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Military Training in Maharashtra School: महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा के बच्चों को दी जाएगी मिलिट्री ट्रेनिंग... जानिए भारत में और कहां-कहां किया जाता है बच्चों को सेना के लिए तैयार

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाया है. इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए खेल शिक्षकों, नेशनल कडेट कॉर्प्स (NCC), स्काउट और गाइड्स के अलावा 2.5 लाख रिटायर्ड सैनिकों की मदद ली जाएगी.

This rapid, tech-powered response marked a turning point, showcasing India’s rising self-reliance and sharp combat readiness in modern warfare. (Representational photo) This rapid, tech-powered response marked a turning point, showcasing India’s rising self-reliance and sharp combat readiness in modern warfare. (Representational photo)

Military Training in Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने बच्चों को छोटी उम्र से ही 'देशप्रेम और अनुशासन का महत्व सिखाने' के लिए पहली कक्षा से छात्रों को मिलिट्री ट्रेनिंग देने का फैसला किया है. राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने कहा कि यह फैसला बच्चों को देशप्रेम और अनुशासन सिखाने के अलावा निरंतर एक्सरसाइज प्रोमोट करने के लिए भी लिया गया है. यह ट्रेनिंग कैसे दी जाएगी और भारत के स्कूलों में मिलिट्री ट्रेनिंग का क्या इतिहास है, आइए जानते हैं.

कैसे दी जाएगी मिलिट्री ट्रेनिंग?
दादा भुसे ने कहा, "छात्रों को पहली कक्षा से मूलभूत मिलिट्री ट्रेनिंग देने का फैसला लिया गया है. इससे उनके दिल में देश के लिए प्रेम की भावना पैदा करने में मदद मिलेगी. एक्सरसाइज करने जैसी आदतें बनेंगी और अनुशासन पैदा होगा जो विद्यार्थियों के लिए अच्छा है." उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को ट्रेनिंग देने के लिए रिटायर हो चुके सैनिकों को बच्चों को प्रशिक्षण देने का काम सौंपा जाएगा.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाया है. इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए खेल शिक्षकों, नेशनल कडेट कॉर्प्स (NCC), स्काउट और गाइड्स के अलावा 2.5 लाख रिटायर्ड सैनिकों की मदद ली जाएगी. 

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भारतीय स्कूलों में दी जाती है मिलिट्री ट्रेनिंग?
महाराष्ट्र की तरह भारत के किसी अन्य राज्य के सरकारी स्कूलों में मिलिट्री ट्रेनिंग तो नहीं दी जाती, लेकिन देश में सैनिक तैयार करने के लिए मिलिट्री स्कूल ज़रूर मौजूद हैं. भारत में पहला मिलिट्री स्कूल 1925 में हिमाचल प्रदेश के चैल में खुला था. इस स्कूल की नींव ब्रिटेन के तत्कालीन राजा किंग जॉर्ज ने रखी थी. मौजूदा समय में यह स्कूल रक्षा मंत्रालय के अधीन है. 

देश में इस समय ऐसे पांच राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (Rashtriya Military School) मौजूद हैं. इनमें दाखिला लेने के लिए किसी भी स्टूडेंट को छठवीं और नौंवी कक्षा का कॉमन एंट्रेंस एग्जाम पास करना अनिवार्य है. इन स्कूलों में पहली कक्षा का कोई प्रावधान नहीं है. यहां छठी कक्षा में दाखिला लेने के लिए स्टूडेंट को कम से कम 10 साल का होना ज़रूरी है. नौंवी कक्षा में दाखिला लेने के लिए उम्र कम से कम 13 साल होनी चाहिए.

इसके अलावा भारत में 33 सैनिक स्कूल भी हैं. देहरादून में एक राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज भी है. इन स्कूलों का उद्देश्य एक स्टूडेंट को राष्ट्रीय डिफेंस अकादमी (NDA) में दाखिला लेने के लिए मानसिक, शारीरिक और अकादमिक रूप से तैयार करना होता है.