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Sahitya Aaj Tak 2025: मुंबई जाने के लिए की परिवार से बगावत, पिता कांग्रेसी लेकिन खुद जुड़ी भाजपा से.. जानें क्या हैं स्मृति ईरानी की कहानी

स्मृति ईरानी जानी मानी पॉलिटिशियन के साथ-साथ टीवी के पर्दे पर भी एक खास नाम है. उन्होंने साहित्य आजतक के साथ कार्यक्रम में शिरकत की और अपनी ज़िंदगी से जुड़े कई राज़ भी बताए. जो कई लोगों को नहीं पता होंगे.

Smriti Irani, Actor, Author and Politician (Photo Credits: Chandradeep Kumar) Smriti Irani, Actor, Author and Politician (Photo Credits: Chandradeep Kumar)

दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आयोजित हो रहे कार्यक्रम साहित्य आजतक के तीसरे दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री, लोकप्रिय नेता और अभिनेत्री स्मृति ईरानी ने शिरकत की. कार्यक्रम में स्मृति ईरानी की ज़िंदगी से जुड़े कई किस्सों पर बात की गई. जिसमें उन्होंने अपने जीवन में आए उतार-चढ़ाव पर बात की. 

संघर्ष की राह है सफलता का मार्ग
स्मृति ईरानी का कहना है कि एक संघर्षशील महिला को समर्थक कम और आलोचक ज्यादा मिलते हैं. साथ ही अगर आलोचनाओं के तले अगर कभी आप दब जाते हैं, तो सफतला के शिखर तक नहीं पहुंच पाते हैं. वह कहती हैं कि कोई भी महिला किसी भी बैकग्राउंड से आती हो, लेकिन अगर वह जीवन में सफलता पाना चाहती है, तो उसे संघर्ष की राह से गुजरना ही पड़ता है.

आलोचना कुछ लोगों का पेशा
राजनीति को लेकर जब वह बात करती हैं तो कहती हैं कि लोग कहते हैं कि वह आक्रमक है. इस पर स्मृति ईरानी का कहना है कि जब किसी के पास सत्य का प्रमाण होता है, तो उसका आक्रमक होना स्वभाविक होता है. वह कहती हैं कि पार्टी की अक्सर आलोचना होती है, लेकिन इस आलोचना को दूर करने का तरीका है कि दावों को जमीनी स्तर पर दिखाया जाए. ऐसा हम करते हैं लेकिन कुछ लोगों को केवल आलोचना करने की आदत होती है.  

नहीं खाता पिता की विचारधारा से मेल
निजी ज़िंदगी के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि कैसे उनके बड़े बुजुर्ग विभाजन के समय बसे. जिसे बाद उसके परिवार में देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आकर शामिल हुए हैं. स्मृति ईरानी अपनी विचारधारा के बारे में बात करते हुए कहती हैं कि किसी की विचारधारा के लिए जरूरी होता है कि माता-पिता बच्चे को हर चीज़ के बारे में बताएं. जिसके बाद बच्चा अपनी विचारधारा खुद तय कर पाएं. वह बताती हैं कि उनके पिता की विचारधारा पिता से बिलकुल अलग है.  

घरवालों से की बगावत
सपनों की नगरी मुंबई में युवाओं के जाने सवाल पर वह कहती हैं कि कई बार होता हैं कि माता-पिता बच्चे को दूर नहीं जाने देते, ऐसे में बच्चे के दिमाग में कई सवाल आने लगते हैं. लेकिन असल बात यह है कि वह नहीं जानते कि जो संघर्ष उन्होंने ज़िंदगी में देखा, वह उनका बच्चा भी देखे. वह अपनी बात करती हुई कहती हैं कि उनके माता-पिता भी उन्हें नहीं जाने दे रहे थे. लेकिन उन्होंने सिर्फ यही कहा कि अगर आपको मुझपर भरोसा है तो जाने दीजिए. जिसके बाद वह टीवी सीरियल में तुलसी विरानी का नाम बन छा गईं.