Tapeshwar Kumar got selected in ISRO
Tapeshwar Kumar got selected in ISRO बिहार के आरा में एक किसान के बेटे ने अपनी कड़ी मेहनत और घंटों पढ़ाई की बदौलत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में जगह बनाई है. छोटे से गांव के मध्यम परिवार से निकल कर तपेश्वर कुमार ने पहली बार में ही सफलता हासिल कर ISRO में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर ज्वाइन किया है. तपेश्वर ने न सिर्फ परिवार वालों का मान सम्मान बढ़ाया है बल्कि पूरे जिले का भी नाम रोशन किया है.
तपेश्वर कुमार मूलरूप से उदवंतनगर प्रखंड के बरगही गांव के रहने वाले हैं. 21 साल के तपेश्वर के पिता, श्याम बिहारी कुशवाहा एक किसान हैं और मां, चंद्रवती देवी गृहणी है. उनके माता-पिता ने बेहद गरीबी के हालातों से लड़ते हुए भी बेटे को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मां-बाप की मानें तो तपेश्वर कुमार को पढ़ाने के लिए उन्होंने अपने गांव की 12 कट्ठा जमीन को गिरवी रखा था. लेकिन बेटे के कड़ी मेहनत से आज पूरे सामाज में उन्हें अलग पहचान मिली है.
सरकारी स्कूल से पढ़ें हैं तपेश्वर
इसरो में टेक्निकल असिस्टेंट का पद पाने वाले तपेश्वर कुमार की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से हुईं थी. इसके बाद 2018 में बिहिया के हाई स्कूल से मैट्रिक पास कर 2021 तक पटना न्यू गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज में डिप्लोमा की पढ़ाई की. साल 2018-21 बैच में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से डिप्लोमा करने के बाद इसरो की परीक्षा में शामिल होकर वह पहली बार में ही टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर चयनित हुए. तपेश्वर का इसरो में सलेक्शन होने के बाद से परिवार सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है.
अपोलो मिशन के वीडियोज से हुए प्रेरित
अपनी सफलता को लेकर तपेश्वर कुमार ने गुड न्यूज टुडे से बातचीत में कहा कि दसवीं की पढ़ाई के दौरान उन्हें स्कूल के एक शिक्षक ने मोबाइल में यूट्यूब के माध्यम से अपोलो मिशन के कुछ वीडियो दिखाए थे. जिसके बाद से ही उनकी रुचि अंतरिक्ष विज्ञान में हो गई और उन्होंने स्पेस साइंस की पढ़ाई में दिलचस्पी दिखाते हुए इस मुकाम को हासिल किया. तपेश्वर कुमार ने बताया कि स्पेस साइंस की पढ़ाई को लेकर उनका चयन एक कोचिंग संस्थान में हुआ था. लेकिन फीस ज्यादा होने की वजह से वह ऑफलाइन पढ़ाई न कर सके और फिर ऑनलाइन पढ़ाई का सहारा लिया.
परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से वो काफी चिंतित भी थे. उनके माता-पिता ने उनकी पढ़ाई के लिए जमीन गिरवी रखी थी. जिस वजह से वह ऑनलाइन और यूट्यूब की मदद से स्पेस साइंस की पढ़ाई को जारी रखते हुए कंप्टीशन की तैयारी करते रहे. 20 सितंबर को कोलकाता में एग्जाम हुआ और इसके बाद 22 दिसंबर को फाइनल रिजल्ट आया और उनका सिलेक्शन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर हुआ.
अब तपेश्वर जनवरी के अंत तक आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में योगदान देने वाले हैं, जबकि बेटे की सफलता को लेकर मां चंद्रवती देवी और पिता श्याम बिहारी कुशवाहा भी काफी खुश नजर आ रहे हैं और उनका कहना है कि बेटे की कामयाबी से अब घर की हालत भी सुधरेंगे और समाज में भी सम्मान मिला.
(सोनू कुमार सिंह की रिपोर्ट)