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Ravindra Singh Bhati: गांव का लड़का, पिता टीचर, निर्दलीय MLA... Barmer Jaisalmer लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी की कहानी जानिए

Barmer Jaisalmer Lok Sabha Seat: 26 साल के रविंद्र सिंह भाटी शिव विधानसभा से विधायक हैं. उनका घर बाड़मेर के दूधोड़ा गांव में है. भाटी एक साधारण फैमिली से आते हैं. उनके पिता टीचर हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के सरकारी स्कूल से हुई है. इसके बाद उन्होंने जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. इस विश्वविद्यालय से ही रविंद्र सिंह भाटी छात्र राजनीति में सक्रिय हुए.

Ravindra Singh Bhati Ravindra Singh Bhati

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. राजस्थान में एक 26 साल के लड़के की खूब चर्चा हो रही है. इस लड़के का नाम रविंद्र सिंह भाटी है. इस लड़के को सुनने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुट रही है. भाटी शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं और इस बार लोकसभ चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं.

बाड़मेर सीट से उम्मीदवार हैं भाटी-
रविंद्र सिंह भाटी पश्चिमी राजस्थान के भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सटे बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक हैं. भाटी बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. भाटी मोदी सरकार के मंत्री कैलाश चौधरी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से कांग्रेस ने उम्मेदराम बेनीवाल को मैदान में उतारा है. भाटी की चर्चा उस समय सबसे ज्यादा होने लगी, जब नामांकन के दौरान भाटी को सुनने और देखने के लिए जनसैलाब सड़कों पर उतर गया. इस जनसैलाब ने पूरे देश में इस युवा नेता को चर्चित उम्मीदवार बना दिया.

साधारण फैमिली से आते हैं भाटी-
रविंद्र सिंह भाटी राजस्थान के बाड़मेर के शिव विधानसभा के छोटे से गांव दूधोड़ा के रहने वाले हैं. वो एक साधारण फैमिली से आते हैं. रविंद्र सिंह भाटी के पिता टीचर हैं. भाटी की फैमिली का दूर-दूर तक सियासत से कोई नाता नहीं रहा है. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के सरकारी स्कूल से हुई है. इसके बाद उन्होंने जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. इस विश्वविद्यालय से ही रविंद्र सिंह भाटी छात्र राजनीति में सक्रिय हुए.

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छात्र राजनीति में एक्टिव हुए भाटी-
रविंद्र सिंह भाटी ने छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता के रूप में 3 साल दिए. इस दौरान भाटी ने ग्रेजुएशन के साथ वकालत भी की. साल 2019 में भाटी ने छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव में एबीवीपी से टिकट की दावेदारी की. लेकिन संगठन ने टिकट नहीं दिया. इससे नाराज रविंद्र सिंह भाटी ने ABVP से बगावत कर निर्दलीय ताल ठोक दिया.

रविंद्र सिंह भाटी ने रचा इतिहास-
रविंद्र सिंह भाटी ने यूनिवर्सिटी के 57 साल के इतिहास को बदल दिया. भाटी यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार निर्दलीय छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष बनने के बाद भाटी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. लगातार कोरना काल के दौरान चाहे छात्रों की फीस माफी का मुद्दा हो या गहलोत सरकार में कॉलेज की जमीन का मुद्दा, हर मुद्दे के साथ भाटी स्टूडेंट्स के साथ सड़कों जाते थे और कई बार भाटी को छात्र हितों के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ी. उन्होंने स्टूडेंट्स की मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव भी किया.

