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Sultanpur Lok Sabha Seat: कांग्रेस को 8 और बीजेपी को 5 बार मिली जीत, वरुण-मेनका भी चुने गए सांसद, क्या है जातीय समीकरण, जानिए सुल्तानपुर लोकसभा सीट का इतिहास

Lok Sabha Election 2024: सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा बार कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 8 बार जीत दर्ज की है. जबकि बीजेपी को इस सीट पर 5 बार जीत मिली है. वरुण गांधी ने साल 2014 और मेनका गांधी ने साल 2019 में इस सीट से सांसद चुने गए थे. इस सीट पर मु्स्लिम और दलित वोटर्स का दबदबा है.

Sultanpur Lok Sabha Seat Sultanpur Lok Sabha Seat

सुल्तानपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश में है. इस सीट पर कांग्रेस की सबसे ज्यादा 7 बार जीत हुई है. जबकि बीजेपी उम्मीदवारों को 5 बार जीत हासिल हुई है. लोकसभा की इस सीट से मेनका गांधी और वरुण गांधी ने भी जीत हासिल की है. लेकिन लगातार 5 बार जीत का रिकॉर्ड सिर्फ कांग्रेस के पास है. चलिए इस सीट का जातीय समीकरण समेत पूरा इतिहास बताते हैं.

किस पार्टी से कौन उम्मीदवार-
सुल्तानपुर लोकसभा सीट से मेनका गांधी सांसद हैं. हालांकि अभी तक बीजेपी ने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. दूसरी तरफ से इंडिया गठबंधन ने भी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी शामिल हैं. जबकि एनडीए गठबंधन में बीजेपी, अपना दल, निषाद पार्टी, आरएलडी और एसबीएसपी शामिल है.

2019 आम चुनाव में मेनका गांधी की जीत-
साल 2019 आम चुनाव में मेनका गांधी ने जीत हासिल की थी. मेनका गांधी को बीजेपी ने सुल्तानपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था. मेनका गांधी ने बीएसपी उम्मीदवार चंद्र भद्र सिंह को मात दी थी. मेनका गांधी को 4 लाख 59 हजार 196 वोट मिले थे, जबकि बीएसपी उम्मीदवार को 4 लाख 44 हजार 670 वोट मिले थे. कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. संजय सिंह को 41 हजार 681 वोट मिले थे.

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लोकसभा सीट का इतिहास-
सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने 8 बार जीत हासिल की है. जबकि बीजेपी को 5 बार जीत मिली है. बहुजन समाज पार्टी को 2 बार और जनता दल को एक बार जीत मिली है. इस सीट पर पहली बार 1951-52 के चुनाव में वोटिंग हुई थी. उस चुनाव में कांग्रेस के बीवी केसकर ने जीत दर्ज की थी. साल 1957 में कांग्रेस के गोविंद मालवीय, साल 1963 में कांग्रेस के कुंवर कृष्ण वर्मा, साल 1967 में गणपत सहाय और साल 1971 में कांग्रेस के केदारनाथ सिंह ने जीत दर्ज की थी. 

साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के जुल्फिकारुल्ला ने जीत दर्ज की थी. हालांकि इसके बाद साल 1980 आम चुनाव में कांग्रेस के गिरिराज सिंह और साल 1984 में कांग्रेस राज करण सिंह ने जीत दर्ज की थी. साल 1989 आम चुनाव में जनता दल के राम सिंह को जीत मिली. सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को पहली बार साल 1991 में जीत मिली. पार्टी उम्मीदवार विश्वनाथ दास शास्त्री ने जीत हासिल की. इसके बाद साल 1996 में बीजेपी के देवेंद्र बहादुर राय विजय हुए. उन्होंने साल 1998 चुनाव में भी जीत हासिल की.

लगातार तीन बार चुनाव जीतने के बाद साल 1999 में बीजेपी को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार जय भद्र सिंह को जीत मिली. एक बार फिर साल 2004 में बीएसपी उम्मीदवार ताहिर खान को इस सीट पर जीत मिली. साल 2009 में कांग्रेस ने संजय सिंह को चुनाव में उतारा और उनको जीत हासिल हुई.

साल 2014 में पहली बार वरुण गांधी को बीजेपी ने इस सीट से उम्मीदवार बनाया. वरुण गांधी ने बीएसपी उम्मीदवार पवन पांडे को भारी अंतर से हराया. जबकि साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी के बदले उनकी मां मेनका गांधी को उम्मीदवार बनाया. मेनका गांधी ने इस सीट पर जीत दर्ज की.

5 विधानसभा सीटों का गणित-
सुल्तानपुर लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभाएं आती हैं. इसमें इसौली, सुल्तानपुर, सुल्तानपुर सदर, लम्भुआ और कादीपुर शामिल हैं. साल 2022 विधानसभा चुनावव में बीजेपी ने 4 सीटों और समाजवादी पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज की. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद ताहिर खान इसौली से विधायक चुने गए. जबकि सुल्तानपुर से विनोद सिंह, सुल्तानपुर सदर से राज प्रसाद उपाध्याय, लम्भुआ से सीताराम वर्मा और कादीपुर से राजेश गौतम विधायक चुने गए.

इस लोकसभा सीट का जातीय समीकरण-
सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर 80 फीसदी आबादी हिंदू है. जबिक 20 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं. इस लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 21.29 फीसदी है और अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.02 फीसदी है. इस सीट पर मुस्लिम, राजपूत और ब्राह्मण वोटर्स की संख्या भी काफी तादाद में है. ये वोटर्स इस सीट पर हार-जीत का समीकरण बनाते हैं.

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