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Gujarat Elections 2022: Saurashtra का क्या है सियासी गणित, Congress दोहराएगी 2017 का प्रदर्शन या BJP करेगी वापसी?

Saurashtra Politics: गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में विधानसभा की 48 सीटें आती हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था और कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी. लेकिन इस बार के चुनाव में कई ऐसे मुद्दे गायब हैं, जो पिछली बार कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हुए थे.

बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस
हाइलाइट्स
  • 2017 में कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी

  • पाटीदारों की नाराजगी से बीजेपी को लगा था झटका

गुजरात विधानसभा चुनाव में दो चरणों में वोटिंग होगी. पहले चरण के लिए एक दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. सूबे के सौराष्ट्र इलाके में पहली चरण में वोटिंग होगी. सौराष्ट्र में कांग्रेस पिछले चुनाव का रिकॉर्ड दोहराने की कोशिश में है तो बीजेपी इसे सबसे पुरानी पार्टी से छीनने की फिराक में है. इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी सत्ता हथियाने का दावा कर रही है. वो भी इस इलाके में अपना वजूद तलाश रही है. 

सौराष्ट्र की सियासी ताकत क्या है-
गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में 11 जिलें आते हैं. जिसमें सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर और बोटाद शामिल हैं. अगर सियासी ताकत के हिसाब से बात करें तो सूबे की 48 विधानसभा सीटें सौराष्ट्र इलाके में आती हैं.
गुजरात में पाटीदारों की संख्या अच्छी-खासी है. माना जाता है कि पाटीदार ही इस इलाके में हार-जीत तय करते हैं. इसका असर साल 2017 चुनाव में देखने को मिला था. जब पाटीदारों के आंदोलन के चलते बीजेपी को उनकी नाराजगी झेलनी पड़ी थी. जिसका खामियाजा चुनाव में साफ दिखाी दिया था. इसके अलावा सौराष्ट्र में ओबीसी भी सियासी तौर पर ताकतवर हैं. ओबीसी भी सियासी खेल बिगाड़ और बना सकते हैं.
कच्छ इलाके में 6 विधानसभी सीटें आती हैं. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी के खाते में 5 और कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी. कच्छ में बीजेपी को 45.4 फीसदी वोट मिले थे.

2017 विधानसभा चुनाव के नतीजे-
साल 2017 विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र के मतदाताओं ने बीजेपी को झटका दिया था. हालांकि सूबे में बीजेपी ने ही सरकार बनाई थी. लेकिन इस इलाके में कांग्रेस का पलड़ा भारी था. सौराष्ट्र की 48 सीटों में से 53 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 45 फीसदी वोट मिले थे. जबकि बीजेपी को इस चुनाव में वोटर्स ने नकार दिया था. जो बीजेपी 2012 में सबसे ज्यादा सीटें जीती थी. इस बार पिछड़ गई और सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल कर पाई. कई सीटों पर काफी कम वोटों से बीजेपी उम्मीदवारों की हार हुई थी. डांग में 768 वोट और कपराड़ा में 170 वोटों से बीजेपी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था. सौराष्ट्र के तीन जिलों मोरबी, गिर सोमनाथ और अमरेली में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था.

2012 में बीजेपी ने बनाई थी बढ़त-
सौराष्ट्र में साल 2012 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी बढ़त बनाई थी. बीजेपी ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस को सिर्फ 15 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. अगर वोट फीसदी की बात करें तो बीजेपी को 44.9 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस 37 फीसदी वोट हासिल हुए थे. सौराष्ट्र की 3 सीटें अन्य के खाते में गई थी और 18.3 फीसदी वोट शेयर मिला था. 

विधायकों का जाना कांग्रेस की मुसीबत-
सौराष्ट्र में कांग्रेस की सबसे बड़ी मुसीबत विधायकों का पार्टी छोड़ना है. अब तक 20 विधायक पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं. इसमें से आधे से अधिक सौराष्ट्र इलाके से हैं. इसमें लिंबडी से सोमा पटेल, ध्रांगधरा से परसोतम सबरिया, मोरबी से बृजेश मेरजा, जसदान से कुंवरजी बावलिया, जामनगर से वल्लभ धाराविया, मनावदार से जवाहर चावड़ा, विसावदार से हर्षद रिबदिया, तलाला से भगवान बरद, धारी से जेवी काकड़िया और गढ़ड़ा से प्रवीण मारू शामिल हैं. पार्टी छोड़कर जाने वाले इन विधायकों की वजह से कांग्रेस मुसीबत में फंस गई है.

बीजेपी के लिए राहत-
सौराष्ट्र इलाके में पिछले चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत पाटीदार की नाराजगी थी. लेकिन पाटीदार आंदोलन के अगुवा हार्दिक पटेल बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी ने हार्दिक पटेल को वीरमगाम से चुनावी मैदान में भी उतारा है. बीजेपी को उम्मीद है कि हार्दिक पटेल के पार्टी में आने से पाटीदारों की नाराजगी दूर हो जाएगी. जबकि आम आदमी पार्टी के चुनाव में आने से त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद है. त्रिकोणीय मुकाबला बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है.

AAP पर लगा रही है जोर-
इस बार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी भी जोर लगा रही है. पार्टी के दिग्गज नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत सूबे के बड़े नेता खूब प्रचार कर रहे हैं और जीत के दावे कर रहे हैं. पार्टी का कहना है कि गुजरात में इस बार बदलाव होगा और बदलाव का मतलब अरविंद केजरीवाल है. आम आदमी पार्टी जोरशोर से प्रचार-प्रसार में जुटी है. लेकिन  वोटर्स का कितना साथ मिलेगा, ये कहना मुश्किल है.

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