गंगा ओरांव कंट्रक्चुअल स्टाफ हैं, लिहाजा उनके स्थायीकरण का फैसला नीतिगत है. पॉलिसी सरकार के स्तर पर डिसाइड होती है. उनका साफ मानना है कि आगे अगर गंगा पढ़ना चाहें, तो बगैर किसी शर्त उनकी मदद की जाएगी.
(सत्यजीत कुमार की रिपोर्ट)
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