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अफगानिस्तान में बेटियों की हुंकार, कब तक आजादी छीनेगा तालिबान?

मुल्क की आबो हवा को जब किसी की नजर लग जाए, आज़ादी जब जजीरों में कैद हो जाए, अपना ही वतन जब बेगानों या दशमनों की गिरफ्त में आ जाए तो आवाज उठाना लाजमी हो जाता है. अमेरिका के अफगानिस्तान से जाने के बाद तालिबान का अधिकार है, जिसकी हुकुमत में औरत कोई इंसान नहीं बल्कि पिंजरे में कैद वो परिंदा है जिसकी चारदीवारी घुटन से भरी है. लेकिन अब वही परिंदा पंख फड़फड़ा कर अपनी आजादी के लिए चिल्ला रहा है. ये चीख भी ऐसी है कि जो तालिबानी हुकमरानों को बेचैन करने लगी है. आवाज हक के लिए है सो हौसला भी बुलंद है. ये आवाज है उन महिलाओं की जो कह रही हैं हमें नहीं चाहिए वही पुराना शरिया कानून, हमें चाहिए इज्जत और आजादी. अपने अधिकार और सम्मान के लिए अफगानिस्तान में बेटियां उठ खड़ी हुई हैं. इससे अच्छी और सच्ची खबर भला क्या हो सकती है. देखें खास कार्यक्रम, नवज्योत रंधावा के साथ.

Hundreds of Afghans, mostly women, took to the streets of Kabul on Tuesday in an anti-Pakistan rally in which they chanted slogans against Islamabad and ISI. Women are demanding education, job, and freedom. Watch the video to know more.