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INDIA Alliance: Mamata Banerjee, Kejriwal के तेवर.. Nitish Kumar की बगावत, क्या है इंडिया गठबंधन का फ्यूचर?

Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. जबकि बिहार में नीतीश कुमार ने NDA का हाथ थाम लिया है. उधर, अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP भी तेवर दिखा रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पीएम मोदी के खिलाफ बनाया गया इंडिया गठबंधन कमजोर नजर आने लगा है.

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बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया है और एनडीए (National Democratic Alliance) के साथ फिर से सूबे में सरकार बना ली है. नीतीश कुमार ने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. नीतीश कुमार के इस कदम से लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर नरेंद्र मोदी के खिलाफ बन रहे I.N.D.I.A. (Indian National Developmental Inclusive Alliance) को बड़ा झटका लगा है. नीतीश का साथ मिलने से NDA ने विपक्षी गठबंधन पर मनोवैज्ञानिक बढ़त ले ली है. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लगातार कांग्रेस को तेवर दिखा रहे हैं. जबकि नीतीश कुमार ने खुद को इंडिया गठबंधन से अलग कर लिया है. एक वक्त में I.N.D.I.A. एनडीए को टक्कर देता नजर आ रहा था, लेकिन एकाएक ये गठबंधन काफी कमजोर दिखने लगा है.

बिहार में I.N.D.I.A. हुआ कमजोर!
बिहार में इंडिया गठबंधन काफी मजबूत नजर आ रहा था. माना जा रहा था कि इंडिया गठबंधन एनडीए पर भारी है. लेकिन एक झटके में गठबंधन कमजोर हो गया. जेडीयू के आने के बाद एनडीए के नेता बिहार में 40 में से 40 सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं. नीतीश कुमार के अलग होने के बाद इंडिया गठबंधन बिहार में बिखरा-बिखरा नजर आ रहा है. दरअसल बिहार का सियासी समीकरण ऐसा है कि जेडीयू पार्टी जिस गठबंधन के साथ होती है, वो गठबंधन मजबूत नजर आने लगता है. इस तरह से जेडीयू पहले इंडिया गठबंधन में था तो सूबे में महागठबंधन मजबूत दिखाई दे रहा था, अब जेडीयू एनडीए में शामिल हो गई है तो एनडीए भारी पड़ता नजर आ रहा है. 2019 आम चुनाव में भी एनडीए गठबंधन को 39 सीटों पर जीत मिली थी. उस समय भी नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे.

ममता बनर्जी का 'एकला चलो'!
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इस तरह से इंडिया गठबंधन पश्चिम बंगाल में भी नाममात्र का रह गया है. ममता बनर्जी की टीएमसी बंगाल की सबसे ताकतवर पार्टी है. पार्टी अकेले दम पर सूबे में सरकार चला रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि बीजेपी ने 18 सीटों पर विजय पताका फहराया था. कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिली थीं. ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि ममता बनर्जी के बिना पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन की कितनी साख बचेगी.

केजरीवाल की पार्टी दिखा रही तेवर
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी इंडिया गठबंधन को तेवर दिखा रही है. खुद केजरीवाल ने हरियाणा में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. हालांकि लोकसभा चुनाव गठबंधन के साथ लड़ने की बात भी कही. लेकिन पंजाब में पार्टी तेवर दिखा रही है. पंजाब के सीएम भगवंत मान ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि सूबे की सभी 13 सीटों पर आम आदमी पार्टी की ही जीत होगी.

गठबंधन में कांग्रेस पर बढ़ेगा दबाव
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के अलग राह पर जाने और बिहार में नीतीश कुमार के गठबंधन से अलग होने के बाद कांग्रेस पर दबाव बढ़ेगा. पंजाब, दिल्ली और गुजरात में ठीक-ठाक जनाधार रखने वाली आम आदमी पार्टी दबाव की रणनीति के तहत काम कर रही है. हालांकि दोनों दलों में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत चल रही है. लेकिन अब तक अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. ऐसे में एक गलत कदम आम आदमी पार्टी को भी गठबंधन से बाहर जाने को मजबूर कर सकता है.

इस तरह से देखा जाए तो इंडिया गठबंधन का फ्यूचर कुछ अच्छा नहीं दिख रहा है. कई बड़े नेता साथ छोड़ चुके हैं, जबकि कई दलों के गठबंधन छोड़ने की सुगबुगाहट भी है. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले ही एनडीए के खिलाफ बनने वाला गठबंधन टूटता नजर आने लगा है.

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