
गुजरात राज्य संस्कृत बोर्ड ने माध्यमिक स्तर पर संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए बड़ी पहल की है. बोर्ड ने ‘संस्कृत प्रोत्साहन योजना’ की घोषणा की है, जिसके तहत सरकारी, अनुदानित और स्वनिर्भर स्कूलों को आर्थिक सहायता, प्रशस्तिपत्र और संस्कृत कॉर्नर की सुविधा दी जाएगी.
इस योजना का मकसद है कि अधिक से अधिक छात्र संस्कृत को वैकल्पिक विषय के रूप में चुनें और स्कूल भी इस प्राचीन भाषा को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाएं.
कितनी आर्थिक मदद मिलेगी?
योजना के अनुसार, जिस विद्यालय में कम से कम 100 छात्र SSC परीक्षा में पंजीकृत हों और सभी छात्र संस्कृत विषय चुनें, उस संस्था को अनुदान मिलेगा.
100 से 199 छात्र संस्कृत चुनते हैं -25,000
200 से 299 छात्र संस्कृत चुनते हैं -50,000
300 से 399 छात्र संस्कृत चुनते हैं -75,000
400 या अधिक छात्र संस्कृत चुनते हैं -1,00,000
सिर्फ संस्था ही नहीं, बल्कि संस्कृत पढ़ाने वाले आचार्य और विषय शिक्षक को भी विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा.
क्या है इस योजना का मकसद
गुजरात राज्य संस्कृत बोर्ड का मानना है कि इस योजना से छात्र संस्कृत को लेकर अधिक उत्साहित होंगे. साथ ही स्कूलों को भी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरणा मिलेगी.
छात्रों को माध्यमिक स्तर पर संस्कृत विषय चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
स्कूलों को वित्तीय सहायता और सम्मान देकर संस्कृत को बढ़ावा दिया जाएगा.
उच्च शिक्षा में संस्कृत विषय को प्राथमिकता दिलाई जाएगी.
युवाओं को संस्कृत शिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
भारत की प्राचीन और समृद्ध भाषा संस्कृत को संरक्षित किया जाएगा.
शिक्षा और रोजगार दोनों में फायदा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना न केवल संस्कृत भाषा को जीवित रखेगी, बल्कि संस्कृत के शिक्षकों के लिए शैक्षिक और व्यावसायिक अवसर भी बढ़ाएगी. संस्कृत बोर्ड का मानना है कि आने वाले वर्षों में इस योजना से गुजरात में संस्कृत शिक्षा को नई पहचान मिलेगी.