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इस वजह से क्षेत्रीय भाषा में टेक्निकल कोर्स करने से झिझक रहे छात्र, नौकरी की सता रही चिंता

इस साल पहली बार क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरू करने वाले टेक्निकल कॉलेजों में काफी खराब नामांकन देखा गया. अधिकारियों ने बताया कि कुछ कॉलेज नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पांच दिन पहले गुरुवार तक केवल 15 से 30 फीसदी सीटें भरने में ही सफल रहे.

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हाइलाइट्स
  • छात्र प्रोग्रमिंग को हिंदी में करने को लेकर सहमत नहीं

  • टारगेट ऑडियंस तक पहुंचने में नाकामयाब

इस साल पहली बार क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरू करने वाले टेक्निकल कॉलेजों में काफी खराब नामांकन देखा गया. अधिकारियों ने बताया कि कुछ कॉलेज नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पांच दिन पहले गुरुवार तक केवल 15% से 30% सीटें भरने में  ही सफल रहे. हालांकि, कर्नाटक ने इस मामले में बेहतर प्रतिक्रिया दिखाई. कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (KEA)के अनुसार, सोमवार तक कन्नड़ में इंजीनियरिंग के लिए आरक्षित 30 सरकारी कोटे की सीटों के लिए 17 छात्रों ने आवेदन किया था. राज्य में अभी काउंसलिंग सत्र शुरू होना बाकी है.

20 में से 10 कॉलेजों ने दी सुविधा 
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इस वर्ष देश भर के 20 कॉलेजों को क्षेत्रीय भाषाओं में चुनिंदा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की पेशकश करने की अनुमति दी थी. NEP के अनुसार क्षेत्रिय भाषा को शिक्षा की भाषा माना गया है. इन 20 कॉलेजों में से 10 कॉलेजों ने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए हिंदी को चुना और बाकी ने मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ का विकल्प दिया.

एआईसीटीई के अधिकारियों ने कहा कि आगामी सत्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, एआईसीटीई ने इन भाषाओं में प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए लागू पुस्तकों का अनुवाद लगभग पूरा कर लिया है. एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल दत्तात्रेय सहस्रबुद्धे ने कहा कि कॉलेजों द्वारा बड़े पैमाने पर इसके लिए एक जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता है.

टारगेट ऑडियंस तक पहुंचने में नाकामयाब
उन्होंने कहा, "यह सिर्फ शुरुआत है. हमें इसे और प्रोत्साहित  करना चाहिए भले ही इसे कम बच्चे ही क्यों न चुनें. कम से कम कॉलेज आगे आ रहे हैं और एआईसीटीई छात्रों को क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने का विकल्प प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. ऐसा हो सकता है कि इस बार सूचना उन स्थानों तक न पहुंच पाई हो जहां पर हमारी टारगेट ऑडियंस है. हमें इसके बारे में और बड़े स्तर पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है ताकि अगले साल और अधिक छात्रों को इसे चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके."

छात्र प्रोग्रमिंग को हिंदी में करने को लेकर सहमत नहीं
अधिकारियों ने बताया कि बच्चों के साथ कई माता- पिता क्षत्रीय भाषा में इंजीनियरिंग कॉलेज कोर्स चुनने को लेकर झिझक रहे हैं. जयपुर स्थित पूर्णिमा  इंस्टीट्यूट ऑफ इंजिनियरिंग के निदेशक दिनेश गोयल ने बताया कि 60 सीटों में से केवल 15 फीसदी सीटें ही अब तक भर पाई हैं. पूर्णिमा कॉलेज इस साल हिंदी में कम्यूटर इंजिनियरिंग में बीटेक करने का कोर्स ऑफर कर रहा है. उन्होंने कहा, बच्चों की प्रतिक्रिया अपेक्षा के अनुरूप नहीं है. ऐसा लगता है कि हम छात्रों को पाठ्यक्रम के स्ट्रक्चर के बारे में ठीक से नहीं बता सके. छात्रों में अभी भी इस पर कई आशंकाएं हैं. कंप्यूटर साइंस के छात्र इस बात से सहमत नहीं हैं कि वो प्रोग्रामिंग पार्ट हिंदी में कर सकते हैं. इसके अलावा, वे इस बात से भी चिंतित हैं कि पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद इंडस्ट्री उन्हें कैसे एक्सेप्ट करेगी. हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय भाषा के पाठ्यक्रम और अधिक लोकप्रिय होंगे."

छात्रों को नौकरी की सता रही चिंता
पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के टेक्नीक पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल अविजीत करमकर ने कहा कि अब तक उनकी केवल 30% से 35% सीटें ही भरी हैं. टेक्नीक पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट इस साल से बंगाली भाषा में डिप्लोमा कोर्स ऑफर कर रहा है. उन्होंने कहा, "हमें छात्रों को ये भरोसा दिलाने करने की जरूरत है कि क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग करने के बाद उन्हें नौकरी मिलेगी."

इसी तरह उत्तर प्रदेश के कानपुर में प्राणवीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अधिकारियों ने कहा कि अभी तक प्रवेश संख्या बहुत कम है. संस्थान के निदेशक संजीव भल्ला ने कहा, "ऐसा लगता है कि लोग अभी तक अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य भाषा में टेक्निकल कोर्स को करने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं." प्राणवीर कॉलेज हिंदी में कंप्यूटर इंजीनियरिंग का कोर्स ऑफर कर रहा है.