दोस्त को दिलाई जीत-
रविंद्र सिंह भाटी स्टूडेंट्स और युवा वर्ग के लिए चहेते बन गए. उन्होंने साल 2022 में स्टूडेंट इलेक्शन में अपने दोस्त को जिताया. कॉलेज इलेक्शन के दौरान भाटी के दोस्त अरविंद सिंह भाटी को जब NSUI ने टिकट नहीं दिया तो अरविंद सिंह भाटी को SFI से चुनाव लड़ाया और जीत दिलाई. अरविंद सिंह ने NSUI और एबीवीपी को बुरी तरीके से हराया. उसी दिन से ही राजस्थान में इस युवा की चर्चा और ज्यादा तेज हो गई. इसी के बाद से भाटी की रुचि राजनीति में बढ़ती गई. राजनीति की मुख्य धारा में आकर अपने लोगों की सेवा करने की उद्देश्य से भाटी अपनी विचारधारा के मुताबिक बीजेपी ज्वॉइन करना चाहते थे. कहा जाता है कि भाटी ने बीजेपी से जुड़ने का खूब प्रयास किया. लेकिन कुछ बीजेपी के बड़े नेता रविंद्रसिंह भाटी को बीजेपी में शामिल नहीं होने देना चाहते थे. इसलिए उनकी राह में रोड़ा बनते रहे. आखिरकार भाटी ने 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले शिव विधानसभा से टिकट मिलने की आस में बीजेपी ज्वॉइन कर ली. जब टिकट फाइनल हुआ तो बीजेपी ने शिव विधानसभा से रविंद्र भाटी को टिकट ना देकर संघ की पृष्ठभूमि वाले और उस समय के बाड़मेर बीजेपी के जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह खारा को अपना उम्मीदवार बना दिया. इसी बात से नाराज भाटी ने महज 7 दिन में ही बीजेपी से बगावत कर शिव विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. नामांकन के दौरान जो भीड़ शिव में दिखी, उसी ने भाटी की सियासी जिंदगी को बदलकर रख दिया.

निर्दलीय विधायक चुने गए भाटी-
चुनाव में भाटी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के पूर्व मंत्री अमीन खान थे. अमीन खान ने कांग्रेस के सिंबल पर 9 बार चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने 84 साल की उम्र में अमीन खान को 10वीं बार अपना प्रत्याशी बनाया था. इसके अलावा बीजेपी के जिला अध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा, कांग्रेस के बागी जिलाध्यक्ष फतेह खान और पूर्व विधायक जालम सिंह रावत जैसे दिग्गज चेहरे चुनावी मैदान में थे. जनता को अपने विश्वास में लेकर भाटी ने करीब 4000 वोटों के अंतर से बड़े-बड़े चेहरों को पीछे छोड़कर निर्दलीय विधायक बन गए. इस चुनाव में बीजेपी के स्वरूपसिंह खारा की तो जमानत तक जब्त करवा दी.
 
नामांकन रैली में उमड़ी भीड़ ने बढ़ाई टेंशन-
4 अप्रैल यानी इसी महीने की 4 तारीख को जब रविंद्र सिंह भाटी ने अपनी नामांकन सभा और रैली की तो हजारों की संख्या में लोग सभा में पहुंचे और जब बड़ी संख्या में लोग भाटी के साथ नामांकन रैली के लिए सड़कों पर उतरे तो बीजेपी-कांग्रेस के होश फाख्ता हो गए. एक 26 साल के युवा विधायक के लिए उमड़े हजारों के जनसैलाब ने भाटी को पूरे देश में चर्चित पर दिया. 

ऐसा नहीं है कि भाटी का जलवा सिर्फ पश्चिमी राजस्थान में ही है. पिछले तीन दिनों से भाटी बाड़मेर-जैसलमेर और बालोतरा के प्रवासियों से मिलने और वोट मांगने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और हैदराबाद के अलग अलग इलाकों में पहुंच रहे हैं. भाटी जहां भी जा रहे हैं, हजारों लोगों का उन्हें जनसमर्थन मिल रहा है. लोग इस तरह से उमड़ रहे हैं कि सोशल मीडिया पर अन्य राज्यों में उमड़ते प्रवासियों को देखकर राजनीति के बड़े-बड़े सूरमा भी हैरान है. रविंद्र सिंह भाटी के सोशल मीडिया पर लाखों की तादाद में फॉलोअर्स हैं. सोशल मीडिया पर भाटी का क्रेज राजस्थान ही नहीं, पूरे देश में है. इंस्टाग्राम पर भाटी के 7 लाख फॉलोअर्स बढ़ गए हैं. वर्तमान में भाटी के इंस्टाग्राम पर 22 लाख, फेसबुक पर करीबन 10 लाख और ट्विटर पर ढाई लाख से ज्यादा फॉलोअर्स है. सोशल मीडिया पर भाटी के वीडियो वायरल हो रहे हैं. किसी-किसी वीडियो को एक-एक करोड़ लोगों ने देखा है.

(बाड़मेर से दिनेश बोहरा की रिपोर्ट)

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