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Etawah Lok Sabha Seat: कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी को 3-3 बार मिली जीत, जानें इटावा लोकसभा सीट का समीकरण

UP Lok Sabha Election: इटावा लोकसभा सीट से बीएसपी संस्थापक कांशीराम ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी को 3-3 बार जीत मिली है. पिछले 10 साल से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. पार्टी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है.

Etawah Lok Sabha Seat Etawah Lok Sabha Seat

इटावा लोकसभा सीट (Etawah Lok Sabha Seat) उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से एक है. इस सीट पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीजेपी को 3-3 बार जीत मिली है. हालांकि पिछले 10 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और इस बार पार्टी के पास हैट्रिक लगाने का मौका है. इटावा सीट पर दलित वोटर्स की बहुलता है. हालांकि ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. चलिए आपको इस सीट का समीकरण और इतिहास बताते हैं.

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार-
इटावा लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती थी. हालांकि पिछले दो बार से पार्टी उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ रहा है. इस बार समाजवादी पार्टी ने जितेंद्र दोहरे को मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद राम शंकर कठेरिया को उम्मीदवार बनाया है. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व सांसद सारिका सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

साल 2019 आम चुनाव के नतीजे-
साल 2019 आम चुनाव बीजेपी के उम्मीदवार राम शंकर कठेरिया ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कमलेश कठेरिया को 64 हजार से ज्याद वोटों से हराया था. बीजेपी उम्मीदवार को 5 लाख 22 हजार 119 वोट मिले थे. जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 4 लाख 57 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार अशोक कुमार दोहरे को 16 हजार 570 वोट मिले थे.

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इटावा सीट का इतिहास-
इटावा लोकसभा सीट से कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी को 3-3 बार जीत मिली है. इस सीट पर पहली बार साल 1957 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया ने जीत हासिल की थी. जबकि साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के जीएन दीक्षित विजयी हुए थे. लेकिन साल 1967 आम चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया सांसद चुने गए.

साल 1971 चुनाव में कांग्रेस के श्रीशंकर तिवारी सांसद बने. लेकिन साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर तीसरी बार अर्जुन सिंह भदौरिया सांसद चुने गए. लेकिन साल 1980 आम चुनाव में जनता पार्टी ने राम सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की.

साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस के रघुराज सिंह चौधरी और साल 1989 चुनाव में जनता दल के राम सिंह शाक्य सांसद चुने गए. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी को पहली बार साल 1991 में जीत मिली थी. बीएसपी के टिकट पर कांशीराम सांसद चुने गए थे. लेकिन साल 1996 आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के राम सिंह शाक्य ने जीत हासिल की. बीजेपी को पहली बार साल 1998 में जीत मिली, जब सुखदा मिश्रा ने जीत दर्ज की थी.

साल 1999 आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के रघुराज सिंह शाक्य सांसद चुने गए. उन्होंने साल 2004 में भी सीट बचाए रखने में कामयाबी हासिल की. साल 2009 में समाजवादी पार्टी ने प्रेमदास कठेरिया को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की. लेकिन साल 2014 आम चुनाव में बीजेपी के अशोक दोहरे सांसद चुने गए और साल 2019 आम चुनाव में राम शंकर कठेरिया ने जीत दर्ज की.

इस सीट का जातीय समीकरण-
इटावा लोकसभा सीट पर सबसे ज्याद दलित वोटर हैं. इस सीट पर 4 लाख से ज्याद दलित वोटर हैं. जबकि ब्राह्मण वोटर्स की संख्या 2.50 लाख है. इस सीट पर राजपूत वोटर्स की संख्या भी 1.5 लाख के करीब है. इसके अलावा लोधी, यादव और मुस्लिम वोटर एक-एक लाख हैं.

5 विधानसभा सीटों का गणित-
इटावा लोकसभ सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें इटावा जिले की भरथना, इटावा सीटें आती हैं. जबकि औरेया जिले की दिबियापुर और औरैया विधानसभा सीट इसमें शामिल है. कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट भी इसमें शामिल है. विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी को 3 और समाजवादी पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली थी.

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