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Happy Birthday Pran: वो खलनायक जिससे दुनिया करती थी प्यार, दोस्ती के खातिर ‘बॉबी’ फिल्म के लिए ली सिर्फ 1 रुपए की फीस

रेडिफ को दिए एक साक्षात्कार में, प्राण की बेटी पिंकी सिकंद ने बताया, "जब मेरे पिता ने अपनी पहली फिल्म, यमला जाट (1940) साइन की, तो उन्होंने अपने पिता को यह नहीं बताया था कि वह एक फिल्म में अभिनय कर रहे हैं क्योंकि दादाजी को यह मंजूर नहीं था. मेरे दादाजी एक सिविल इंजीनियर थे. जब आने वाली फिल्म के बारे में अखबार में एक लेख छपा जिसमें उनका नाम लिखा था, तो उन्होंने अपनी बहनों को अपने पिता से अखबार छिपाने के लिए कहा.

Happy Birthday Praan Happy Birthday Praan
हाइलाइट्स
  • ब्रिटिश भारत में हुआ जन्म 

  • शुरुआत में पिता से छिपाई फिल्मों में काम करने की बात 

  • जंजीर में अमिताभ बच्चन के लिए की सिफारिश 

  • अमिताभ बच्चन से ज्यादा थी फीस

  • 350 से अधिक फिल्मों में निभाया  खलनायक का रोल

  • जब लौटाया फिल्मफेयर अवार्ड

लोग आते हैं, लोग जाते हैं लेकिन उनकी यादें हमेशा साथ रहती हैं और ठीक ऐसा ही प्राण कृष्ण सिकंद जैसे दिग्गजों के साथ होता है, जिन्हें प्यार से लोग प्राण साहब कहकर पुकारते थे. दिवंगत अभिनेता प्राण बॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक रहे हैं. अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों के साथ, प्राण को हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और 2001 में तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण दिया गया था.

ब्रिटिश भारत में हुआ जन्म 

प्राण का जन्म 12 फरवरी, 1920 को पुरानी दिल्ली में हुआ था, जो उस समय ब्रिटिश भारत के अधीन था. 1947 में विभाजन के दौरान प्राण का परिवार बंबई चला गया जहां प्राण ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. अभिनेता ने 1960 में जिस देश में गंगा बहती है, 1967 में राम और श्याम, 1970 में पूरब और पश्चिम, 1970 में जॉनी मेरा नाम, 1973 में जंजीर, 1978 में डॉन, 1977 में अमर अकबर एंथनी जैसी फिल्मों में बेहतरीन  भूमिकाएं निभाईं. प्राण साहब की आखिरी फिल्म 2007 की दोष थी. 12 जुलाई 2013 को वृद्धावस्था में उनका निधन हो गया.

शुरुआत में पिता से छिपाई फिल्मों में काम करने की बात 

रेडिफ को दिए एक साक्षात्कार में, प्राण की बेटी पिंकी सिकंद ने बताया, "जब मेरे पिता ने अपनी पहली फिल्म, यमला जाट (1940) साइन की, तो उन्होंने अपने पिता को यह नहीं बताया था कि वह एक फिल्म में अभिनय कर रहे हैं क्योंकि दादाजी को यह मंजूर नहीं था. मेरे दादाजी एक सिविल इंजीनियर थे. जब आने वाली फिल्म के बारे में अखबार में एक लेख छपा जिसमें उनका नाम लिखा था, तो उन्होंने अपनी बहनों को अपने पिता से अखबार छिपाने के लिए कहा! जब तक फिल्म रिलीज हुई, तब तक मेरे दादाजी पिताजी के फिल्मों में अभिनय करने के लिए तैयार हो गए थे."

जंजीर में अमिताभ बच्चन के लिए की सिफारिश 

रिपोर्टों के अनुसार, यह प्राण ही थे जिन्होंने सुपरहिट फिल्म जंजीर में अमिताभ बच्चन के नाम की सिफारिश की थी, जो बिग बी की सफलता की सूची में मील का पत्थर बनीं. प्राण बुढ़ापे के कारण भूमिकाओं से इनकार कर रहे थे, लेकिन अमिताभ बच्चन द्वारा जोर देने के बाद, उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म मृत्युदाता में अभिनय किया. दिलचस्प बात यह है कि फिल्म में उनके किरदार में बदलाव करने पड़े क्योंकि उन्हें वास्तविक जीवन में पैर हिलाने की दिक्कत हो गई थी.

अमिताभ बच्चन से ज्यादा थी फीस 

कहा जाता है कि साल 1968 से 1982 तक प्राण को सुपरस्टार राजेश खन्ना से भी ज्यादा फीस मिलती थी. इतना ही नहीं बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को भी फीस के मामले में प्राण ने पीछे छोड़ दिया था. खबरों की मानें तो फिल्म डॉन के लिए अमिताभ बच्चन को जहां ढाई लाख रुपये दिए गए थे, तो वहीं प्राण ने उसी फिल्म में अपने अभिनय के लिए पूरे 5 लाख रुपए लिए थे.  प्राण फिल्मों में जिस भी किरदार में रहे हो, वो अपने डायलॉग्स से फिल्म में जान फूंक देते थे. एक वक्त ऐसा भी था जब उन्होंने अपने दोस्त की फिल्म ‘बॉबी’ में काम करने के लिए सिर्फ एक रुपए की फीस ली थी.

350 से अधिक फिल्मों में निभाया  खलनायक का रोल

अभिनेता प्राण (Pran) ने 350 से अधिक फिल्मों में खलनायक का रोल निभाया है. प्राण हमेशा से फोटोग्राफर बनना चाहते थे पर उनकी किस्मत उन्हें एक्टिंग की दुनिया में ले आई. साल 1958 में प्राण की फिल्म अदालत रिलीज हुई. इस फिल्म के लिए कहा जाता है कि प्राण ने इसमें इतना खतरनाक किरदार निभाया कि सिनेमाघर में बैठी महिलाएं उन्हें देखकर इतना डर गईं थी कि थिएटर से भाग गईं.

जब लौटाया फिल्मफेयर अवार्ड

फिल्मों में खलनायक बन लोगों के दिलों में खास जगह बनाने वाले प्राण का जादू भी इंडस्ट्री पर खूब चल रहा था. साल 1972 में फिल्म बेईमान के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग रोल का फिल्मफेयर अवार्ड मिला. लेकिन यह पुरस्कार प्राण ने लौटा दिया. दरअसल, उस समय कमाल अमरोही की फिल्म पाकीजा रिलीज़ हुई थी और उसे कोई भी पुरस्कार नहीं मिला था. ऐसे में प्राण का मानना था कि 'पाकीजा' को अवॉर्ड न देकर फ़िल्मफेयर ने अवार्ड देने में चूक हो गई है.