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Morena Lok Sabha Seat: लगातर 8 बार से BJP को मिल रही जीत, Congress रोक पाएगी 28 साल का अजेय रथ? जानें क्या है मुरैना लोकसभा सीट का इतिहास और समीकरण

Morena Lok Sabha Election 2024: मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. बीजेपी 28 सालों से इस सीट पर जीत रही है. कांग्रेस बार-बार उम्मीदवार बदलती है, लेकिन पार्टी की किस्मत नहीं बदलती है. इस बार भी कांग्रेस ने नया उम्मीदवार रामनिवास रावत को मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद नरेंद्र सिंह तोमर की जगह शिवमंगल सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया है.

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मुरैना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश में है. इस सीट पर पिछले 28 साल से बीजेपी का कब्जा है. मुरैना में बीजेपी को 8 बार जीत मिली है, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवारों को 6 बार जीत हासिल हुई है. इस सीट पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे. जबकि 4 जून को नतीजे आएंगे. इस सीट पर ब्राह्मण और राजपूत वोटर्स का दबदबा है.

किस पार्टी ने किसको मैदान में उतारा-
बीजेपी ने इस बार मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह शिवमंगल सिंह तोमर को मैदान में उतारा है. आपको बता दें कि नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा का अध्यक्ष बना दिया गया है. जबकि कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार को मैदान में उतारा है. बीएसपी ने भी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा है. बीएसपी ने रमेश चंद गर्ग को मैदान में उतारा है.

2019 आम चुनाव के नतीजे-
साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास रावत को एक लाख 13 हजार 981 वोटों से हराया था. नरेंद्र सिंह तोमर को 5 लाख 41 हजार 689 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 4 लाख 28 हजार 348 वोट हासिल हुए थे. बीएसपी उम्मीदवार करतार सिंह भड़ाना को एक लाख 29 हजार 380 वोट मिले थे. जबकि नोटा पर 2 हजार 98 लोगों ने बटन दबाया था.

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मुरैना सीट का इतिहास-
मुरैना लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोट डाले गए थे. उस चुनाव में कांग्रेस के राधाचरण शर्मा ने जीत हासिल की थी. राधाचरण शर्मा ने साल 1957 आम चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए थे. लेकिन साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सूरज प्रसाद सांसद चुने गए. साल 1967 आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार आत्मदास ने जीत दर्ज की.

साल 1971 चुनाव में भारतीय जनसंघ के हुकुमचंद कछवाई सांसद चुने गए. आपातकाल के बाद साल 1977 आम चुनाव में छविराम अर्गल जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने. लेकिन साल 1980 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और बाबूलाल सोलंकी सांसद चुने गए. साल 1984 चुनाव में कांग्रेस के कम्मोदीलाल जाटव ने जीत हासिल की.

मुरैना लोकसभा सीट पर बीजेपी को पहली बार साल 1989 में जीत हासिल हुई. बीजेपी के छविराम अर्गल सांसद चुने गए. लेकिन साल 1981 आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बारेलाल जाटव सांसद चुने गए. साल 1996 आम चुनाव में बीजेपी के अशोक अर्गल सांसद चुने गए. इसके बाद उन्होंने साल 1998, साल 1999 और साल 2004 चुनाव में फिर से सांसद चुने गए. साल 2009 आम चुनाव में बीजेपी ने नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की. लेकिन 2014 आम चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवार बदल दिया और अनूप मिश्रा सांसद चुने गए. साल 2019 आम चुनाव में फिर से नरेंद्र सिंह तोमर सांसद चुने गए.

8 विधानसभा सीटों का गणित-
मुरैना लोकसभा सीट के तहत 8 विधानसभाएं आती हैं. इसमें श्योपुर जिले की श्योपुर और विजयपुर विधानसभा सीटें शामिल है, जबकि मुरैना जिले की सबलगढ़, जोउरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी और अंबाह विधानसभा सीटें शामिल हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को 5 सीटों श्योपुर, विजयपुर, जोउरा, मुरैना और अंबाह पर जीत मिली है. जबकि सबलगढ़, सुमावली और दिमनी में बीजेपी को जीत मिली है. श्योपुर से बाबू जंडेल, विजयपुर से रामनिवास रावत, सबलगढ़ से सरला वीरेंद्र रावत, जोउरा से पंकज उपाध्याय, सुमावली से अदल सिंह कंसाना, मुरैना से दिनेश गुर्जर, दिमनी से नरेंद्र सिंह तोमर और अंबाह से देवेंद्र सखवार विधायक हैं.

इस सीट का जातीय समीकरण-
मुरैना लोकसभा सीट पर ब्राह्मण और राजपूत का दबदबा है. दोनों जातियों में सियासी लड़ाई रहती है. इस सीट पर सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या करीब 2 लाख है. जबकि राजपूत वोटर्स की संख्या भी करीब 2 लाख है. इस सीट पर दलित वोटर्स 2.75 लाख हैं. जबकि वैश्य वोटर्स की संख्या सवा लाख है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 80 से 90 हजार के आसपास है.

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