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Bihar Politics: चुनाव से पहले बीजेपी का 'ऑपरेशन शाहाबाद', जानें किस तरह बीजेपी ने शाहाबाद में की सर्जिकल स्ट्राइक?

बिहार की सियासत में बड़ा अपडेट आया है. भोजपुरी के सुपरस्टार पवन सिंह ने दिल्ली में राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की. बीजेपी ने बिहार चुनाव से पहले शाहाबाद इलाके में पार्टी को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है.

Pawan Singh met Upendra Kushwaha Pawan Singh met Upendra Kushwaha

भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह की मंगलवार को दिल्ली में राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के साथ मुलाकात बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. जिससे वह शाहबाद और मगध क्षेत्र में एक बार फिर से कुशवाहा और राजपूत समाज को एनडीए के पक्ष में एकजुट करने में कामयाब हो गई है.

पिछले कई महीनों से बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव में शाहाबाद- मगध क्षेत्र को एक बार फिर से मजबूत करने की कोशिश में लगी हुई थी और इसके लिए किस तरीके से "ऑपरेशन शाहाबाद" चलाया जा रहा था. यह जानना भी बेहद दिलचस्प है.

बिहार का शाहाबाद क्षेत्र जिसमें भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर शामिल है. पिछले दो चुनाव में एनडीए के लिए सबसे कमजोर कड़ी साबित होते आया है. चाहे वह 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव हो या फिर 2024 का लोकसभा चुनाव, एनडीए का प्रदर्शन इन दोनों चुनाव में शाहाबाद क्षेत्र में बेहद निराशा जनक रहा है.

2020 बिहार विधानसभा चुनाव-
कोरोना के दौरान जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे तो तीन चरण में हुए थे और सबसे पहले चरण में शाहबाद क्षेत्र में ही वोटिंग हुई थी. शाहाबाद क्षेत्र जो हमेशा से एनडीए का मजबूत किला रहा था, वहां 2020 के चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन सबसे खराब रहा.

  • आरा जिला में 7 विधानसभा सीट है. जिसमें 2020 में एनडीए केवल दो सीट जीत पाई थी. दोनों सीट बीजेपी ने ही जीती थी.
  • बक्सर जिला में 4 विधानसभा सीट है. जिसमें 2020 में एनडीए अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी.
  • कैमूर में 4 विधानसभा सीट है. जिसमें 2020 में एनडीए अपना खाता नहीं खोल पाई थी. हालांकि, बाद में कैमूर जिला के चैनपुर से बहुजन समाज पार्टी विधायक जमा खान जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए थे.
  • रोहतास जिले में 7 विधानसभा सीट है, जिस पर एनडीए अपना खाता नहीं खोल पाई थी.

स्थिति को अगर इस तरीके से समझा जाए तो शाहाबाद क्षेत्र के 22 विधानसभा में एनडीए केवल 2 सीट ही जीत पाई थी और और वह दोनों सीट भी बीजेपी ने जीती थी. इसका मतलब है कि जनता दल यूनाइटेड और घटक दलों का शाहाबाद में खाता भी नहीं खुल पाया था.

शाहबाद क्षेत्र के साथ अगर मगध क्षेत्र के कुछ सीटों को जोड़ दिया जाए तो एनडीए का प्रदर्शन 2020 में और ज्यादा खराब है.

  • अरवल जिले के 2 सीट पर एनडीए का खाता नहीं खुला था 2020 में.
  • जहानाबाद जिले के 3 विधानसभा सीट पर एनडीए का खाता नहीं खुला था.
  • औरंगाबाद जिले के 6 सीट पर एनडीए का खाता नहीं खुला था.
  • नवादा जिला के 4 सीट पर एनडीए का खाता नहीं खुला.

2024 लोकसभा चुनाव-
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में शाहाबाद में जो एनडीए का खराब प्रदर्शन दिखा था, वह 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा. मगर इस बार एनडीए के हार के पीछे की बड़ी वजह रही राजपूत और कुशवाहा वोटरों में बिखराव.

आरा लोकसभा सीट पर CPI (ML) प्रत्याशी सुदामा प्रसाद जीते थे. उन्होंने आरा के तत्कालीन सांसद और केंद्रीय मंत्री आर.के सिंह को शिकस्त दी थी. बक्सर लोकसभा सीट से राजद प्रत्याशी सुधाकर सिंह जीत गए. सुधाकर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी को हराया था. सासाराम लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनोज कुमार राम की जीत हुई. कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी शिवेश राम को हराया था.

काराकाट लोकसभा सीट से CPI (ML) राजाराम सिंह कुशवाहा की जीत हुई. काराकाट से भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा की हार हुई थी.

