Unique method of study in School (Symbolic Image)
Unique method of study in School (Symbolic Image) मध्य प्रदेश के बैतूल में एक सरकारी स्कूल की पढ़ाई बड़े ही चर्चा में है. असल में इस स्कूल में पढ़ाई का तरीका कुछ अलग है. यहां के बच्चे नाचते हुए पढ़ाई करते हैं. एक समाजसेवी ने 10 तक के पहाड़े को आदिवासी लोकगीत में गाया है और अब यह गाना इस स्कूल के बच्चों को पढ़ाने में उपयोग किया जा रहा है.
नाचते गाते पहाड़ा सिखते हैं बच्चे
बैतूल के केलापुर गांव का शासकीय माध्यमिक स्कूल यहां पर बच्चे पढ़ाई के दौरान नाचते हुए नजर आते हैं. अब आप सोच रहे होंगे की पढ़ाई के समय बच्चे स्कूल परिसर में नाच क्यों रहे हैं, तो हम बताते हैं पढ़ाई का यह नया तरीका समाजसेवी राजेश सरियाम ने ईजाद किया है. राजेश सरियाम ने बच्चों को आसानी से 10 तक का पहाड़ा याद हो जाए इसको लेकर आदिवासी लोकगीत के रूप में 10 तक का पहाड़ा तैयार किया है.
मस्ती के साथ पढ़ाई
इस स्कूल के बच्चे मौज मस्ती के साथ पढ़ाई कर रहे हैं. गाने गाकर और डांस के साथ पढ़ाई के मजे ले रहे हैं. स्कूल टाइम में म्यूजिक पर नाचते बच्चे और उनके साथ उनकी टीचर भी नाचती हुई नजर आती हैं. इस दौरान गोंडी भाषा में गाना बजता है. जिसमें पहाड़ा रहता है गाने के साथ बच्चे पहाड़े को रिपीट करते हैं म्यूजिकल पहाड़े से बच्चों को पहाड़ा याद करने में आसानी हो रही है.
सिखाने में होती है सरलता
गतिविधि आधारित शिक्षा को लेकर टीचर संध्या रघुवंशी बताती है कि बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षण कराते हैं. बहुत सारी गतिविधि हम मिलकर बच्चों के साथ करते हैं जिससे बहुत सारी चीजें बच्चों को सिखाने में सरलता होती है. इस स्कूल में 3 टीचर हैं. प्राथमिक और माध्यमिक क्लास में गतिविधि आधारित पढ़ाई को अपना लिया है. गतिविधि के माध्यम से बच्चों को कई विषयों का ज्ञान दिया जाता है इसमें हाथों के इशारों नृत्य कला और चीजों को पहचान कर समझने का गुर सिखाया जाता है. केलापुर स्कूल में जिस तरह बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षा दी जा रही है, अगर ऐसी शिक्षा सभी सरकारी स्कूलों में दी जाए तो शिक्षा का स्तर सुधर सकता है और बच्चे भी स्कूलों में मौज मस्ती के साथ पढ़ाई कर सकते हैं.
(बैतूल से राजेश भाटिया की रिपोर्ट)