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Happy New year: 90 और 2000 के दशक में कैसे दी जाती थी नए साल की बधाई? Gen Z के दौर में कितना बदल गया है विश का तरीका

हर दौर का अपना तरीका रहा, अपनी खूबसूरती रही. फर्क सिर्फ इतना है कि पहले बधाई पाने का इंतजार होता था और भेजने वाले को भी दिल से खुशी होती थी. आज बधाई पल भर में मिल जाती है.

90 और 2000 के दशक और आज कैसे दी जाती है नए साल की बधाई 90 और 2000 के दशक और आज कैसे दी जाती है नए साल की बधाई
हाइलाइट्स
  • जानें कितना बदला 4 दशकों में न्यू ईयर पर बधाई का तरीका

  • Gen Z बने गेम चेंजर

  • जानें कैसा रहा कार्ड से लेकर मीम तक का दौर

नया साल सिर्फ तारीख बदलने का नाम नहीं रहा, बल्कि अपनों को याद करने और उनसे जुड़ने का बहाना भी रहा है. फर्क सिर्फ इतना है कि समय के साथ नए साल की बधाई देने का तरीका बदलता चला गया. 90 के दशक की सादगी से लेकर 2000 के दौर की तेजी और अब Gen Z की डिजिटल दुनिया तक, हर दौर की अपनी एक अलग भावना रही है.

90 का दशक, जब दोस्त कम थे पर इमोशन ज्यादा 
90 के दशक में नए साल की बधाई का मतलब था हाथ से बना या बाजार से खरीदा गया ग्रीटिंग कार्ड भेजना. उस समय बाजार में रंग-बिरंगे कार्ड आते थे. कुछ पर हीरो हीरोइन के चेहरे बने होते थे, तो कुछ पर वादियों की सीनरी. यह सब कार्ड एक रुपए में 2 से 4 मिल जाया करते थे. वहीं कुछ कर्ट आउट कार्ड होते थे जो थोड़े महंगे मिलते थे. जिन पर लिखे शब्द और शायरी दिल को छू जाते थे. वहीं जो जितना इंपॉर्टंट होता था उसको उतना महंगा कार्ड देते थे.  बच्चे स्कूल के दोस्तों को, बड़े अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों, टीचर्स और दूर रहने वाले अपनों को कार्ड भेजते थे. 
सारी तैयारी एक महीने पहले से शुरू हो जाती थी. पोस्ट ऑफिस जाना, वहां लिफाफा खरीदना, पता सही-सही लिखना और फिर कार्ड पाने का इंतजार करना, यह सब अपने आप में एक खास एहसास था. यह सारा पल आज केवल एक याद बन कर रह चुका है. कार्ड मिलने पर उसे संभालकर अलमारी में रखना, कई सालों तक कार्ड को देख कर भेजने वाले व्यक्ति को याद करना, उस दौर की सबसे खूबसूरत पलों में से एक था.

2000 का दशक जब कॉल और मैसेज ने ली ग्रीटिंग कार्ड की जगह 
2000 के बाद जैसे-जैसे मोबाइल आम हुआ, ग्रीटिंग कार्ड का चलन धीरे-धीरे कम होने लगा. अब लोग रात 12 बजते ही फोन उठाकर 'हैप्पी न्यू ईयर' विश करने लगे. SMS का दौर आया, जिसमें एक मैसेज कई लोगों को एक साथ भेज दिया जाता था.
भावनाएं अब भी थीं, लेकिन उनका रूप बदल गया था. कॉल की आवाज, मैसेज की बीप और स्क्रीन पर चमकते शब्द. ये सब उस समय के नए एहसास बन गए. लोग अच्छे मैसेज और शायरी सेव करके रखने लगे और फॉरवर्ड का दौर वहां से शुरू हुआ. 

Gen Z ने बदला सारा गेम 
आज के वक्त में इंटरनेट, कॉल और मैसेज सब फ्री है. लेकिन रिश्ते और इमोशन से हम थोड़ी दूर निकल चुके हैं. आज कल Gen Z नए साल की बधाई इंस्टाग्राम स्टोरी, रील, मीम और शॉर्ट वीडियो के जरिए देता है. किसी क्रिएटिव वीडियो, मीम या ट्रेंडिंग सॉन्ग के साथ विश करना ज्यादा कूल माना जाता है. आज कल टेक्स्ट कम और विजुअल ज्यादा हो गए हैं. यह दौर बिलकुल नया है. अगर आज कोई किसी खास को कार्ड दे तो, वह उसे लैमिनेट कर सोशल मीडिया स्टोरी बना कर फ्लेक्स करता है. Gen Z की दुनिया में कॉल करना या किसी को लंबे मैसेज लिखना आउटडेटेड माना जाता है. GenZ के जमाने में छोटे मैंसेज में गहरी बात करना ज्यादा पसंद किया जाने लगा, जैसे 'HNY Bea' इसका मतलब है 'हैप्पी नयू ईयर बेबी'. यह पीढ़ी इन ही तरीकों को कूल मानती है. 

 

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