शाहबाद क्षेत्र के साथ-साथ अगर मगध क्षेत्र के भी 2 सीट को जोड़ दिया जाए यानी कि जहानाबाद और औरंगाबाद तो पता चलता है कि के एनडीए का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. जिसके कारण 2019 लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीट जीतने वाले एनडीए की संख्या 2024 में घटकर 30 पर आ गई.

जहानाबाद लोकसभा सीट से राजद प्रत्याशी सुरेंद्र प्रसाद यादव की जीत हुई थी तो औरंगाबाद में राजद प्रत्याशी अभय कुशवाहा ने बाजी मारी थी.

2024 लोकसभा चुनाव में राजद ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए 7 सीट पर कुशवाहा उम्मीदवार दिए. कुशवाहा एक समय में एनडीए का कोर वोट बैंक माना जाता था. मगर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के 7 कुशवाहा उम्मीदवार उतारने की रणनीति सफल रही और कुशवाहा वोटर 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए से छिटक गया. जिसका फायदा महागठबंधन को मिला.

2024 में लालू का MYK समीकरण-
बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में 6% से ज्यादा कुशवाहा समाज की आबादी है. इसी को ध्यान में रखते हुए लालू प्रसाद ने अपने परंपरागत मुस्लिम (18%) और यादव (14%) समीकरण में कुशवाहा को जोड़ के तकरीबन 38% वोट को अपने पाले में करने की रणनीति बनाई.

हालांकि, महागठबंधन के साथ में से केवल 2 कुशवाहा प्रत्याशी ही जीत पाए. मगर कई लोकसभा सीट पर कुशवाहा मतदाता एनडीए की हार का बड़ा कारण बने.

ऑपरेशन शाहाबाद की शुरुआत-
2024 लोकसभा चुनाव में शाहाबाद क्षेत्र में पूरी तरीके से सफाया होने के बाद भाजपा ने "ऑपरेशन शाहाबाद" पर काम करना शुरू किया.

कुशवाहा वोट बैंक को एक बार फिर से अपने पाले में करने की रणनीति पर काम करते हुए बीजेपी ने हर लोकसभा चुनाव हारने के बाद उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजा.

इसके बाद जनता दल यूनाइटेड ने आरा के जगदीशपुर इलाके के कद्दावर नेता भगवान सिंह कुशवाहा को MLC बनाया. इसके साथ ही भाजपा ने शाहाबाद में अपनी स्थिति को मजबूत करने की इरादे से प्रदेश कार्य समिति में 105 शाहाबाद क्षेत्र के लोगों को जगह दी.

शाहबाद क्षेत्र से आने वाले बड़े नेताओं को बीजेपी ने प्रदेश स्तर के विभिन्न संगठनों में अहम जिम्मेदारी देना शुरू किया. सासाराम से लोकसभा चुनाव हारने वाले और दलित नेता शिवेश राम को पार्टी ने महामंत्री बनाया. 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बगावत करके चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी से चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र सिंह को भी पार्टी में वापस लाया गया और उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया.

ऋतुराज सिन्हा को मगध-शाहाबाद की जिम्मेदारी-
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने अपने चुनावी रणनीति को अंतिम स्वरूप देना शुरू और 25 सितंबर को बिहार को पांच क्षेत्र में बांटते हुए पांच नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई.

  • बीजेपी ने महेंद्र सिंह को मिथिला और तिरहुत क्षेत्र की जिम्मेदारी दी.
  • अरविंद मेनन को चंपारण और सारण की जिम्मेदारी दी.
  • प्रदीप वर्मा को भागलपुर, कोसी और पूर्णिया की जिम्मेदारी दी.
  • असीम गोयल को पटना, मुंगेर, बेगूसराय और नालंदा की जिम्मेदारी दी.
  • ऋतुराज सिन्हा को मगध और शाहाबाद की जिम्मेदारी थी.

मगध और शाहबाद क्षेत्र की जिम्मेदारी ऋतुराज सिन्हा को देना उनके लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती थी. लेकिन 5 दिनों के अंदर ही उन्होंने इस क्षेत्र में सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा को एक साथ कर दिया.

काराकाट से पवन सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण ही उपेंद्र कुशवाहा 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर चले गए थे. जिसकी वजह से उन्हें बहुत जबरदस्त झटका भी लगा था. पवन सिंह के कारण ही माना जाता है कि आरा में भी बीजेपी प्रत्याशी आर. के सिंह की हार हुई थी. कुछ दिन पहले पवन सिंह ने आर.के सिंह से भी मुलाकात की थी.

पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के साथ आने से साफ स्पष्ट है कि मगध और शाहाबाद क्षेत्र में कुशवाहा और राजपूत वोट एक बार फिर से एकजुट होंगे और एनडीए को इसका जबरदस्त फायदा मिल सकता है.

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