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Indelible Ink in Indian Elections: साल 1937 से हुई थी शुरू… मिटाने से भी नहीं मिटती, जानें वोटिंग की निशानी कही जाने वाली इस अमिट स्याही के बारे में

Story of Indelible Ink: एक बार लगाने के बाद, स्याही स्किन और नाखूनों पर बैंगनी रंग का दाग छोड़ देती है. ये लगभग दो सप्ताह तक बना रहता है और इसे मिटाना लगभग असंभव होता है. ये प्रतीक होता है कि आपने एक बार वोट दे दी है.

Indelible Ink in Indian Elections (Photo: GettyImages) Indelible Ink in Indian Elections (Photo: GettyImages)
हाइलाइट्स
  • मिटाने से भी नहीं मिटती

  • साल 1937 से हुई थी शुरू

दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले लोकतंत्र भारत में, चुनाव शुरू हो गए हैं. देशभर के लोग अपना नेता चुनने के लिए वोट देते हैं. वोट की एक सबसे बड़ी निशानी तर्जनी उंगली पर लगने वाली इंक भी है. दक्षिण भारत के शहर मैसूरु की एक फैक्ट्री से बनी ये स्याही चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने का काम करती है. साथ ही डुप्लीकेट वोटों को रोकने और धोखाधड़ी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 

अमिट स्याही है वोट की पहचान

दशकों से, भारत वोट डालने के बाद मतदाताओं को चिन्हित करने के लिए अमिट स्याही पर निर्भर रहा है. ये इंक सिल्वर नाइट्रेट से बनी होती है. एक बार लगाने के बाद, स्याही स्किन और नाखूनों पर बैंगनी रंग का दाग छोड़ देती है. ये लगभग दो सप्ताह तक बना रहता है और इसे मिटाना लगभग असंभव होता है. ये प्रतीक होता है कि आपने एक  बार वोट दे दी है. 

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मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड बनाती है ये स्याही 

1937 में स्थापित, मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के पास भारत में इस अमिट स्याही को बनाने का विशेष अधिकार है. जैसा कि देश में  समय-समय पर आम चुनाव होते रहे हैं, यह कंपनी चुनावी प्रक्रिया के सुचारू संचालन में बड़ी भूमिका निभाती है. हालांकि, इसका प्राथमिक व्यवसाय सार्वजनिक परिवहन वाहनों पर उपयोग किए जाने वाले पेंट का उत्पादन करना है. लेकिन फिर भी इलेक्शन आने पर मैसूर पेंट्स अमिट स्याही की मांग को पूरा करने के लिए अपनी भूमिका निभाता है. 

रिकॉर्ड शिपमेंट और अलग-अलगऑर्डर

जैसे-जैसे वोटर्स बढ़े हैं, वैसे-वैसे मैसूर पेंट्स ने अपना उत्पादन भी बढ़ा दिया है. स्याही की प्रत्येक शीशी की कीमत 174 रुपये ($2.1) होती है. कंपनी को भारत भर के अलग -अलग राज्यों और क्षेत्रों से ऑर्डर मिलते हैं. जिसमें उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा ऑर्डर है. वोटर्स की संख्या के हिसाब से इसका ऑर्डर होता है. 

ये अमिट स्याही केवल भारत में ही नहीं बल्कि बाहर भी फैली है. एशिया के कई देश भी इसे अपनी चुनावी प्रक्रियाओं के लिए खरीदते हैं. धोखाधड़ी को रोकने में स्याही की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता ने इसे चुनाव प्रशासन की नजर में सबसे जरूरी उत्पाद बना दिया है. 

स्याही हटाने की लोग करते हैं कोशिश 

इस अमिट स्याही को मिटा पाना लगभग नामुमकिन होता है, लेकिन लोग इसे मिटाने के लिए अलग-अलग उपाय करने लगे हैं. कुछ मतदाताओं ने मेकअप हटाने वाले सामान, नींबू का रस, या कच्चे पपीते के रस जैसे अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल भी किया है. इस तरह की दिक्कतों से मुकाबला करने को लेकर मैसूर पेंट्स के प्रबंध निदेशक मोहम्मद इरफान चुनाव अधिकारियों के महत्व पर जोर देते हैं. मोहम्मद इरफान ने रॉयटर्स को बताया कि इसके लिए सबसे जरूरी है कि स्याही लगाने से पहले चुनाव अधिकारी ये जरूर देखें कि मतदाताओं की उंगलियां साफ हों. इससे ऐसी समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है.