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Bhavya Gunwal: कौन हैं भव्या गुणवाल... अंतरराष्ट्रीय बायोलॉजी ओलंपियाड में जीता रजत पदक... खुद कर रही एमबीबीएस की तैयारी... और दूसरे स्टूडेंट्स को भी जेईई और नीट की पढ़ाई में करती हैं मदद

भव्या गुणवाल ने 36वें अंतरराष्ट्रीय बायोलॉजी ओलंपियाड में रजत पदक जीतकर भारत का नाम वैश्विक मंच पर रोशन किया है. यह प्रतियोगिता फिलीपींस के क्यूजोन शहर में आयोजित हुई थी, जिसमें 77 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. 

Bhavya Gunwal Bhavya Gunwal
हाइलाइट्स
  • हरियाणा की रहने वाली हैं भव्या गुणवाल

  • जयपुर स्थित नारायणा एजुकेशनल इंस्टिट्यूट से कर रही नीट की तैयारी

जयपुर में पढ़ाई कर रही महेन्द्रगढ़ (हरियाणा) की 15 वर्षीय छात्रा भव्या गुणवाल ने 36वें अंतरराष्ट्रीय बायोलॉजी ओलंपियाड (आईबीओ) 2025 में रजत पदक जीतकर भारत का नाम वैश्विक मंच पर रोशन किया है. यह प्रतियोगिता फिलीपींस के क्यूजोन शहर में 20 से 26 जुलाई 2025 के बीच आयोजित हुई, जिसमें 77 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था.

इससे पहले भी भव्या ने 2024 में रोमानिया में आयोजित 21वें इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया था और बायोलॉजी विषय में विशेष मान्यता प्राप्त की थी. विज्ञान के क्षेत्र में यह उपलब्धियां केवल अकादमिक मेधाओं का परिचायक नहीं, बल्कि उनके समर्पण, परिश्रम और दृष्टिकोण की भी गवाही देती हैं. भव्या वर्तमान में जयपुर स्थित नारायणा एजुकेशनल इंस्टिट्यूट से नीट की तैयारी कर रही हैं और इसके साथ-साथ वे टॉप न्यूरॉन नामक एनजीओ से जुड़े सामाजिक सरोकार में भी सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रही हैं, जहां वे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को जेईई और नीट की पढ़ाई में मदद करती हैं.

समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का लिया है संकल्प 
भव्या का सफर केवल पदकों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का भी संकल्प लिया है. वे कहती हैं कि जरूरतमंद विद्यार्थियों को पढ़ाना उनके लिए ईश्वर का दिया एक उपहार है, जो उन्हें खुद को बेहतर बनाने और दूसरों की जिंदगी में रोशनी लाने का अवसर देता है. भव्या का मानना है कि दूसरों की मदद करने से उन्हें नई ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है, जिससे उनकी खुद की एकाग्रता और समर्पण भी बढ़ता है. यही कारण है कि वे अकादमिक सफलता के साथ-साथ सामाजिक चेतना की मिसाल भी बन चुकी हैं. नारायणा एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के मुख्य शैक्षणिक अधिकारी आशीष अरोड़ा ने भव्या को एक असाधारण प्रतिभा बताया जो बुद्धिमत्ता के साथ करुणा और सेवा भावना से भी परिपूर्ण हैं, जो उन्हें सिर्फ एक प्रतिभाशाली छात्रा नहीं बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाती है.

रोज बनाती हैं एक टू-डू लिस्ट 
भव्या की दिनचर्या भी उनके अनुशासन और संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाती है. वे रोज एक टू-डू लिस्ट बनाती हैं और पढ़ाई के बीच ब्रेक लेकर फिक्शन नॉवेल पढ़ना या पावर नैप लेना पसंद करती हैं. बायोलॉजी विषय से विशेष लगाव रखने वाली भव्या का कहना है कि वे नीट पास कर अच्छे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करना चाहती हैं. हालांकि अब उन्होंने रिसर्च के क्षेत्र में भी रूचि लेनी शुरू कर दी है और वे चाहती हैं कि आगे चलकर विज्ञान के माध्यम से देश के लिए कुछ ठोस योगदान दे सकें. इंटरनेशनल बायोलॉजी ओलंपियाड में जहां उन्होंने सिल्वर मेडल जीता, वहीं गोल्ड से वे महज 0.5 अंक से चूक गईं, जो उनके स्तर की प्रतिस्पर्धा और उनकी मेहनत का स्पष्ट प्रमाण है.

विज्ञान और गणित में गहरी समझ 
भव्या का पारिवारिक परिवेश भी विज्ञान के प्रति प्रेरित करने वाला रहा है. उनके पिता डॉ. अनिल यादव पेशे से रेडियोलॉजिस्ट हैं, मां डॉ. सुमन यादव आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं और बड़ा भाई एमबीबीएस ग्रेजुएट है. माता-पिता ने बेटी की इस ऐतिहासिक उपलब्धि को पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बताया है. वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन विजय राहतकर भी दिल्ली के सेंट्रल हॉल में भव्या का सम्मान करने जा रहे हैं. विज्ञान और गणित में गहरी समझ रखने वाली इस होनहार छात्रा की सफलता यह दर्शाती है कि जुनून, अनुशासन और सेवा की भावना के साथ कोई भी युवा वैश्विक मंच पर भारत का नाम रोशन कर सकता है.

भाव्या खुद को ऐसे रखती हैं तरोताजा  
भव्या का मानना है कि खुद को तरोताजा रखने के लिए बैडमिंटन खेलना, उपन्यास पढ़ना और दोस्तों से बातें करना जरूरी है. उनका यह संतुलित दृष्टिकोण ही उन्हें बाकी छात्रों से अलग बनाता है और यही कारण है कि उन्होंने न केवल विज्ञान में महारथ हासिल की है, बल्कि समाज में भी अपनी सार्थक भूमिका निभाई है. भव्या गुणवाल आज लाखों युवाओं के लिए एक ऐसी प्रेरणा हैं, जिन्होंने दिखा दिया है कि बड़ा सपना देखने से ज़्यादा जरूरी है, उसे हासिल करने का समर्पण.