![रेल पुलिस पाठशाला रेल पुलिस पाठशाला](https://cf-img-a-in.tosshub.com/lingo/gnt/images/story/202309/rail_police_pathshala-sixteen_nine.png?size=948:533)
एक रेलवे पुलिस अधिकारी ने कचरा बीनने वाले और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए एक बड़ी पहल की है. इन बच्चों को शिक्षित करके जिम्मेदार नागरिकों के रूप में तैयार किया जा रहा है, जिससे उनके अपराध की दुनिया में लिप्त होने से रोका जा सके.
मुजफ्फरपुर एसपी (रेलवे) कुमार आशीष ने मुजफ्फरपुर रेलवे जंक्शन से 'रेल पुलिस पाठशाला' शुरू की है. राज्य में अपनी तरह की पहली 'रेल पुलिस पाठशाला' का उद्घाटन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किया गया था. यहां कक्षाएं हर दिन सुबह 8 बजे से 11 बजे तक आयोजित की जाती हैं क्योंकि पुलिसकर्मी बच्चों को बारी-बारी से पढ़ाते हैं. यह सब वह अपने आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करते हुए कर रहे हैं.
साल 2012 बैच के IPS अधिकारी हैं आशीष
अपने आप में एक शिक्षक, बिहार कैडर के 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी आशीष ने कहा कि उन्होंने उन बच्चों के लिए एक स्कूल खोलने का फैसला किया, जिनका बचपन सामान्य नहीं है और परेशानियों से भरा हुआ है. इसके लिए उन्होंने अपने अधीनस्थ अधिकारियों से भी मदद ली है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को उन्होंने बताया कि इससे इन बच्चों को गलत रास्तों पर जाने से रोका जा सकता है.
15 अगस्त को उद्घाटन की गई 'रेल पाठशाला' में लगभग 25-30 बच्चे पढ़ते हैं. रेलवे एसपी, डीएसपी, जीआरपी के थानेदार, एसआई और कांस्टेबल छात्रों को पढ़ाने की पहल करते हैं. वर्तमान में, दो महिला कांस्टेबल - ब्यूटी कुमारी और प्रियंका कुमारी - शिक्षण कार्य में लगी हुई हैं. हर एक बच्चे को एक बैग, स्लेट और अन्य स्टेशनरी सामान दिया गया है.
पांच नई 'रेल पुलिस पाठशाला' खुलेंगी
एसपी (रेल) ने कहा कि सरकारी स्कूलों में प्रवेश के बाद भी बच्चे 'रेल पुलिस पाठशाला' में ट्यूटोरियल कक्षाओं में भाग लेंगे, और बताया कि इस महीने के अंत तक पांच नई 'रेल पुलिस पाठशाला' समस्तीपुर, छपरा, सीवान, दरभंगा और हाजीपुर में खोले जाएंगे.
“रेल पुलिस पाठशाला’ में नामांकित कुछ छात्र पहले पॉकेटमारी और अन्य छोटे अपराधों में शामिल थे. लेकिन 'रेल पुलिस पाठशाला' में आने के बाद उनके व्यवहार और दृष्टिकोण में बदलाव आया है. आईपीएस अधिकारी ने 'रेल पुलिस पाठशाला' को 'प्रिवेंटिंग पुलिसिंग' का एक हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, "पढ़ाना मेरा शौक है और ड्यूटी के बाद सबसे ज्यादा मजा टीचिंग में आता है."
कम्यूनिटी पुलिसिंग के तहत एसपी (रेल) डॉ. आशीष ने विभिन्न जिलों में एसपी के रूप में ऐसे कई प्रयोग किये हैं. मधेपुरा, नालंदा, किशनगंज और मोतिहारी के लोग आज भी उनके प्रयासों को शिद्दत से याद करते हैं और उनके सोशल मीडिया पोस्ट इस बात को साबित करते हैं.